मोदीराज को ‘अँग्रेज़ी राज’ बता काँग्रेस छेड़ेगी “मुक्ति संग्राम!” कार्यसमिति फिर सेवाग्राम!

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महात्मा गाँधी की 150वीं जयंती पर कल यानी 2 अक्टूबर को सेवाग्राम आश्रम में कांँग्रेस कार्यसमिति की बैठक होगी। काँग्रेस ने इस बैठक की तुलना 1942 में इसी आश्रम में हुई उस बैठक से की है जिसमें ‘अंग्रेज़ों भारत छोड़ो’ का नारा दिया गया था। काँग्रेस ने मोदी राज की तुलना ब्रिटिश राज से करते हुए आज एक विस्तृत बयान भी जारी किया है। ग़ौरतलब है कि महाराष्ट्र के वर्धा ज़िले में स्थित सेवाग्राम आश्रम ही महात्मा गाँधी के जीवन के अंतिम 12 वर्षों का स्थायी पता था और एक तरह से आज़ादी की लड़ाई का केंद्र।

नीचे पढ़िए, काँग्रेस के मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने इस संदर्भ में क्या बयान जारी किया है–


लूट-झूठ-भय-बँटवारे से मुक्ति का संग्राम – ‘फिर सेवाग्राम’

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की ‘150वीं जन्म जयंती’पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की केंद्रीय कार्यसमिति की एक महत्वपूर्ण बैठक एक बार फिर सेवाग्राम, वर्धा,में 2 अक्टूबर, 2018 को होगी।

महात्मा गांधी की अगुवाई में बर्तानवी सरकार के ज़ुल्म और गुलामी से लोहा लेने के लिए 14 जुलाई, 1942  को वर्धा में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में ‘भारत छोड़ो आंदोलन’का आग़ाज़ हुआ था। आज फिर एक‘जनविरोधी, अहंकारी व जुल्मों की द्योतक’,बीजेपी सरकार से ‘मुक्ति के संग्राम’ की आवश्यकता है।

देश आज सामाजिक, राजनैतिक व आर्थिक संक्रमण काल के दौर से गुजर रहा है। आज देश के हालात लगभग वही हैं, जैसे71 वर्ष पूर्व थे, जब देश पराधीनता की बेडि़यों में जकड़ा था। अंतर इतना है कि तब ‘अंग्रेज सरकार‘ यानि ‘बर्तानवी हुकूमत’ द्वारा हिंदुस्तानियों पर की जा रही ज्यादतियों का साम्राज्य था और आज ‘बर्तानवी हुकूमत’ की जगह ‘बीजेपी’ ने ले ली है:-

1) अंग्रेजी हुकूमत भी भारत के ‘संसाधनों को लूट’कर विदेश ले जाती थी। बीजेपी सरकार भी भारत के‘बैंक लुटेरों को विदेश भागने की खुली छूट’देकर भारत के संसाधनों पर डाका डाल रही है ।

2) अंग्रेजी हुकूमत भी भारत के बहुलतावाद को कुचल कर ‘फूट डालो और शासन करो’की नीति अपनाए थी। बीजेपी सरकार भी सांप्रदायिक-जातीय-क्षेत्रीय बंटवारे और ध्रुवीकरणके बीज बोकर ‘शकुनि’ की भांति हर हालत में सत्ता प्राप्ति के लिए ‘राजनैतिक चौसर’खेल रही है।

3) अंग्रेजी हुकूमत भी प्रजातंत्र को दरकिनार कर ‘राजशाही दरबार’में अपनी सत्ता समाहित करती थी। बीजेपी भी ‘प्रजातांत्रिक मूल्यों’ को कुचल कर मनमानियों के ‘निरंकुश मोदी राज’में विश्वास रखती है।

4) अंग्रेजी हुकूमत भी चंपारण में नील का‘तीन कठिया कानून’ बनाकरकिसानों का दमनकरती थी। बीजेपी सरकार भी किसानों को फसलों के दाम न देकर ‘आत्महत्या की ड्योढ़ी’ पर जबरन पहुंचाती है और न्याय मांगने पर किसान के ‘सीने में गोलियां’उतार देती है ।

5) अंग्रेजी हुकूमत भी समाज के ‘अंतिम पंक्ति’के लोगों का शोषण कर गुलामी की जंजीरों में धकेलती थी। बीजेपी सरकार का‘डीएनए’ (DNA) भी दलितों, आदिवासियों,पिछड़ों, अल्पसंख्यकों,महिलाओं व अंतिम पंक्ति में खड़े लोगों का शोषण व प्रताड़ना है।

6) अंग्रेजी हुकूमत भी नमक का ‘काला कानून’बना कर भारत के नागरिकों को भारी भरकम करों के बोझ में दबाती थी। बीजेपी सरकार भी‘गब्बर सिंह टैक्स (GST)और नोटबन्दी’ जैसे मनमाने फैसले थोप कर आम नागरिक व छोटे- छोटे दुकानदार तथा व्यवसायियों की रोजी रोटी पर कुठाराघात करती है।

7) अंग्रेजी हुकूमत भी ‘मुट्ठी भर अमीरों’ व ‘जमींदारों’के हितों को साधकर अपना शासन चलाती थी। बीजेपी सरकार भी ‘मुट्ठी भर अमीरों व सरमायदारों’ के लिए काम कर रही है और गरीब के अधिकार छीन भारत के संसाधनों को मुट्ठीभर अमीर दोस्तों पर लुटा रही है।

8) अंग्रेजी हुकूमत भी अपनी ‘पिट्ठू पुलिस’ व ‘खुफिया तंत्र’के माध्यम से स्वतंत्रता सेनानियों और आजादी के आंदोलन को कुचलती थी। बीजेपी सरकार भी ‘CBI, ED, पुलिस व खुफिया तंत्र’का इस्तेमाल देश हित में उठ रही विपक्ष की हर आवाज को दबाने के लिए करती है ।

9) अंग्रेजी हुकूमत भी आजादी के पक्ष में और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने वाली ‘हर कलम, अखबार व मीडिया समूह की आवाज कुचलकर’केवल अंग्रेजी हुकूमत केमुखपत्रही चलने देती थी। बीजेपी सरकार भी ‘काले कारनामों’ को उजागर करने वालों व ‘सच्चाई’ बोलने वाले हर कलमकार, अखबार व मीडिया समूह की आवाज कुचलती है। सिर्फ ‘मोदी महिमामंडन’करने वाले पत्रकारों व सरकार के ‘मुखपत्र’ की तरह काम करने वाले ‘भक्त मीडिया समूहों’ को इश्तहार व पुरस्कार से नवाजती है।

10) अंग्रेजी हुकूमत भी एक षडयंत्र के तहत पूरे विश्व में भारत की छवि‘पिछड़े, सपेरे वाले और रूढि़वादी देश’की बनाती थी। बीजेपी सरकार के मुखिया, मोदी जी भी विश्वभर में घूमकर भारत की‘छवि को नुकसान’पहुँचाते हैं और ‘70 वर्षों में भारत में कुछ नहीं हुआ’का दुष्प्रचार पूरे विश्व को बताते हैं।

भारत को लंबी लड़ाई के बाद महात्मा गाँधी ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अगुवाई में बर्तानवी साम्राज्य से स्वतंत्रता दिलाई थी। आज 71 वर्षों के बाद, श्री राहुल गांधी के नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस फिर महात्मा गाँधी के मार्ग पर चल कर संकल्प के लिए तैयार है, कि देश को आर्थिक अराजकता, किसानों के दमन, भ्रष्टाचारी बैंक लूट घोटालों व राफेल के घोटालेबाजों, बेतहाशा बेरोजगारी, महिला उत्पीड़न, दलितों-पिछड़ो-शोषितों के दमन व प्रजातंत्र के हनन वाली ‘बीजेपी सरकार’ से मुक्ति दिलाएं।




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