उदार विचारों वाले लोग कब तक मारे जाते रहेंगे? बॉम्‍बे हाइकोर्ट की सरकार पर तीखी टिप्‍पणी



पिछले महीने बंगलुरु में हुई पत्रकार गौरी लंकेश की हत्‍या का संदर्भ देते हुए बॉम्‍बे उच्‍च न्‍यायालय ने देश के मौजूदा हालात पर एक गंभीर टिप्‍पणी की है। कोर्ट ने कहा है कि देश में ”सारे विपक्ष की हत्‍या कर देने का चलन बेहद ख़तरनाक है। इससे देश की बदनामी हो रही है।”

जस्टिस एससी धर्माधिकारी और जस्टिस विभा कंकनवाड़ी की खण्‍डपीठ गुरुवार को डॉ. नरेंद्र दाभोलकर और गोविंद पानसरे के परिजनों द्वारा दाखिल याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में अदालत से आग्रह किया गया है कि अदालत खुद इन दोनों की हत्‍या के मामलों में की जा रही जांच की निगरानी करे।

सुनवाई करते हुए जस्टिस धर्माधिकारी ने एक अहम टिप्‍पणी की, ”क्‍या अभी और लोगों को निशाना बनाया जाएगा? उदार मूल्‍यों और विचारों के लिए कोई सम्‍मान ही नहीं बचा है। अब लोगों को लगातार उनके उदारवादी सिद्धांतों के लिए निशाना बनाया जा रहा है… न केवल चिंतक बल्कि कोई भी व्‍यक्ति या संगठन जो उदार मूल्‍यों में आस्‍था रखता हो उसे निशाना बनाया जा सकता है। ये तो ऐसे ही हुआ कि अगर मेरा कोई विरोध कर रहा है तो मैं उस शख्‍स को खत्‍म कर दूंगा।”

खण्‍डपीठ ने दो टूक कहा, ”सारे विपक्ष को खत्‍म कर देने का यह चलन ख़तरनाक है। यह देश को बदनाम कर रहा है।” याचिका पर सुनवाई करते हुए खण्‍डपीठ ने कहा, ”आपके प्रयास भले सच्‍चे हों लेकिन तथ्‍य यह है कि मुख्‍य आरोपी अब भी फ़रार हैं। हर बार तारीख से पहले और ज्‍यादा कीमती जिंदगियां खत्‍म हो जा रही हैं… बंगलुरु में भी एक समान विचार वाले व्‍यक्ति की हत्‍या कर दी गई है।” उनका संकेत गौरी लंकेश की 5 सितंबर को हुई हत्‍या की ओर था।

खण्‍डपीठ ने सवाल उठाया कि आखिर कौन सी चीज़ यह गारंटी दे सकती है कि भविष्‍य में और ज्‍यादा लोगों को उनके सिद्धांतों और आस्‍थाओं के लिए नहीं मारा जाएगा। ”अगर आरोपित व्‍यक्ति और संगठन खुद को ज्‍यादा ताकतवर महसूस करने लगे हैं तो जांच एजेंसियों को इसे चुनौती के रूप में लेना चाहिए।”

अदालत ने जांच एजेंसियों से कहा कि वे अपनी जांच की दिशा को बदलें और हत्‍यारों को पकड़ने के लिए प्रौद्योगिकी का इस्‍तेमाल करे। खण्‍डपीठ ने याविकाकर्ताओं के अधिवक्‍ता अभय नेवागी के जताए इस संदेह को खारिज किया कि एजेंसियां सनातन संस्‍था की भूमिका की जांच नहीं कर रही हैं। जस्टिस धर्माधिकारी ने कहा, ”अदालत जांच के विवरण को सार्वजनिक नहीं कर सकती, लेकिन हम इतना भर कह सकते हैं कि जांच की रिपोर्ट में सभी कोणों से परीक्षण किया गया है। उन्‍होंने मामले में सनातन संस्‍था की भूमिका की संभावना को नजरंदाज नहीं किया है।”


दि इंडियन एक्‍सप्रेस से साभार