ऑनलाइन सोफ़ा बेचने की कोशिश में 70 हज़ार लुटा बैठे केन्द्र सरकार के रिटायर्ड अफ़सर!

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इंटरनेट के जरिए ऑनलाइन पैसों का इस्तेमाल, खरीदारी, लेन – देन जैसे-जैसे बढ़ रहा है। वैसे ही ऑनलाइन ठगी के नए-नए मामले भी सामने आ रहे हैं। सिर्फ आम लोग ही नही बल्कि जानकार भी ठगी का शिकार हो रहे हैं। केंद्र सरकार से सेवानिवृत्त अतिरिक्त सुरक्षा व वित्तीय सलाहकार से साइबर ठगों ने 70 हज़ार रुपये ठग लिए है।

दरअसल, पीड़ित अधिकारी ने अपना पुराना सोफा बेचने के लिए Quikr.com पर एक विज्ञापन डाला था। जिसके बाद अज्ञात बदमाशों ने उससे संपर्क किया और 70 हज़ार रुपये ठग लिए। जब अधिकारी को ठगी का पता चला तो उन्होंने 19 सितंबर को मामले की शिकायत पुलिस में की। शिकायत पर कार्रवाई करते हुए सरोजनी नगर थाना पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। फिलहाल पुलिस के पास आरोपी के बारे में कोई पुख्ता सुराग नहीं है। साइबर ठगी बढ़ने का सबसे बड़ा कारण भी यहीं है आरोपी बहुत कम मामलों में ही पकड़े जाते हैं।

ऐसे हुई पूरी ठगी..

पुलिस अधिकारी ने बताया कि पीड़ित अधिकारी वेलिदांडा वेणुगोपाल अपने परिवार के साथ मोती बाग चाणक्यपुरी इलाके में रहते हैं। वेणुगोपाल ने पुलिस को दी गई शिकायत में कहा कि उन्होंने क्विकर डॉट कॉम पर सोफा बेचने का विज्ञापन डाला था। विज्ञापन देखने के बाद उनके पास एक व्यक्ति का फोन आया। फोन करने वाले ने अपना परिचय रोहिन निवासी किरण राय बताया और कहा कि वह एक फर्नीचर डीलर है और एक सोफा खरीदना चाहता है। सोफा खरीदने की बात हुई और 36 हजार रुपए में डील पक्की हो गई।

जिसके बाद आरोपी ने पीड़िता से उसके गूगल अकाउंट की जानकारी ली। 19 सितंबर को आरोपी ने वापस फोन किया और बताया कि वह खुद इंटरनेट बैंकिंग का इस्तेमाल नहीं करता, बल्कि पैसे चुकाने के लिए अपने दोस्त की मदद ले रहा है। जिसके बाद आरोपी ने यूपीआई ट्रांजेक्शन की मदद से पीड़िता के खाते से कुछ ही देर में 70 हजार रुपये निकाल लिए। जैसे ही पीड़ित अधिकारी को पैसे की निकासी की जानकारी हुई तो उसने आरोपी के नंबर पर फोन किया, लेकिन आरोपी ने उसका नंबर ब्लॉक कर दिया। ऐसे में पीड़िता ने तुरंत मामले की शिकायत पुलिस से की।

आने वाले समय में बड़े अपराधों का कारण बन सकता है साइबर क्राइम..

साइबर क्राइम इस वक्त देश में बड़ी परेशानी बनता जा रहा हैं। हर रोज़ अखबार में एक या दो मामले साइबर क्राइम, साइबर ठगी के आते ही रहते हैं। लोग इसकी शिकायत भी करते हैं लेकिन मुश्किल है की एक बार ठगी के बाद फैसे वापस मिल पाए। साइबर ठगी का रेट लगातार बढ़ने का कारण है कि ज़्यादातर आरोपियों तक साइबर क्राइम सेल पहुंच ही नहीं पाती, लेकिन जो पकड़ जाते है उनके पास से करोड़ों रुपए बरामत होते हैं।

साइबर क्राइम के मकसद को अंजाम देने के लिए पूरे- पूरे कॉल सेंटर बनाए जाते है। कुछ कॉल सेंटरों पकड़े भी गए है। लेकिन अंदाज़न 100 मामलों में से 10 मामले ही होंगे जिनमे आरोपी पकड़ा जाता है। साइबर क्राइम से निपटने के लिए साइबर सेल को नए सिरे से ट्रेनिंग की भी जरूरत है क्योंकि आरोपी ठगी के ऐसे रास्ते निकल रहे है की पुलिस और साइबर सेल भी उन्हें पकड़ने में नाकाम हो रहे है। अगर ऐसे ही हालात रहे तो आने वाले समय में यह एक बड़े पैमाने पर अपराध का कारण बन सकता है और आरोपीयों को पकड़ना नामुमकिन सा हो जायेगा।