हे राम! ढाई लाख से ज्‍यादा आबादी वाली अयोध्‍या में 101 मंदिर और 59 शौचालय…



कृष्ण प्रताप सिंह

करोड़ों अन्य लोगों की तरह अगर आप भी अभी तक यही मानते आए हैं कि अयोध्या ‘मन्दिरों की नगरी’ है या उसका ‘हर घर मन्दिर’ है, तो अपनी जानकारी को सुधार लीजिए। ढाई लाख से ज्यादा की जनसंख्या वाले इस नगर में सिर्फ और सिर्फ एक सौ एक मन्दिर हैं!

यकीनन, बहुतों के लिए इस जानकारी को हाजमोला खाकर भी हजम कर पाना कठिन है और उन्हें इससे धीरे से ही सही पर बहुत जोर का झटका लग सकता है। लेकिन क्या किया जाए…! ‘धर्म की नगरी’ में मन्दिरों की यह संख्या उस अयोध्या नगर निगम द्वारा प्रमाणित की गई है जिसका पिछले दिनों उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने मय गाजे-बाजे के साथ गठन किया था। सरकार ने इसे अपनी उपलब्धियों व अयोध्यावासियों को दी गई सौगात के रूप में गिनाया था। अब इसी निगम के तत्वावधान में सरकार देव-दीपावली का भव्य आयोजन करने जा रही है। और हां, प्रदेश के पर्यटन मंत्री लक्ष्मीनारायण चौधरी की मानें तो यह पहली ऐसी राष्ट्रवादी सरकार है जो धर्मनीति के आधार पर संचालित हो रही है। आप चाहें तो खुद भी अयोध्या नगर निगम के कार्यालय से इस सबकी दरयाफ्त कर सकते हैं।

दरअस्ल, फैजाबाद सिविल कोर्ट के अधिवक्ता व आरटीआइ कार्यकर्ता गंगाराम निषाद ने पिछले दिनों अपने सूचना के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए इस नगर निगम से पूछा था कि अयोध्या में कुल कितने मन्दिर, मस्जिद, धर्मशालाएं, गेस्ट हाउस और अस्पताल हैं?

इसके जवाब में सहायक नगर आयुक्त ने उन्हें बताया है कि अयोध्या नगरपालिका क्षेत्र में, जिसे अब फैजाबाद नगरपालिका क्षेत्र के साथ नगर निगम बना दिया गया है, सिर्फ 101 पंजीकृत मन्दिर हैं। इसी तरह उन्होंने नगरपालिका क्षेत्र में पंजीकृत मस्जिदों, धर्मशालाओं/गेस्टहाउसों की संख्या 45-45 और अस्पतालों की पांच बतायी है।

अब आप यह कहकर इन संख्याओं पर संदेह जताना चाहते हैं कि यह तो मन्दिरों या मस्जिदों की पंजीकृत संख्या है, तो कोई आपको मना नहीं कर सकता। नगर निगम ने भी शायद जान-बूझ कर इस संदेह की गुंजायश रहने दी है और अपंजीकृत मन्दिरों, मस्जिदों व धर्मशालाओं की संख्या नहीं बताई है। यह भी नहीं बताया है कि अगर अयोध्या का हर घर मन्दिर है तो मन्दिरों का पंजीकरण 101 पर ही क्यों अटका हुआ है? क्या इसलिए कि यह संख्या बहुत से और लोगों की तरह उसे शुभ लगती है?

नगर निगम द्वारा दी गई कई और जानकारियां भी न सिर्फ दिलचस्प हैं बल्कि वहां स्वर्ग उतार देने के प्रदेश व केन्द्र सरकारों के बड़बोले दावों की पोल खोलती हैं।

मसलन, अयोध्या के ढाई लाख से ज्यादा निवासियों के लिए अभी तक सिर्फ 59 शौचालय, 780 स्टैंड पोस्ट और 1156 इंडिया मार्क सेकेंड हैंडपम्प हैं। शौचालयों की इतनी कम संख्या इस लिहाज से भी विचलित करती है कि प्रदेश सरकार शौचालयों के निर्माण में प्रदेश को देश भर में पहले स्थान पर लाने की दावेदार है।

नगर निगम द्वारा दी गई एक जानकारी यह भी कहती है कि अयोध्या में तीर्थयात्रियों के ठहरने के लिए स्थायी व्यवस्था का अकाल है। अधिवक्ता ने उससे पूछा था कि नगर में तीर्थयात्रियों के ठहरने के लिए कितने पंजीकृत आवास उपलब्ध हैं। जवाब में सहायक नगर आयुक्त ने बताया है कि तीर्थयात्रियों के ठहरने की अस्थायी व्यवस्था ही की जाती है। यह तब है जब अयोध्या में तीर्थयात्रियों का पूरे साल आना जाना लगा रहता है।

मजे की बात यह कि नगर निगम को नहीं मालूम कि पिछले साल रामनवमी, सावन और कार्तिक पूर्णिमा के मेलों में कुल कितने तीर्थयात्री अयोध्या आए। सहायक नगर आयुक्त ने कहा है कि उनके पास इस तरह की कोई सूचना उपलब्ध नहीं है।

ज्ञातव्य है कि फैजाबाद व अयोध्या को मिलाकर इस नगर निगम के गठन के वक्त दोनों नगरों की समूची जनसंख्या भी वांछित स्तर तक नहीं पहुंच रही थी तो उनके क्षेत्र के विस्तार के साथ अयोध्या आने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या को भी निगम के गठन का आधार बनाया गया था। लेकिन अब नगर निगम कह रहा है कि उसे मालूम ही नहीं कि इन मेलों में कितने तीर्थयात्री आए। क्या पता ऐसे में किस आधार पर वह आगे के मेलों के लिए यात्री सुविधाओं की व्यवस्था करेगा।

फिलहाल, अभी तो नगर में चारों ओर प्रदेश सरकार के ‘भव्य’ देव-दीपावली मनाने के लिए अयोध्या आने का शोर है और क्या नगर निगम, क्या जिला व पुलिस प्रशासन, सारे के सारे उसी से जुड़े प्रबंधों में हलकान हुए जा रहे हैं।


लेखक वरिष्‍ठ पत्रकार और मीडियाविजिल के सलाहकार मंडल के सदस्‍य हैं