एडिटर्स गिल्ड के पूर्व महासचिव ओम थानवी ने की अकबर को निकालने की माँग

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एडिटर्स गिल्ड ने एम.जे.अकबर से यौन उत्पीड़न की शिकायत पर दायर मानहानि का मुकदमा वापस लेने की माँग की थी, लेकिन अब सवाल उठ रहा है कि उन्हें एडिटर गिल्ड से बाहर क्यों नहीं किया जा रहा है। गिल्ड के पूर्व महासचिव ओम थानवी ने सार्वजनिक रूप से इसकी माँग की है। उन्होंने कहा है कि पीड़ित महिला पत्रकारों को क़ानून मदद का वादा और अकबर को साथ बनाए रखने से एडिटर्स गिल्ड पर दोहरे मानदंड का आरोप लगेगा। अकबर गिल्ड के पूर्व अध्यक्ष होने के नाते उसकी कार्यकारिणी समिति में हैं।

एम.जे.अकबर ने विदेश राज्यमंत्री रहते प्रिया रमानी के ख़िलाफ़ पटियाला हाउस कोर्ट में मानहानि का मुकदमा दायर किया था जिन्होंने सबसे पहले अकबर पर बतौर संपादक साथी महिला पत्रकारों के यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। लेकिन जब 20 महिला पत्रकारों ने खुलकर इस मामले में बयान दर्ज कराने की इच्छा ज़ाहिर की तो दबाव बढ़ा और उनका मंत्रिपद से इस्तीफ़ा हो गया।

उनके इस क़दम का स्वागत करते हुए संपादकों की संस्था एडिटर्स गिल्ड की ओर से एक बयान जारी किया गया। बयान में कहा गया कि  ‘केंद्रीय मंत्री के पद से एमजे अकबर का इस्तीफा इन महिला पत्रकारों के साहस और न्यूजरूम में जेंडर इक्वलिटी की लड़ाई की जीत है। हम उम्मीद करते हैं कि एमजे अकबर भी अपना मानहानि का मुकदमा वापस लेकर ऐसी ही सहृदयता दिखाएंगे…..एक भारतीय नागरकि होने के चलते वो केस करने के लिए आजाद हैं लेकिन उनके जैसे एक वरिष्ठ एडिटर का आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर करना विडंबना ही है, वो भी तब जब वो गिल्ड के हेड भी रह चुके हैं……फिर भी अकबर ये केस वापस नहीं लेते या दूसरी महिलाओं पर भी केस करते हैं तो गिल्ड उनकी मदद करना चाहता है. अगर उन्हें किसी भी तरह की कानूनी सलाह या मदद की जरूरत होगी तो गिल्ड उनकी मदद करेगा।’

लेकिन इस बयान के बावजूद अकबर ने मुकदमा वापस नहीं लिया। 18 अक्टूबर को दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में मानहानि मामले की सुनवाई हुई और अगली तारीख 31 अक्टूबर तय कर दी गई। इस बीच वहाँ एनडीटीवी के रवीश कुमार से बात करते हुए राजस्थान पत्रिका के सलाहकार संपादक और एडिटर्स गिल्ड के पूर्व महासचिव ओम थानवी ने माँग की कि एम.जी.अकबर को तुरंत एडिटर्स गिल्ड से हटा देना चाहिए। उन्होंने कहा कि पीड़ित महिलाओं को कानूनी मदद की पेशकश करना अच्छी बात है, लेकिन इस बात का क्या जवाब है कि अकबर अभी भी गिल्ड की कार्यकारिणी में हैं। दोनों चीज़ें एक साथ कैसे हो सकती हैं।

दरअसल, एम.जे.अकबर गिल्ड के अध्यक्ष (2005-2006) रह चुके हैं। नियम ये है कि पूर्व अध्यक्ष गिल्ड की कार्यकारिणी में सदस्य होता है। उसका नाम भी गिल्ड के पैड पर छपता है। नीचे अकबर के अध्यक्ष रहने के समय का एक लेटरहेड है जिसमें पूर्व पदाधिकारियों का ना बतौर गिल्ड के कार्यकारिणी सदस्य के रूप में दर्ज है। लैटरहेड ख़ुद अकबर ने डिज़ायन करवाया था जिसमें पता भी ‘एशियन एज’ के दफ़्तर का दर्ज है।

यानी,अकबर भी अध्यक्ष पद से हटने के बाद स्वाभाविक रूप से गिल्ड की कार्यकारिणी  समिति में हैं। ओम थानवी को यही आपत्ति है। देखना ये है कि गिल्ड अपने एक सदस्य की, सार्वजनिक रूप से की गई इस माँग पर क्या क़दम उठाता है।

 




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