सेक्स सीडी, पत्रकारिता, निजता और ब्लैकमेलिंग की राजनीति !



अभिषेक श्रीवास्तव

शुक्रवार तड़के बिलकुल फि़ल्‍मी अंदाज़ में ग़ाजि़याबाद के इंदिरापुरम इलाके से वरिष्‍ठ पत्रकार विनोद वर्मा की छत्‍तीसगढ़ पुलिस के द्वारा की गई गिरफ्तारी ने रायपुर के सियासी गलियारों में कयासों का बाज़ार गरम कर दिया है। कुछ ऐसे सवाल हैं जो इस घटना से सरोकार रखने वाला हर व्‍यक्ति पूछ रहा है, लेकिन ठोस जवाब किसी के पास नहीं है।

पहले तथ्‍यों के आलोक में कुछ सवाल देखते हैं:

  1. जिस मंत्री की सीडी की बात की जा रही है, वह पिछले कुछ महीनों से रायपुर में आम है। रायपुर के पत्रकारों और कांग्रेस के निचले दरजे के कार्यकताओं तक के पास उस सीडी की क्लिपिंग मोबाइलों में है और वॉट्सएप से सर्कुलेट हो रही थी। फिर आखिर विनोद वर्मा ही क्‍यों पकड़े गए?
  2. अगर मामला ब्‍लैकमेलिंग का ही था, जैसा कि पुलिस दावा कर रही है, तो उसके लिए 500 या 1000 सीडी बनवाने की ज़रूरत क्‍या थी? इतनी संख्‍या में सीडी बनवाने का आखिर उद्देश्‍य क्‍या था?
  3. जिन्‍होंने सीडी देखी है और वॉट्सएप पर क्लिपिंग देखी हैं, वे सवाल उठा रहे हैं कि मामला ‘सहमति से सेक्‍स’ का है। किसी का निजी अंतरंग वीडियो ‘सेक्‍स सीडी’ कह कर बवाल खड़ा करना आखिर कौन सी पत्रकारिता है?
  4. विनोद वर्मा वरिष्‍ठ पत्रकार हैं लेकिन कहा जा रहा है कि पिछले कुछ दिनों से वे छत्‍तीसगढ़ कांग्रेस के लिए अपने रिश्‍तेदार पीसीसी अध्‍यक्ष भूपेश बघेल के माध्‍यम से काम कर रहे थे। इस आधार पर कुछ लोग उनकी भूमिका को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं। क्‍या किसी पत्रकार ने पहली बार किसी पार्टी के लिए काम किया है या आखिरी बार? क्‍या पीआर का काम सचेतन रूप से चुनने वाले किसी पत्रकार के बुनियादी अधिकार बदल जाते हैं?
  5. आखिर इस पूरे घटनाक्रम से लाभ किसका है जबकि मंत्री का नाम भी सामने आ चुका है, वीडियो भी घूम रहा है और रमन सरकार उसका अब बचाव करती दिख रही है?

छत्‍तीसगढ़ के पत्रकारों, कांग्रेसी और भाजपाई कार्यकर्ताओं व अन्‍य लोगों से बातचीत के आधार पर जो कहानी सामने आती है वह दिलचस्‍प है। यह कथित सीडी भले लंबे समय से पत्रकारों के पास थी लेकिन कोई भी इसे प्रसारित करने की हिम्‍मत नहीं कर रहा था। छत्‍तीसगढ़ के अखबारों और चैनलों के ऊपर सरकारी विज्ञापनों और लाभ-लोभ का दबाव बहुत ज्‍यादा है। दूसरे, संबंधित मंत्री राजेश मूणत काफी रसूखदार और ताकतवर हैं। ज़ाहिर है, चुनाव का मौसम पास आया तो कांग्रेस ने एक योजना तैयार की। तैयारी थी कि बाकायदे एक प्रेस कॉन्‍फ्रेंस कर के इस सीडी को जारी किया जाएगा। सारी तैयारियां हो चुकी थीं।

रायपुर के एक वरिष्‍ठ पत्रकार की मानें तो आज यानी शनिवार को या ज्‍यादा से ज्‍यादा इतवार को यह उद्घाटन किया जाना तय था। इसके लिए अखबार और चैनल को भी सेट कर लिया गया था। एक राष्‍ट्रीय चैनल जिसे छत्‍तीसगढ़ सरकार का विज्ञापन नहीं मिलता है और एक अंग्रेज़ी का राष्‍ट्रीय अखबार जिसने कुछ बरस पहले छत्‍तीसगढ़ के डीपीआर विभाग से बंटने वाली रेवडि़यों का खुलासा किया था, दोनों के सहयोग से कांग्रेसी उद्घाटन पर माहौल बनाया जाना तय था। 1000 सीडी बनवाने के पीछे यही वजह थी वरना अगर ब्‍लैकमेलिंग का कोई मामला रहता तो खुलेआम किसी वीडियो पार्लर में सीडी कोई नहीं बनवाता। इतनी संख्‍या प्रेस कॉन्‍फ्रेंस के लिए ही थी।

भाजपा को यह खबर चाहे जहां से मिली हो (कुछ का दावा है कि कुछ कांग्रेसियों ने ही खबर सरकायी थी), लेकिन मूणत घबराए और सरकार बेचैन हुई तो खतरा टालने के लिए मौका रहते ही आनन-फानन में गुरुवार दोपहर दो बजे एक एफआइआर करवायी जाती है। तेरह घंटे के भीतर पुलिस उड़ कर ग़ाजि़याबाद पहुंच जाती है। उस शख्‍स को गिरफ्तार कर लेती है जिसका नाम तक एफआइआर में नहीं है, न ही कोई अरेस्‍ट वारंट इत्‍यादि। ब्‍लैकमेलिंग की बात कही जाती है लेकिन न तो उसका कोई ऑडियो पुलिस के पास है (चूंकि कथित ब्‍लैकमेलिंग का फोन लैंडलाइन से किया गया था) और न ही इस बात का कोई साक्ष्‍य कि 1000 सीडी बनाने के ऑर्डर वर्मा ने ही दिए थे। फिर वर्मा को क्‍यों पकड़ा गया?

अव्‍वल तो इससे तीन काम सधते हैं। पहला, पीसीसी अध्‍यक्ष भूपेश बघेल का रिश्‍तेदार होने के नाते बघेल पर निशाना साधना आसान हो जाता है। दूसरे, छत्‍तीसगढ़ कांग्रेस का दिल्‍ली के पत्रकारीय हलके के साथ एक लिंक उजागर होता है, जिसकी बात अकसर कल्‍लूरी जैसे अफ़सर करते रहे हैं। तीसरे, मामला पूरा का पूरा डायवर्ट हो जाता है। इस पूरे मामले को गढ़ने में राज्‍य सरकार से कई स्‍तर पर तकनीकी चूक हुई जिसे शुक्रवार को हुई आइजी के प्रेस कॉन्‍फ्रेंस से समझा जा सकता है।

गिरफ्तारी के बाद कांग्रेस विनोद वर्मा के बचाव में आ गई। यह स्‍वाभाविक था। बघेल के साथ रिश्‍ता छुपाना या विनोद वर्मा का कांग्रेस के लिए काम करने को छुपाना संभव नहीं था। छुपाया भी नहीं जाना चाहिए। लेकिन कांग्रेस को एक लाभ यह रहा कि खुद प्रेस कॉन्‍फ्रेंस करने के बाद जो हासिल होता, वह बिना मुंह खोले ही हासिल हो गया। शुरुआती खबरों में ही मूणत का नाम सामने आ गया और वीडियो वॉट्सएप से वायरल होकर दिल्‍ली पहुंच गया। दूसरे, विनोद वर्मा के गिरफ्तार होने से कांग्रेस को कोई दिक्‍कत नहीं है क्‍योंकि केस में कोई मेरिट नहीं है, वे छूट जाएंगे। इस तरह मामले को एक पत्रकार पर हमले और अभिव्‍यक्ति की आजादी के दमन की ओर मोड़े जाने का अवसर आसान रहेगा और भाजपा सरकार की ही भद्द पिटेगी।

तीसरा लाभ कांग्रेस के लिए यह होगा कि अब राजेश मूणत के ‘बदनाम’ हो जाने पर बीते कुछ वर्षों में उनके भ्रष्‍टाचार को उजागर करने और नैतिक आधार पर हटाए जाने या इस्‍तीफे की बात जोर पकड़ेगी। इस तरह मूणत बीजेपी के गले की हड्डी बन गए हैं और रमन सिंह को कोई न कोई फैसला लेना ही होगा।

पूरी कहानी का निचोड़ कांग्रेस के लिए यह है कि हर्र लगे न फिटकिरी, रंग चोखा। भाजपा अभी राजेश मूणत को संभालने का तरीका खोजेगी। ऐसे मामलों में किसी पत्रकार का गिरफ्तार होना उसके लिए हमेशा वरदान होता है। विनोद वर्मा के समर्थन में जिस तरह से कल इंदिरापुरम थाने से लेकर आज प्रेस क्‍लब तक समर्थन उमडा है, वह अभिव्‍यक्ति की आजादी पर दमन के पुराने नैरेटिव को और मजबूत करेगा।

दिलचस्‍प यह है कि पूरी कहानी के केंद्र में दो व्‍यक्तियों के निजी कोने में सहमति से सेक्‍स का एक वीडियो है जिसमें दखल देने का कायदे से किसी को अख्तियार नहीं होना चाहिए। लेकिन दिल्‍ली सरकार के मंत्री संदीप कुमार से लेकर वरुण गांधी और अभिषेक मनु सिंघवी तक जिस तरीके से अंतरंग निजी क्रियाओं को ‘सेक्‍स सीडी’ में तब्‍दील कर के इस बात की स्‍वीकार्यता समाज में दिलवायी गई है कि सेक्‍स की सीडी हमेशा बदनामी का ही बायस होती है, वह निजता के अधिकार से जाकर जुड़ती है।

यह न केवल हमारी समकालीन राजनीति पर एक सवाल है बल्कि पत्रकारिता के बुनियादी मूल्‍यों को भी कठघरे में खड़ा करता है। जिस दौर में सुप्रीम कोर्ट निजता के अधिकार को लेकर इतना गंभीर है, उस दौर में किसी के कमरे में ताकझांक का राजनीतिक स्‍कैंडल बनना अपने आप में अनैतिक है। दिक्‍कत यह है कि इससे किन्‍हीं लोगों के राजनीतिक हित सधते हैं। इसीलिए नैतिकता की परवाह किसी को नहीं है। उस वरिष्‍ठ पत्रकार को भी नहीं, जो इस पूरी घटना में ‘बलि का बकरा’ बनाए गए हैं और फिर भी कह रहे हैं कि ”मेरे पास मंत्री का सेक्‍स वीडियो है”।