टांडा में कांवड़ यात्रा को उकसा कर पुलिस अधीक्षक ने फैलाया सांप्रदायिक तनाव, वीडियो से खुलासा



टांडा में आधी रात को दरवाजे तोड़कर बूढे़-बुजुर्गों को उठा ले गई पुलिस

डीजे की तेज आवाज तनाव की मुख्य वजह तो आखिर क्यों नहीं पुलिस ने किया कांवडि़यों पर मुकदमा

पुलिस बताए क्या योगी राज में कांवडि़यों पर मुकदमा न करने का कोई आदेश है?


लखनऊ 18 अगस्त 2018. रिहाई मंच ने टांडा में कांवड़ यात्रा के दौरान डीजे की आवाज को लेकर हुए तनाव के बाद गिरफ्तार लोगों के परिजनों से मुलाकात की। मंच ने औरैया में साधुओं की हत्या को गोकशी से जोड़ने को साजिश करार देते हुए सांप्रदायिक तनाव के लिए पुलिस प्रशासन और संघ परिवार को जिम्मेदार ठहराया। 13 अगस्त की रात टांडा में हुए सांप्रदायिक तनाव के बाद आए पुलिस कप्तान के वीडियो को लेकर जिसमें वे बोलबम का नारा लगवाते हुए दिखाई दे रहे हैं, उसकी डीजीपी और मुख्य सचिव से शिकायत के बाद रिहाई मंच ने टांडा का दौरा किया। इस प्रतिनिधिमंडल में रिहाई मंच के अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब, एडवोकेट यावर अब्बास, अबू अशरफ, फारुक, आफाक, नूर आलम, यूएस मोहम्मद और राजीव यादव शामिल थे।

रिहाई मंच ने 13 अगस्त के विवाद के बाद टांडा के हयातगंज का दौरा करते हुए गिरफ्तार लोगों के परिजनों से मुलाकात की। इस मामले में अब तक 14 गिरफ्तारियां हुई हैं। चौराहे पर स्थित आजाद टेलर की दुकान में जहां ताला बंद था, वहीं इस विवाद के दौरान फैयाज की लूटी गई पान की दुकान पर कोई नहीं मिला। फैयाज की दुकान की पीछे ही उनके भतीजे के किराने की दुकान पर मुलाकात की गई। अकबर अली बताते हैं कि उस रात उनकी दुकान के पास ही वाकया जब हो रहा था तो उनके भाई अबरार वहां से तुरंत चले गए थे। बाद में जब मालूम चला कि दुकानें लूटी जा रही हैं तो वे दुकान देखने के लिए आए तो पुलिस ने उन्हें उठा लिया। वे कहते हैं कि इस मोड़ पर उनकी किराना की दुकान है वो मार-झगड़ा क्यों करेंगे। उनके चाचा फैयाज की पान की दुकान लूटने की खबर के बाद अबरार को लगा कि कहीं उनकी दुकान भी तो नहीं लूट ली गई, तभी वो आए।

घर के दो-दो दरवाजे तोड़कर उस दिन पुलिस शकील और जमील को उठा ले गई। यह पूछने पर कि कैसे उठाया, ‘हम दरवाजा बनवा लेंगे आप लोग जाइए’, ये कहते हुए 75 वर्षीय तसरीफुन निशा अपने घर से जाने को कहती हैं। प्रतिनिधिमंडल जब कहता है कि वो पुलिस नहीं है तो उन्हें थोड़ा राहत मिलती है। उन्हें लगता है कि कहीं फिर कुछ न हो जाए। यही डर मोहल्ले के लोगों को भी है। इससे डर-दहशत का अंदाजा लगाया जा सकता है। शायदा बताती हैं कि उनके भाई शकील और जमील को उस दिन पुलिस घर का दरवाजा तोड़कर उठा ले गई। घर का पहले दरवाजे की मरम्मत करवा ली है पर अन्दर का दरवाजा अब भी उसी हालत में पड़ा है।

ताजिमुन निशा बताती हैं कि उस रात डीजे की तेज आवाज से वे लोग परेशान थे और घबराहट के मारे चक्कर आकर वो लेट गईं। उन्हें नहीं मालूम था कि देर रात उनका दरवाजा तोड़ने पुलिस आ जाएगी। ताजिमुन बताती हैं कि रात दो बजे के करीब पुलिस वाले दरवाजा पीटने लगे और कुंडे से मारकर तोड़ने लगे। वे शीबू का नाम ले रहे थे। डरते हुए दरवाजा खोला तो पुलिस-पीएसी वाले घर में घुस गए। हम लोग कह रहे थे कि घर में महिलाएं है पर उन्होंने एक न सुनी। मेरे पति मुन्नू मास्टर और बेटे अरशद को पूछताछ के नाम पर उठा ले गई। छापेमारी के दौरान महिला पुलिस नहीं थी। इस बीच लड़की की तबीयत खराब हो गई थी। हम लोग डर के मारे कांप रहे थे।

पूर्व सभासद डा. उमालिया बताती हैं कि उस रात दो बजे के करीब पुलिस दरवाजा पीटने लगी और मेरे शौहर जमाल कामिल का नाम लेकर चिल्ला रही थी। हमारे घर में चार परिवार हैं और बहुत सी महिलाएं हैं। हमने कहा कि वो नहीं हैं। जमाल कामिल मौजूदा सभासद भी हैं। पुलिस घर में घुसकर दोनों देवरों जमाल अख्तर और जमाल अजमल को उठा ले गई। वे बताती हैं कि चार तल्ले के मकान में घुसकर तलाशी की और उनके देवर जमाल अजमल को बंडी-लुंगी में ही उठा ले गई। कहा कि बस पूछताछ के बाद छोड़ देंगे पर उनको जेल भेज दिया। मैंने वारंट के बारे में पूछा तो वे कुछ नहीं बताए। उन्होंने बताया कि हमने जेल में मुलाकात की है।

एक मकान की संकरी सी गली में पिछले हिस्से में अपनी छोटी सी बेटी के साथ बैठी अफसाना बताती है कि उस रात भाभी और अब्बू ही घर पर थे। वसीम का नाम लेकर पुलिस दरवाजा पीटने लगी ऐसा लगा कि दरवाजा तोड़ न दें तो दरवाजा खोल दिया गया। पुलिस मेरे बूढ़े अब्बू को उठाकर ले गई। उनको तरस भी नहीं आया कि इतना बुजुर्ग आदमी क्या कोई बवाल करेगा। घर के हालात का जिक्र करते हुए कहती हैं कि अब बहुत मुश्किल हो गई है। लगातार डर बना रहता है और उस रात का मंजर आखों के सामने छाया रहता है।

मोहल्ले के 74 वर्षीय बुजुर्ग मोहम्मद इसराइल कहते हैं कि कांवडि़यों का रास्ता पश्चिम से पूरब की तरफ था पर उन लोगों ने उत्तर और दक्षिण की दिशा में डीजे लगाकर कंपटीशन शरू कर दिया जो विवाद की वजह बना। वे पूछते हैं कि आखिर पुलिस कहां थी। पुलिस का काम बेगुनाहों को उठाने का है या फिर तनाव न पैदा होने देने का है। मैं यह बात एसपी-डीएम सभी के सामने कहने को तैयार हूं।

प्रतिनिधिमंडल को स्थानीय लोगों ने बताया कि टांडा पिछले कई सालों से लगातार सांप्रदायिक तत्वों के निशाने पर बना हुआ है।

रिहाई मंच द्वारा यूपी के पुलिस महानिदेशक को भेजा गया पत्र
प्रति,
पुलिस महानिदेशक 
उत्तर प्रदेश, लखनऊ
महोदय,
सोशल मीडिया के माध्यम से पता चला है कि कस्बा टांडा थाना टांडा जिला अंबेडकर नगर में कावरियां यात्रा में डीजे की तेज आवाज को लेकर दिनांक 13 अगस्त 2018 की रात में लगभग 11 बजे विवाद हुआ जिसमें एक वीडियो का प्रसारण भी सामने आया है। उस वीडियो में श्री संतोष कुमार मिश्रा पुलिस अधीक्षक अंबेडकर नगर द्वारा कावरियों को नारा देते हुए उसका तेज आवाज में ‘अमर थोड़ा जयकारा लगवाओ बोलबम…’ लगाने के लिए कावरियों को उकसाते हुए देखा जा सकता है। श्री संतोष कुमार मिश्रा का यह कृत्य उनके कर्तव्यों के निर्वहन से हटकर है। समाज के अलग-अलग संप्रदायों में पारस्परिक विद्वेष फैलाने और शांति व्यवस्था के लिए खतरा उत्पन्न करने का अपराध है। श्री मिश्रा का यह कृत्य स्पष्ट करता है कि सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने तथा मुस्लिम समुदाय के सदस्यों के खिलाफ झूठे मुकदमें कायम करने में भी पुलिस की भूमिका रही है।
अतः आपसे आग्रह है कि उक्त मामले की उच्च स्तरीय जांच कराकर श्री संतोष कुमार मिश्रा के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई के साथ-साथ आपराधिक कार्रवाई करने की कृपा करें।
संबन्धित वीडियो संलग्न है।
द्वारा-
मुहम्मद शुऐब
अध्यक्ष रिहाई मंच
110/60 हरिनाथ बनर्जी स्ट्रीट, नया गांव पूर्व, 
थाना अमीनाबाद, लखनऊ
दिनांक- 16 अगस्त 2018                       

प्रेस विज्ञप्ति