‘कालकोठरी’ से भी बुरी हालत में है, अहमदाबाद का सिविल अस्पताल- गुजरात हाईकोर्ट

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गुजरात के अहमदाबाद में स्थित सिविल अस्पताल राज्य में कोरोना वायरस के इलाज का सबसे बड़ा केंद्र है। गुजरात हाईकोर्ट ने अब सिविल अस्पताल को लेकर राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि अहमदाबाद का सिविल अस्पताल कालकोठरी से भी बद्तर है। आपको बता दें कि इस समय देश में कोरोना संक्रमण के मामले में गुजरात तीसरे नंबर पर और कोरोना संक्रमण से हुई मृत्यु के मामले में दूसरे नंबर पर है। राज्य में कोरोना संक्रमण से कुल 829 मृत्यु हैं। जिसमें से 377 सिर्फ़ अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में हुई हैं। कोरोना वायरस और लॉकडाउन से जुड़ी व्यवस्थाओं पर याचिका के तौर पर स्वतः संज्ञान लेते हुए जस्टिस जे.बी.पारदीवाला और जस्टिस आई.जे. वोरा की पीठ ने सिविल अस्पताल को लेकर आगे कहा कि हम इस बात से बहुत परेशान हैं कि अस्पताल में सुविधाएं इतनी ख़राब हैं। बहुत दुख के साथ ये कहना पड़ रहा है कि अहमदाबाद का सिविल अस्पताल इतने बुरे हाल में है। पीठ ने आगे कहा, “सिविल अस्पताल लोगों के इलाज के लिए है लेकिन यहां की स्थितियां देख कर लगता है कि ये किसी कालकोठरी जैसा है या शायद ये अस्पताल उससे भी कहीं ज्यादा ख़राब स्थिति में है।”

कोर्ट ने निर्देश दिया कि राज्य सरकार एक अधिसूचना जारी करके राज्य में सभी निज़ी व अन्य अस्पतालों में 50 फ़ीसदी बेड सिर्फ़ कोरोना वायरस से निपटने के लिए अरक्षित करे।

वेंटिलेटर की कमी और बढ़ती मृत्यु दर

कोर्ट ने सिविल अस्पताल का चार्ज संभाल रहे राज्य के अधिकारियों को फटकार लगाते हुए पूछा कि क्या स्वास्थ्य मंत्री और अन्य वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारियों को इस अस्पताल की ऐसी स्थिति के बारे में जानकारी है ? क्या उन्हें यहां इलाज करा रहे रोगियों और सिविल अस्पताल के कर्मचारियों के साथ हो रही समस्याएं मालूम हैं ? साथ ही कोर्ट ने राज्य में लगातार बढ़ रही मृत्यु दर को वेंटिलेटर की कमी से संबंधित देखते हुए ये भी पूछा कि क्या राज्य सरकार को वेंटिलेटर की कमी के बारे में कोई सूचना है ? इनकी कमी को राज्य सरकार किस तरह से पूरा करेगी ? और सरकार की क्या तैयारियां हैं ?

विवादित धमन-1 का उद्घाटन करते गुजरात के सीएम

दरअसल गुजरात राज्य में कोविड 19 के संक्रमण से जो मृत्यु हुई हैं, उनमें 45 प्रतिशत के करीब सिर्फ़ सिविल अस्पताल में ही हुई हैं। साथ ही राज्य में कोरोना संक्रमण को नियंत्रित करने में सरकारी तंत्र की दशा देखते हुए हाईकोर्ट के इन दो जजों की पीठ ने सुनवाई करते हुए ये सख्ती दिखाई है।

आपको बता दें कि गुजरात सरकार के लिए इस समय बहुत कुछ ठीक नहीं चल रहा है। कभी गुजरात के सी.एम के बदले जाने की अफ़वाह सुनाई देती है तो कभी मेक इन इंडिया से जोड़कर वेंटिलेटर के नाम पर मशीनीकृत एम्बू बैग अस्पतालों में लगवा  दिए जाते हैं। कांग्रेस की तरफ़ से गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी पर आरोप लगाते हुए वेंटिलेटर घोटाले तक की बात कही जा रही है। साथ ही राज्य में लगातार बढ़ते कोरोना के मामलों और उनको संभाल पाने में हो रही चूक की वजह से अब गुजरात हाईकोर्ट ने भी राज्य सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है।


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