सहजानंद सरस्वती जयंती पर पटना में किसान मार्च, कृषि कानून रद्द करने की उठी मांग!

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बिहार में अंग्रेजी कंपनी राज व जमींदारी व्यवस्था के खिलाफ चले जुझारू किसान आंदोलन के महान नेता स्वामी सहजानंद सरस्वती की जयंती पर आज भाकपा-माले व अखिल भारतीय किसान महासभा के संयुक्त बैनर से राज्यव्यापी किसान दिवस के अवसर पर पटना में ‘किसान मार्च’ हुआ।

इंटरमीडिएट कौंसिल से निकलकर यह मार्च स्वामी सहजानन्द सरस्वती पार्क पहुंचा। जहां उन्हें श्रद्धाजंलि दी गई और उनकी विरासत को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया गया।  मार्च में तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने, MSP को कानूनी दर्जा देने, एपीएमसी एक्ट पुनर्बहाल करने, छोटे-बटाईदार किसानों को प्रधानमंत्री सम्मान योजना देने आदि के नारे लगाये जा रहे थे। लोगों ने अपने हाथों में सहजानन्द सरस्वती के किसान आंदोलन से सम्बंधित तख्तियां भी ले रखी थी।

भाकपा-माले डुमरांव विधायक अजीत कुशवाहा ने इस मौके पर कहा कि आज देश व किसान विरोधी तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ चलने वाले किसान आंदोलन ने सत्ता द्वारा उसे कुचल देने के सभी प्रयासों को निष्फल करते हुए 100 दिन पूरे कर लिए और अब अपना चैतरफा विस्तार पा रहा है। भाजपा को सत्ता से बाहर करने के संकल्प के साथ यह आंदोलन अब आजादी की दूसरी लड़ाई में बदल गई है।

उन्होंने कहा कि बढ़ते किसान आंदोलन से बेचैन भाजपा अब छोटे व सीमांत किसानों की हितैषी होने का स्वांग रचकर किसान आंदोलन में फूट डालने का एक बार फिर असफल प्रयास कर रही है। हर कोई जानता है कि छोटे व बटाईदार किसानों की सबसे बड़ी दुश्मन कोई और नहीं बल्कि भाजपा और उसके संगी-साथी हैं। अपने ही राज्य बिहार में भाजपा-जदयू की सरकार ने अपने ही द्वारा गठित बंद्योपाध्याय आयोग की सिफारिशों को कभी लागू नहीं होने दिया। बटाईदारों के पक्ष में आयोग द्वारा की गई अनुसंशाओं को रद्दी की टोकरी में डाल दिया गया। बटाईदारों का निबंधन कराने तक को सरकार तैयार नहीं हुई।

माले की राज्य कमिटी के सदस्य रणविजय कुमार ने कहा कि मोदी सरकार के बहुप्रचारित किसान सम्मान निधि योजना में भूमिहीन किसानों व बटाईदारों के लिए कोई प्रावधान नहीं है। उनके हक की लड़ाई लाल झंडे के नेतृत्व में लड़ी गई है और आज इस तबके ने अपनी मांगों के साथ-साथ एमएसपी को कानूनी दर्जा, एपीएमसी ऐक्ट की पुनर्बहाली आदि सवालों को उठाकर किसान आंदोलन के दायरे को व्यापक बना दिया है। भाजपा-जदयू को किसानों की व्यापकतम निर्मित होती इसी एकता से दिक्कत है।

माले नेताओं ने कहा कि मोदी व नीतीश सरकार द्वारा किसानों पर किए जा रहे जुल्म के खिलाफ  11 से 15 मार्च तक पूरे बिहार में किसान यात्राये भी निकली हैं, जिसका समापन 18 मार्च को संपूर्ण पटना में विधानसभा मार्च में होगा। 26 मार्च के भारत बंद को भी ऐतिहासिक बनाने की अपील की गई।

इन कार्यक्रमों के जरिए तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने, एमएसपी को कानूनी दर्जा देने, बिहार में एपीएमसी ऐक्ट पुनबर्हाल करने, बिजली के निजीकरण पर रोक लगाने आदि मांगें की जा रही हैं।

कार्यक्रम में समता राय, नसीम अंसारी, पन्नालाल सिंह, मुर्तज़ा अली, अशोक कुमार, अनय मेहता, रामकल्याण सिंह, राखी मेहता, कृष्ण कुमार सिन्हा,सत्येंद्र शर्मा, संजय यादव, डॉ. प्रकाश, विनय कुमार, पुनीत कुमार,शिवजी राय, विक्रांत कुमार, रवि यादव, विजय कुमार, विकास यादव, शाश्वत, रामजी यादव, प्रेमचंद सिन्हा, दिलीप सिंह, आसमा खान, रानी प्रसाद, मुश्ताक़ राहत आदि शामिल थे।