फ़र्ज़ी मार्कशीट मामले में अयोध्या के BJP विधायक को कोर्ट ने सुनाई जेल की सज़ा और लगता जुर्माना!

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यूपी में अयोध्या की गोसाईगंज सीट से बीजेपी विधायक इंद्र प्रताप तिवारी उर्फ खब्बू तिवारी को 29 साल पुराने मामले में अपर जिला न्यायाधीश (एमपी-एमएलए कोर्ट) पूजा सिंह ने 5 साल की सज़ा सुनाई है। दरअसल, बीजेपी विधायक पर धोखाधड़ी से सेकेंड ईयर में एडमिशन लेने का आरोप है। यहीं वजह है कि उन्हें जेल की सज़ा सुनाई गई है। विधायक के साथ ही छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष व सपा नेता फूलचंद यादव और चाणक्य परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष कृपा निधान तिवारी पर भी सोमवार को अपराध साबित होने पर एमपी/एमएलए कोर्ट ने दोषी मानते हुए 5 साल की सज़ा सुनाई है।

बता दें कि अब तक भाजपा विधायक जमानत पर चल रहे थे। विधायक इन्द्र प्रताप तिवारी खब्बू सहित तीनों आरोपितों पर सज़ा के साथ ही 19 हज़ार रुपये का जुर्माना भी किया गया है। फैसले के बाद तीनों आरोपियों को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया गया।

पूरा मामला…

यह मामला साल 1992 का है। साकेत महाविद्यालय के प्राचार्य यदुवंश राम त्रिपाठी ने 18 फरवरी 1992 को रामजन्मभूमि थाने में इंद्र प्रताप तिवारी उर्फ ​​खाब्बू, फूलचंद यादव और कृपा निदान तिवारी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी। प्राथमिकी में फ़र्ज़ी मार्कशीट के जरिए अगली कक्षा में प्रवेश लेने के आरोप थे।

  • प्राचार्य यदुवंश राम त्रिपाठी ने जो रिपोर्ट दर्ज कराई थी, उसमें कहा गया कि इंद्र प्रताप तिवारी उर्फ खब्बू ने 1990 में बीएससी फर्स्ट ईयर की मार्कशीट में फर्जीवाड़ा करके बीएससी सेकेंड ईयर में प्रवेश लिया।
  • चाणक्य परिषद के संरक्षक कृपानिधान तिवारी ने प्रथम वर्ष 1989 में एलएलबी प्रथम वर्ष में अनुत्तीर्ण होने के बावजूद छल कपट कर एलएलबी द्वितीय वर्ष में प्रवेश प्राप्त कर लिया।
  •  साकेत महाविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष फूलचंद यादव ने 1986 में बीएससी फर्स्ट ईयर की मार्कशीट में फर्जीवाड़ा करके बीएससी सेकेंड ईयर में प्रवेश लिया।

केस के दौरान ही प्रिंसिपल यदुवंश राम त्रिपाठी की मृत्यु..

इंद्र प्रताप तिवारी, छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष फूलचंद यादव व चाणक्य परिषद के अध्यक्ष कृपानिधान तिवारी के विरुद्ध 24/ 1992 के अंतर्गत धारा 420, 467, 468, 471 के तहत मामला दर्ज किया गया। इसके बाद आरोप पत्र अदालत में प्रस्तुत किया गया। निचली अदालत ने 2018 में मामले को सेशन कोर्ट भेज दिया। यह केस इतना लंबा चला कि केस के दौरान ही प्रिंसिपल यदुवंश राम त्रिपाठी की मृत्यु हो गई। हालांकि मामला चलता रहा और कई दूसरे गवाह सामने आए। सोमवार यानी 18 अक्टूबर को मामले में सुनवाई के दौरान कॉलेज के तीन कर्मचारियों महेंद्र कुमार अग्रवाल समेत कई गवाह संबंधित एमपी-एमएलए कोर्ट में सबूत के तौर पर पेश हुए।

वादी और गवाहों के बयानों के आधार पर अदालत की विशेष न्यायाधीश पूजा सिंह ने मामले में तीनों को दोषी पाया। इसके बाद तीनों को धारा 420 के तहत तीन साल कारावास और छह हजार जुर्माना, 468 पांच साल और आठ हजार जुर्माना और धारा 471 के तहत दो साल कैद और पांच हजार जुर्माने की सजा सुनाई गई। तीनों सजाएं साथ-साथ चलेंगी। यानी कुल पांच-पांच साल के कठोर कारावास की सज़ा और 13-13 हज़ार रुपये जुर्माना। सुनवाई के समय तीनों आरोपी कोर्ट में मौजूद थे। सज़ा सुनाए जाने के बाद पुलिस ने तीनों को जेल भेज दिया। वहीं विधायक इंद्र प्रताप तिवारी के वकील पवन तिवारी ने आजतक से कहा कि अब वह मामले में ऊपरी अदालत जाएंगे। कोर्ट जो भी कहेगा उसका सम्मान किया जाएगा।

 


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