देश भर में हुई गिरफ्तारियों पर छत्‍तीसगढ़ बचाओ आंदोलन का बयान

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PC: National Herald


छत्तीसगढ़ की वरिष्ठ मानवाधिकार कार्यकर्त्ता, ट्रेडयुनियनिस्ट, एवं हाई कोर्ट की अधिवक्ता सुधा भारद्वाज, गौतम नवलखा, स्टेन स्वामी सहित अन्य मानवाधिकार कार्यकर्ता लेखक और वकीलों की देश के कई हिस्सों में की गई गिरफ़्तारी का छत्तीसगढ़ बचाओ आन्दोलन कड़े शब्दों में निंदा करता हैं और उनकी शीघ्र रिहाई की मांग करता हैं l सुधा भरद्वाज छत्तीसगढ़ में पिछले 30 वर्षो से शहीद शंकर गुहा नियोगी के संगठन के साथ जुड़कर मजदूरो के हकों की लड़ाई लड़ रही हैं l जनपक्षीय अधिवक्ता के रूप में प्रदेश के वंचितों के अधिकारों के लिए बिलासपुर उच्च न्यायालय में सतत पैरवी कर रही हैं और प्रदेश में राजकीय दमन के खिलाफ मानवाधिकारों की रक्षा हेतु संघर्षरत हैं l

वह एक मानवाधिकार अधिवक्ता होने के नाते छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में आदिवासियों की मुठभेड़ों में बंदी प्रत्यक्षीकरण के प्रकरणों में पेश हुई और निडरता के साथ मानवाधिकार रक्षकों की पैरवी करती रही । जब हाल ही में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने छत्तीसगढ़ के सुकमा के कोडासवाली गांव में एक जांच में उनका सहयोग मांगा था तब भी वह अपनी व्यवसायिक ईमानदारी और साहस के साथ पेश आई । यदि यही उनका दोष है तो वे तमाम लोग भी उतने ही दोषी हैं जो अधिनायकवाद, फासीवाद और भूमंडलीकरण की ताकतों द्वारा पैदा खतरों और चुनौतियों का सामना रचनात्मक और आलोचनात्मक तौर-तरीकों से करते आ रहे हैं।

आज पूरे देश में भय और आतंक का माहोल पैदा किया जा रहा हैं l दलित, आदिवासी, किसान मजदूर, अल्पसंख्यकों पर लगातार हमले हो रहे हैं l फासीवादी ताकते सरकारी संरक्षण में हमले कर रही हैं – चाहे वह भीमा कोरेगांव हो या जशपुर के बछरांव गाँव जंहा उन्मादी भीड़ द्वारा आदिवासियों के संवैधानिक हकों को दर्शाते शिलालेख को तोड़ा गया l भाजपा सरकारे अपने चहेते कार्पोरेट की लूट को सुनिश्चित करने के लिए तमाम संवैधानिक व लोकतान्त्रिक अधिकारों को लगातार कुचल रही हैं l कार्पोरेट की इस लूट के खिलाफ, सरकारों की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ, फासीवादी ताकतों के खिलाफ लोकतान्त्रिक व नागरिक अधिकारों पर कार्य करने वाले, उन पर अपनी राय रखने वाले सामाजिक कार्यकर्त्ता, बुद्धिजीवी, वकील, पत्रकार. छात्र व नौजवानों को षड्यंत्रपूर्वक फर्जी मामलों में जेल भेजा जा रहा हैं l

पूर्व के दिनों में भीमा कोरेगांव के नाम पर महाराष्ट में हुई गिरफ्तारियां इसका उदाहरण हैं l छत्तीसगढ़ बचाओ आन्दोलन पुनः इन गिरफ्तारियों की कड़े शब्दों में निंदा करता हैं और सभी मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की रिहाई व् झूठे आरोप लगाकर थोपी गई धाराओं को वापस लेने की मांग करता है. सीबीए इसके खिलाफ जनता को गोलबंद कर व्यापक आन्दोलन चलाएगा l

 

भवदीय

छत्तीसगढ़ बचाओ आन्दोलन

छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा (मजदूर कार्यकर्ता समिति), अखिल भारतीय आदिवासी महासभा (छत्तीसगढ़), अखिल भारतीय किसान सभा (छत्तीसगढ़ राज्य समिति), जिला किसान संघ राजनंदगांव, भारत जन आन्दोलन, छत्तीसगढ़ किसान सभा, जनाधिकार संगठन (कांकेर), दलित आदिवासी मजदुर संगठन (रायगढ़) हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति (सरगुजा कोरबा), दलित आदिवासी मंच (सोनाखान), आदिवासी विकास परिषद् (छत्तीसगढ़ इकाई) जशपुर जिला बचाओ संघर्ष समिति, किसान संघर्ष समिति (कुरूद), उर्जाधानी भू विस्थापित कल्याण समिति (कोरबा),भूमि बचाओ संघर्ष समिति (धरमजयगढ़), मेहनतकश आवास अधिकार संघ (रायपुर) गाँव गणराज्य आन्दोलन (सरगुजा), जनशक्ति संगठन (राजनांदगांव) राष्ट्रीय बाजिव मजदूरी अधिकार मोर्चा, जनहित (बिलासपुर) उधोग प्रभावित किसान संघ (बलौदाबाजार) आदिवासी दलित मजदुर किसान संघर्ष (रायगढ़)


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