
देश को झकझोर देने वाले कठुआ और उन्नाव रेप के मामले में चौतरफा आलोचना से घिरी केंद्र सरकार की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं।इन मामलों में सरकार की संवेदनहीनता पर सिविल सेवा के कुछ सेवानिवृत्त अधिकारियों ने पांच दिन पहले प्रधानमन्त्री के नाम कही चिट्ठी लिखी थी। अब एक और चिट्ठी प्रधानमन्त्री के नाम आई है जिसे देश के जाने माने बुद्धिजीवियों और अकादमिकों ने लिखा है।
दोनों ही पत्र कठुआ और उन्नाव मामलों पर प्रधानमन्त्री की चुप्पी को लेकर हैं। PM नरेंद्र मोदी के नाम लिखी चिट्ठी में सबने एक स्वर से कहा है कि वे जनता में विश्वास बनाए रखने के लिए दोषियों पर कार्रवाई करें। कठुआ और उन्नाव मामले में शासन प्रशासन ने घोर लापरवाही बरती, सरकार और सत्तारूढ़ दल का एक वर्ग इन मामलों को हिन्दू-मुस्लिम और भाजपा सरकार की छवि खराब करने के तौर पर देखता रहा जिससे आम नागरिकों में डर का माहौल बन गया है। पत्रों में कहा गया है कि इससे देश का माहौल और नाम खराब हुआ है, इसलिए अब प्रधानमन्त्री की जिम्मेदारी है कि कैसे इस माहौल को सुधारा जाए।
माननीय प्रधानमंत्रीकठुआ में हुए छोटी बच्ची से बलात्कार के बाद तीन महीने बाद मामले में जिस प्रकार से हिन्दू मुस्लिम का मामला बनाया गया और फिर आरोपियों के समर्थन में वकीलों और कुछ हिन्दू समर्थक युवाओं ने रैली निकाली, इससे लोगों में नाराजगी है कि कैसे कोई रेप जैसे गंभीर और वीभत्स मसले को भी हिन्दू और मुसलमान में बदल सकता है।
उन्नाव में नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार में भाजपा विधायक का नाम सामने आने पर कुछ दिनों तक मामले को टाला जाता रहा और आखिर में जब पीड़ित और उसके परिवार वालों ने मुख्यमंत्री आवास के सामने आत्मदाह की कोशिश की, तो मामला सामने आया। मामला सामने आने के बाद भी आरोपी विधायक पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। इन घटनाओं से पूरे देश में नाराजगी है और हर कोई अपने स्तर पर विरोध प्रकट कर रहा है।
प्रधानमंत्री से आग्रह किया गया है कि वे आरोपियों पर कार्रवाई करें जिससे अल्पसंख्यक,दलित और महिलाएं स्वतंत्र रूप से अपने कार्य कर सकें तथा जिस स्वतंत्रता के वे अधिकारी हैं उनको मिले।
Open letter to the Prime Minister of India on the Kathua and Unnao Rape Cases – The Full Text
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