अपने पिता से बेहतर प्रधानमन्त्री होंगे राहुल गाँधी


राहुल गलतियों से ‘सीख’ कर प्रधानमन्त्री बनेंगे न कि पिता की तरह प्रधानमन्त्री बन कर गलतियाँ करने को स्वतंत्र होंगे




विकास नारायण राय

अब जब तीन विधानसभा में जीत ने कांग्रेसियों का विश्वास काफी हद तक लौटा दिया है, वे भी शायद सुनना चाहें कि उनके युवा अध्यक्ष राहुल गांधी अपने पिता राजीव गाँधी से बेहतर प्रधानमन्त्री सिद्ध होंगे। अन्यथा यह बात मैंने इन वर्षों में जहाँ भी कही या लिखी है मुझे प्रायः उपहासपूर्ण चुप्पी का ही सामना करना पड़ा है। सत्ता से दूर रहने ने कांग्रेसियों को इस कदर उतावला और सत्ता से नजदीकी ने भाजपाइयों को इस कदर मतवाला कर दिया था!

राहुल गांधी की अच्छी किस्मत से उनके विश्वासपात्र ज्योतिरादित्य सिंधिया, सचिन पायलट और रणदीप सुरजेवाला अपनी-अपनी राजनीतिक उच्छृंखलता लेकर अभी तुरंत शासन के सेंटर स्टेज पर आने नहीं जा रहे हैं। यानी उन्हें अपनी स्वीकार्यता के कुछ और इम्तहानों से गुजरना ही होगा। अचानक प्रधानमन्त्री बना दिए गये पिता राजीव गांधी ने अरुण नेहरू, अरुण सिंह और मणिशंकर अय्यर जैसे असंयत और अनभिज्ञ दोस्तों को शासन सौंपने का खामियाजा भुगता था। कांग्रेस ने भी।

इस जीत के बाद अपनी पहली प्रेस कांफ्रेंस में राहुल ने किसान, युवा और छोटे व्यवसायी को अर्थव्यवस्था में लाभदायक भागीदारी के लिए चिन्हित किया है। श्रमिक उनके राडार से नदारद हैं। हालाँकि देर-सबेर वे जो भी मॉडल देंगे, और यह मॉडल महज ‘सुशासन’ ही नहीं हो सकता, उसमें श्रमिकों का सवाल भी शामिल होगा ही।

वक्त की पुकार कहिये कि इसी प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने ‘भ्रष्टाचार’ को भी एक बड़ी राष्ट्रीय चिंता के रूप में चिन्हित किया है। अन्यथा, मुझे याद है, 2004 के संसदीय चुनाव की अप्रत्याशित विजय के आलोक में जयपुर में आयोजित एक चर्चा में इस सवाल को उन्होंने चेहरे से मक्खी की तरह उड़ा दिया था। हालाँकि, 2018 में भी बदनाम कमलनाथ को ही मध्यप्रदेश की कमान सौंपी गयी है। यह भी स्पष्ट है कि इस मोर्चे पर राहुल अपने बहनोई रोबर्ट वाड्रा या सहयोगी कॉर्पोरेट नवीन जिंदल जैसों को प्रशासनिक पहल का उदहारण बनाने जैसा टेस्ट पास नहीं कर पायेंगे। तब भी गनीमत है कि लोकपाल जैसी हवाई युक्तियाँ या ‘न खाऊंगा न खाने दूंगा’ जैसे शेखचिल्ली जुमले उनके एजेंडे पर नहीं हैं।

फिर भी यदि मैं राहुल को राजीव से बेहतर प्रधानमन्त्री होने की भविष्यवाणी कर रहा हूँ तो इसकी मुख्य वजह यह है कि वे गलतियों से ‘सीख’ कर प्रधानमन्त्री बनेंगे न कि पिता की तरह प्रधानमन्त्री बन कर गलतियाँ करने को स्वतंत्र होंगे। देश के लिए वे नरेंद्र मोदी से तो वे बेहतर रहेंगे ही क्योंकि मोदी एकीकृत भारत का प्रतिनिधित्व कर ही नहीं सकते जो राहुल सहज ही कर लेंगे।


(अवकाश प्राप्त आईपीएस विकास नारायण राय, हरियाणा के डीजीपी और नेशनल पुलिस अकादमी, हैदराबाद के निदेशक रह चुके हैं।)