अखंडा की डाँट से बेपरवाह ‘मीरज़ापुर’ के मुन्ना चले प्रियंका की रैली!



दास मलूका

अखंडानंद त्रिपाठी ने एक बार फिर मुन्ना को फटकारा-

“विशुद्ध चूतिए लड़के हो तुम”

लेकिन मुन्ना हैं कि हर फटकार से बेअसर। तय कर लिया है तो तय कर लिया है कि मीरजापुर से लेकर बनारस तक प्रियंका गांधी की हर रैली, हर रोड-शो अटेंड करेंगे। पापा की फटकार पर भी टस से मस नहीं, उठे और जबड़ा भींचते बाहर निकल लिए। पापा अखंडानंद देखते रह गए।

मुन्ना के बाहर निकलने के बाद व्हील चेयर पर बैठे अखंडानंद के बाप कुल भूषण खरबंदा त्रिपाठी ने नेशनल जियोग्राफिक से डिस्कवरी चैनल पर स्विच ओवर किया और एक-एक अच्छर चबा कर बोले-

“अखंडा…जब मुन्ना को राजनीत में उतारे हो तो सीखने भी दो। करेंगे तभी तो जानेंगे। आखिर त्रिपाठियों का लड़का है।“

अखंडा बाउजी की बात का जवाब बहुत कम, बल्कि देते ही नहीं हैं। लेकिन इस बार चुप न रह सके, अटकते-अटकते बोले-

“अरे!….राइवल ग्रुप का भी देखना पड़ता है बाउजी….रतिकांत सुकलवा पहले ही घात लगाए है। भाईजी लोगों के साथ सहभोज कर रहा है, पार्टी में गोलबंदी बढ़ा रहा है। गोरखपुर दौड़-दौड़ कर ठाकुर लॉबी भी सेट कर रहा है….”

बाऊजी त्रिपाठी हिरन को घेरते लकड़बग्घों में तल्लीन थे। इस जवाब से चिढ़ से गए।

“सुकलवा का लड़का का कर रहा है, कहां जा रहा है, पता है तुमको, अगर ऊ भी जा रहा हो प्रियंका के रोड शो और रैली में तो sss?…अरे लड़के तो लड़के हैं…पार्टी में उसकी सफाई देने की जरूरत नहीं है। जब होगी तब देखना !”

तो हाल ये है कि अखंडानंद त्रिपाठी हों या सुकुल बाबा रतीकांत, हर घर में थोड़ी सी हलचल है, लऊंडे पापा लोगों के काबू में नहीं हैं। प्रियंका गांधी के आने की आहट ने पूर्वांचल में दिमागी खरमंडल मचा रखा है। सतह पर अभी कुछ साफ़-साफ़ भले न दिख रहा हो, लेकिन जमीन के नीचे खदबदाहट है। खास तौर पर उन खानदानों में जो बगैर पार्टी के झंडे के बीस मिनट भी नहीं गुज़ार सकते।

आइए अब दिल्ली चलें, गोसाईं बाबा का चैनल अब हिन्दी में भी छपने लगा है। गोसाईं बाबा अलग बेचैन हैं। पत्रकारिता का व्याकरण बदलने चले थे, ससुरे कांग्रेसियों ने माहौल ही बदल दिया। अब गाली देकर ही सही प्रियंका गांधी को दिखाने की मजबूरी तो है ही।

प्रेस क्लब आफ इंडिया में हिचकी लेते दूरदर्शन के एक रिटायर्ड वीडियो एडिटर बोले-

“आई नो हर सिंस…छड्ड यार….कोई गल्ल नी….बट सी इस प्योर टीवी…पता नईं पोलिटिकल प्रास्पेक्ट क्या है ….बट सी इस प्योर टीवी…”

अब आइए टीवी देखें, क्योंकि हर टीवी चैनल के न्यूज रूम में लाइन मैनेजर को साफ निर्देश है….प्रियंका का एक भी विजुअल छूटना नहीं चाहिए..। 24 अकबर रोड पर प्रियंका गांधी के कमरे में झाड़ू लगने से लेकर उनका नेम प्लेट लगने तक हर तस्वीर सबसे पहले चाहिए।

भगदौड़ से हलकान एक रिपोर्टर कहते हैं….“भइया इ साले कांग्रेसी कम कमीने नहीं हैं। प्रियंका गांधी की खबर हचक के प्लांट करवा रहे हैं…अब मारामारी इ है कि विजुअल पहिले कहां दिखेगा…मिल तो सबको रहा है…एजेंसियों को मिली रहा है”

 “कहां के रहने वाले हैं आप? ”

“भइया….गाजीपुर के हैं, 15 साल से दिल्ली में हैं। 9 साल से कांग्रेस कवर कर रहे हैं। पहली बार एतना एनर्जी देखे….थकावट हमको हो रही है”

प्रियंका गांधी विदेश से रात को दिल्ली वापस लौटीं, और उनके पति राबर्ट वाड्रा को प्रवर्तन निदेशालय से अगली सुबह पेशी का समन मिला। मीडिया में दोनों खबरें एक साथ आईं।

गोसाईं बाबा ने अपने चैनल पर एक साथ छाप दिया

‘भ्रष्ट’ वाड्रा की पेशी – प्रियंका की ताजपोशी

नवे-नवे राज्यसभा सांसद बने बिहार के एक मास्टर साहब ने गोसाईं बाबा को फोन लगाया

“सड़ सड़ सड़…..आप ही कड़ सकते हैं। इसका तो नाम ही स्मगलड़ वाला है। अजीत वाला पिक्चड़ याद है आपको। अजीत….अजीssत…अड़े वही मोना डाड़लिंग वाला अजीत। नहीं पूछता था – राबर्डट कहां है मेड़ा सोना….हे हे हे। अड़े सड़ बुलाइए आज साम को डिबेट में बुलाइए…फाड़ के ड़ख देंगे”

गोसाईं बाबा ने झुंझला कर कहा.

“..ठीक है, ठीक है….अभी रखिए आपके हाई कमान का फोन आ रहा हैं”

मास्टर साहब घबरा के बोले  “….आएं….अच्छा अच्छा”

उधर पूर्वी यूपी के आजमगढ़ में एक सैलून पर दाढ़ी बनवाते पांडे जी शीशे में टीवी देख जा रहे थे। बीच बीच में उनकी हजामत बना रहे शख्स का हाथ रुक जाता और आंख टीवी पर अटक जाती

झल्ला कर पांडे जी बोले-

“अजी दढ़िए बना लो कि टिबिए देख लो, मर्दे जाड़ा में साबुन पोत के बइठाए हो”    

अब जल्दी जल्दी दाढ़ी पर हाथ खींचते हज्जाम ने पूछा

“का कहते हैं बाबा….पिरियंका गांधी के राजनीत में आते उनके मरद को थाने में बोला लिया…ई ठीक है ?”

“ थाना नहीं है मर्दे का जनि का ईडी-ऊडी है !”

“उहे….बाकिर बोलाया तो पूछताछ के लिए ही नsss…टीबिया में कह रहा है कि बाडरा का इमेज पिरियंका के राजनीत पर असर डालेगा…..आ ऊ तो महराज बाडरा को साथे लेकर थाना पहुंच गई”

पांडे जी की दाढ़ी बन गई थी। चेहरा पोंछते हुए कुर्सी से उठे। खंखार के बोले

“आ उ नहीं सुने जो बोली है….हम अपने मरद के साथ खड़े हैं।“

“हंssss.. तो बाबा इसका असर का होगा ?”

“अरे होगा का मर्दे…..इहां मेहरारू रोज लात खाए तब्बो सुख-दुख में रहेगी भतार के ही साथ। ई मामूली बात है ? घर-परिवार बड़ा चीज है बाबूsssओकरी महतारी को कहते रहिए बिदेसी….माने बाल-बच्चा छोड़ कर…ससुरार छोड़ कर इटली नहीं न भागी….तो ई भी अपने मरद को नहीं छोड़ रही है…मने ई मामूली बात तो नहीं है”

“तब होगा का ?”

“देखो होगा तो ओही जो बुआ आ बबुआ चाहेंगे। लेकिन हंसता हुआ नूरानी चेहरा कुछ तो असर डलबे करेगा। है कि नहीं“

ये कहते हुए पांडे जी संभल-संभल कर सलून की सीढ़ी उतर गए।