दिल्ली वि.वि.पूछे है कि कैसी अफ़वाहें उड़ाकर ‘महात्मा’ बन गए गाँधी !



इंद्रप्रस्थ के महानतम सम्राट मोदी की विद्वतसभा ने यह निष्कर्ष निकाल लिया है कि मोहनदास कर्मचंद गाँधी नाम के बूढ़े को महान या महात्मा बनाने के पीछे ‘अफ़वाहों’ का हाथ है। यह बात प्रजाजन अच्छी तरह समझ लें, इसके लिए समस्त गुरुकुलों में विशेष कक्षाएँ चलाई जा रही हैं। छात्रों को भी इससे संबंधित पाठ घोंटने का विशेष निर्देश है ताकि वे भूलकर भी गाँधी को महान ना मान पाएँ। इस कृत्य को देशद्रीहो क़रार देने की अधिसूचना भी जल्द ही जारी किए जाने की चर्चा है। समस्त कुलपतियों और शिक्षामंत्रियों को निर्देश हैं कि देशद्रोही प्रवृत्ति वाले छात्रों पर कड़ी नज़र रखें।

नहीं समझे..?

दरअसल हुआ यह है कि18 मई को दिल्ली विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग (बीए आनर्स- सेमेस्टर 2, द्वितीय पाली) की परीक्षा थी। प्रश्नपत्र के सवाल नंबर तीन में कहा गया था

“गाँधी को महात्मा बनाने में अफवाहों की भूमिका की विवेचना कीजिए। ‘

 

अब परीक्षार्थी को अगर पास होना है तो वह पूरी ताक़त लगा देगा यह साबित करने में कि महात्मा गाँधी की सारी महानता अफ़वाहों की देन है। प्रकारांतर में यह साबित करना पड़ेगा कि उनमें महात्मा या महान होने जैसी कोई बात नहीं थी। वैसे भी सम्राट की नज़र में गाँधी का मतलब सफ़ाई है। सत्य और अहिंसा गई तेल लेने…सफ़ाई तो हाथ की भी होती है…चलेगी।

यह वही महीन तरीक़ा है जिसके ज़रिए शिक्षा जगत का संघीकरण किया जा रहा है। अरुण शौरी चाहे कहते हों की बीजेपी = काँग्रेस+गाय है…लेकिन मसला इतना भर नहीं है। यह स्वतंत्रता संग्राम के दौरान विकसित मूल्यो और संविधान के संकल्पों के ख़िलाफ़ ‘मानस’ गढ़ने का ख़तरनाक अभियान है। कुछ दिन पहले मध्यप्रदेश में कक्षा 12 के प्रश्नपत्र में निबंध लेखन का विषय दिया गया- जातिगत आरक्षण देश के लिए घातक।

आरक्षण एक संवैधानिक व्यवस्था है, स्वतंत्रता आंदोलन का संकल्प है। लेकिन मध्यप्रदेश के बच्चों को पास होना होगा तो यही जवाब लिखना होगा कि आरक्षण देश के लिए घातक है। यह सिर्फ सामान्य वर्ग के बच्चे ही नहीं लिखेंगे, आरक्षित वर्ग के बच्चों को भी यही जवाब देना होगा।

इसलिए मसला किसी संस्थान में यज्ञ कराने भर का नहीं है, देश में जो कुछ भी ‘शुभ’ है, उसे होम करने का है। सावधान !

 

.बर्बरीक