‘कहीं देशव्यापी न हो जाये किसान आंदोलन!’- चिंतित सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी बनाने के दिये संकेत

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सुप्रीम कोर्ट ने आज किसान आंदोलन की गंभीरता पर मुहर लगा दी। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि इस मसले का जल्द हल न निकला तो यह राष्ट्रव्यापी मुद्दा बन जायेगा। कोर्ट ने कहा कि सरकार बातचीत से इस मसले का समाधान नहीं निकाल पा रही है। ऐसे में किसानों के प्रतिनिधियों को शामिल करते हुए एक कमेटी बनायी जा सकती है। अदालत 17 दिसंबर को इस मसले पर फिर सुनवाई करेगी। किसान संगठनों को पक्षकार बनाते हुए कोर्ट ने नोटिस जारी किया है।

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एस.ए.बोबडे की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय पीठ ने दिल्ली बार्डर पर किसानों के धरने से हो रही परेशानी से जुड़ी तीन याचिकाओं पर आज सुनवाई हुई। कोर्ट ने कहा कि सरकार इस मुद्दे का समिति बनाकर समधान निकाले, इसके पहले कि यह मुद्दा देश्व्यापी हो जाये।

कोर्ट ने सोलीसिटर जनरल को ऐसे संगठनों के नाम के साथ आने को कहा है  जो बातचीत में शामिल होने को तैयार हैं

उधर किसान संगठनों ने सरकार की ओर से आये लिखित प्रस्ताव को ठुकरा दिया है। उन्होंने कहा कि ये कृषि कानून में संशोधन के वही प्रस्ताव हैं जिन्हें चर्चा के दौरान ही किसान संगठनों ने ठुकरा दिया था। उन्हें ही सरकार ने लिखित रूप में भिजवाया तो उसका क्या जवाब दिया जाता। सरकार को तीनों कानूनों को वापस लेना होगा। किसान संगठन इससे कम पर पीछे नहीं हटेंगे।

इस बीच कई दूसरे राज्यों में भी आंदोलन गति पकड़ता नज़र आ रहा है। एमएसपी पर खरीद की गारंटी की बात आम किसानों को समझ आने लगी है। कल तक पंजाब और हरियाणा के किसानों की समृद्धि पर चर्चा हो रही थी ताकि आंदोलन की गंभीरता को नकारा जा सके, अब बिहार जैसे राज्यों के किसान पूछ रहे हैं कि उन्हें एमएसपी क्यों नहीं मिलती, क्या उनकी ग़रीबी का यही कारण है।

सरकार लगातार इस मुद्दे पर कन्नी काट रही है, लेकिन ख़ुद आरएसएस से जुड़े भारतीय किसान संघ ने मध्यप्रदेश पर एमएसपी पर खरीद न होने को लेकर प्रदर्शन किया है। इससे केंद्र और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का वाह दावा ग़लत साबित हुआ है कि किसानों को एमएसपी मिल रही है और यह किसी सूरत में ख़त्म न होगी।