फिल्‍म में GST का उड़ाया मज़ाक तो तमिल स्‍टार के घर पड़ गया इंटेलिजेंस का ‘छापा’!



सोमवार को तमिल फिल्‍म स्‍टार विशाल के घर जीएसटी इंटेलिजेंस टीम ने जो कथित छापा मारा, वह शायद देश में जीएसटी लागू होने के बाद का पहला छापा होता अगर मामला पूरे मीडिया में जोर-शोर से उठने के बाद चेन्‍नई ज़ोन की जीएसटी इंटेलिजेंस इकाई ने उसे नकार नहीं दिया होता। छापा पड़ा है या नहीं, यह तो जांच का विषय है लेकिन एक बात साफ़ है कि पूत के पालने पांव में ही दिखने शुरू हो गए हैं।

जीएसटी को देश भर में समान कर प्रणाली के बतौर लागू किया गया ताकि कोई भी कर के दायरे से बचने न पाए। कौन जानता था कि जीएसटी की आलोचना करने वाले के घर पर ही जीएसटी की छापामार टीम पहुंच जाएगी। पिछले दो दिनों से सोशल मीडिया पर बहुचर्चित और विवादित तमिल फिल्‍म ‘मर्सेल’ की एक क्लिप घूम रही है। यह वही क्लिप है जिसे सरकार सेंसर करना चाहती थी। संयोग नहीं है कि इस क्लिप में एक किरदार जीएसटी समेत देश के स्‍वास्‍थ्‍य तंत्र की आलोचना कर रहा है।

देखें वह दृश्‍य जिसे सरकार फिल्‍म हटवाना चाहती थी।  

इस दृश्‍य पर हुए विवाद ने हालांकि पूरे तमिल फिल्‍म इंडस्‍ट्री को एकजुट कर दिया। कमल हासन से लेकर रजनीकांत जैसे कद्दावर अभिनेताओं ने फिल्‍म के समर्थन में अपनी आवाज़ उठायी। नतीजा यह हुआ कि रिलीज़ होने के केवल पांच दिन के भीतर फिल्‍म 150 करोड़ से ज्‍यादा का कारोबार कर चुकी है और ‘कबाली’ व ‘विश्‍वरूपम’ जैसी ब्‍लॉकबस्‍टर को पीछे छोड़ दिया।

सोमवार को फिल्‍म की कलेक्‍शन की खबर मीडिया में आने के बाद अचानक छापेमारी की खबर आई। विशाल न केवल फिल्‍म स्‍टार हैं बल्कि फिल्‍म निर्माता और वितरक भी हैं। वे तमिल फिल्‍म निर्माता परिषद के मुखिया हैं और दक्षिण भारत कलाकार संघ के महासचिव भी हैं। इस लिहाज से उनके यहां छापेमारी की कथित घटना तुरंत सुर्खियों में आ गई। इस छापेमारी के पीछे जीएसटी अफसरों ने वजह बताई कि उनके पिछले एक्‍साइज़ रिकॉर्ड को जांचने के लिए यह किया जा रहा है।

दिलचस्‍प है कि विवाद बढ़ने पर केंद्रीय उत्‍पाद शुल्‍क आसूचना महानिदेशालय, चेन्‍नई आंचलिक इकाई के संयुक्‍त निदेशक द्वारा हस्‍ताक्षरित एक प्रेस विज्ञप्ति आनन-फानन में जारी की गई जिसमें छापेमारी खबर को गलत बताया गया और कहा गया कि विशाल के घर ऐसी कोई तलाशी नहीं हुई है। यह भी इत्‍तेफ़ाक़ नहीं है कि केवल एक दिन पहले विशाल ने भारतीय जनता पार्टी के एक नेता एच. राजा की इस बात के लिए आलोचना की थी कि उन्‍होंने ‘मर्सेल’ का ऑनलाइन पाइरेटेड संस्‍करण देखा था।

विशाल ने एक बयान में कहा था, ”डियर मिस्‍टर राजा, एक नेता और मशहूर शख्सियत होने के नाते आप परयरेसी की पैश्रवी कर रहे हैं और उसका खुलकर समर्थन कर रहे हैं।” विजय ‘मर्सेल’ में प्रमुख भूमिका में हैं। उपर्युक्‍त क्लिप पर विवाद बढ़ा तो फिल्‍म निर्माता श्री थेनंदल फिल्‍म्‍स ने शनिवार को उक्‍त दृश्‍य संपादित करने पर हामी भर दी थी।

एजेंसी की ओर से नकारे जाने के बाद आउटलुक समेत अन्‍य मीडिया ने अपनी खबर में संशोधन कर दिया है।

अब तक के घटनाक्रम से बिलकुल साफ़ है कि जीएसटी के नाम पर छापेमारी की इस कथित पहली घटना ने एक नज़ीर कायम कर दी है। बहुत संभव है कि जीएसटी का इस्‍तेमाल भी बाकी कानूनों की तरह अभिव्‍यक्ति की आज़ादी और विरोध का दमन करने के लिए ही भविष्‍य में किया जाएगा।