प्रतिबंध के बावजूद वायुसेना की महिला अधिकारी का टू-फिंगर टेस्ट!

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वायुसेना की एक महिला अधिकारी का टू-फिंगर टेस्ट किया गया। महिला ने अपने एक सहकर्मी पर बलात्कार का आरोप लगाया था। आपको बता दें कि इस टेस्ट पर रोक है इसके बावजूद यह टेस्ट किया गया। रेप पीड़िता का टू-फिंगर टेस्ट दोबारा रेप के बराबर होता है। इस टेस्ट पर महिला आयोग ने कड़ी आपत्ति जताई है।

क्या है मामला..

वायुसेना की एक महिला अफसर ने एक अन्य अफसर पर रेप का आरोप लगाया था। महिला अधिकारी के अनुसार, एयरफोर्स एडमिनिस्ट्रेटिव कॉलेज में ही उसके साथ रेप किया गया। इस घटना को लेकर कोयंबटूर जिले में भी प्राथमिकी दर्ज की गई थी। हालांकि आरोपी फ्लाइट लेफ्टिनेंट ने पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया। अभी आरोपी पुलिस की हिरासत में है।

SC ने टेस्ट पर लगाया है प्रतिबंध…

2014 में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने टू-फिंगर टेस्ट को अवैज्ञानिक करार दिया था। हालांकि टू-फिंगर टेस्ट रेप की पुष्टि के लिए ही किया जाता है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस पर यह कहते हुए रोक लगाई है की इस टेस्ट से रेप की पुष्टि नहीं हो सकती है। क्योंकि, यह स्पष्ट नहीं करता है कि पीड़िता पहले से ही यौन रूप से सक्रिय थी या उसके साथ बलात्कार हुआ है। टेस्ट पर रोक के बावजूद वायुसेना की महिला अधिकारी का टू-फिंगर टेस्ट किया गया। इस मामले पर महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने एयर चीफ मार्शल को पत्र लिखकर मामले पर कार्रवाई की मांग की है।

गरिमा और निजता का हनन है यह टेस्ट..

महिला आयोग में इस टेस्ट को महिला अधिकारी की गरिमा और निजता का हनन बताया और कहा कि यह शर्मनाक हरकत है। महिला आयोग ने कहा कि वायुसेना के अधिकारियों को पता होना चाहिए कि इस टेस्ट पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। टू-फिंगर टेस्ट की कई बार आलोचना भी हुई है। इसके बाद भी महिला अधिकारी का ये टेस्ट किया गया।

कोर्ट के प्रतिबंध के बावजूद यह कदम वाकई में निंदनीय है । एक महिला का बलात्कार हुआ, उसे दोबारा इसकी परीक्षा देनी पड़ी खुद को साबित करना पड़ा। क्यों महिलाओ को ऐसी परीक्षाओं से गुज़रना पड़ता है? क्या अग्नि परीक्षा का दूसरा नाम महिला है? कब तक महिलाओं का हनन होता रहेगा? कब तक वह खुद को साबित करती रहेंगी? इस टेस्ट पर कोर्ट ने पाबंदी लगाई इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने इसे अवैज्ञानिक करार दिया बावजूद इसके क्यों यह टेस्ट किया गया? यह जांच का विषय है।