देवी के सामने सुर गड़बड़ाए तो मुस्लिम लोकगायक को मार डाला!



आज बात नए भारत की, जिस दिशा में हमारा देश बहुत तेज़ी से दौड़ रहा है… प्रधानसेवक की कृपा रही तो ये रफ्तार और भी तेज़ होगी…

राजे रजवाड़ों की भूमि राजस्थान के जैसलमेर जिले में एक लोक गायक आमद खान की पीट पीटकर हत्या कर दी गई है… अब आप पूछेंगे कि सवा सौ करोड़ के देश में किसी एक लोक कलाकार का कत्ल चे मानी दारद? आप कहेंगे कि देश का इतिहास न कभी झगड़ों से खाली रहा है, और न आपसी लड़ाइयां कभी बंद हुई हैं. फिर भी आमद खान की बात क्यों?

इसलिए आपको बता दें कि जैसलमेर के दांतल गांव में मिरासी समाज के लोक गायक की हत्या मज़हबी नफरतों की देन है और अफसोस की बात ये है कि आज के दौर में इस नफरत की खेती बहुत उपजाऊ हो चली है.

खास बात ये है कि 27 सितंबर को हत्या होती है और 12 दिन तक हम इससे अनजान रहते हैं. अब भी इसकी रिपोर्टिंग नहीं हो रही है.

सवाल है कि आखिर आमद खान का गुनाह क्या था?

दांतल गांव के भोपे रमेश सुथार ने आमद खान को एक खास राग में गाने को कहा, ताकि मंदिर की देवी खुश हो जाए. लेकिन वो सुथार की मांग के मुताबिक गाने में नाकाम रहे, बुरा गाया. बस क्या भगवा हिंदू मन आक्रोशित हो गया… रमेश सुथार के साथ दूसरे लोग भी साथ हो चले… और आमद खान की पिटाई शुरू हुई…

बचाने के बजाय मारने वालों में जोश बढ़ता गया और जान लेकर ही दम लिया…

दरअस आमद खान का ‘बड़ा’ गुनाह ये था कि उसने अपने गायन में वो भाव नहीं पैदा कर पाया जिससे देवी मां खुश हो जाए, इसलिए उसे सबक और सज़ा कड़ी सुनाई गई…

पीट पीटकर हत्या..

कत्ल के बाद कातिल ने पीड़ित परिवार को धमकी दी कि अगर इसकी शिकायत पुलिस-थाने को की तो खैर नहीं…

इसलिए चार दिन गुजर जाने के बाद किसी तरह मकतूल का परिवार शिकायत दर्ज कराया पाया. और घटना के दस दिन बाद एक मुख्य आरोपी को गिरफ्तार किया जा सका…

अब दांतल गांव का हाल क्या है

गांव से मुसलमान पलायन को मजबूर हैं…100 लोग पलायन कर चुके हैं. जैसलमेर में दर बदर भटक रहे हैं…. रैन बसेरा में चंदे पर गुजर बसर कर रहे हैं.. और अब अपने हिंदू पड़ोसियों के पास नहीं जाना चाहते.

गांव को जानिए-

इस गांव में बहादुर कौम राजपूत का बसेरा है… यही बहुसंख्यक हैं.

15 परिवार- सुथार
40 परिवार- मिरासी
250 परिवार- राजपूत
50 परिवार- मेघवाल
20 परिवार- चारण

इस घटना को पीयूसीएल की कविता श्रीवास्तव ने उठाया है और वो इंसाफ की लड़ाई में आगे आई हैं.

अब आप की शिकायत होगी कि इस खबर को छिपाया जा रहा है… ये जान लीजिए आज के दौर में खबर वही है जिसे छिपाया जाए… लेकिन अब कोई भी जानकारी किसी मीडिया की मोहताज नहीं है… अब देश का हर नागरिक पत्रकार है… आप इस बात को सोशल मीडिया पर लिखें, शेयर करें और जानकारी को बांटे और बढ़ाएं… अभी भी अच्छे लोग ज़िंदा हैं

अब्दुल वाहिद आज़ाद

नोट–इंडियन एक्सप्रेस में ख़बर के मुताबिक ग्राम प्रधान गुड्डी कुँवर भाटी के पिता ( महिला सीट हो तो परधानी पति या पिता के ज़िम्मे होती है! ) खेत सिंह ने आरोप को ग़लत बताया है। उनके मुताबिक अामद ख़ान को दिल का दौरा पड़ा था। लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट में साफ़ कहा गया है कि दिल दुरुस्त था और मौत की वजह सिर पर लगी चोट है।