#BPSC बीपीएससी परीक्षा पेपर लीक – युवा बिहार की उम्मीदों की हार का अंतहीन सिलसिला…

दिवाकर पाल दिवाकर पाल
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आज से क़रीब सत्रह साल पहले एक फ़िल्म आई थी – अपहरण, प्रकाश झा का निर्देशन और अजय देवगन एवं बिपाशा बसु द्वारा अभिनीत। पूरी फ़िल्म देखने के दौरान एक दर्शक के तौर पर यही लगेगा, कि अजय देवगन द्वारा अभिनीत किरदार कितना मजबूर रहा होगा, बीपीएससी की बहाली में उसने पैसे भी दिए, और उसी के कारण उसे अपहरण उद्योग में भी उतरना पड़ा – मजबूरी में…

ख़ैर, वो 2005 से पहले की बात थी, जब बिहार में कथित ‘सुशासन’ की सरकार नहीं थी। बहाली उस दौर में बहुत मुश्किल थी, और पैसे के ज़ोर पर परीक्षाफल निकला करते थे।

BPSC पेपर लीक..फिर से?

लेकिन, 2022 में ये बात करने का औचित्य क्या है? क्योंकि 8 मई, 2022 को BPSC  यानी कि बिहार लोक सेवा आयोग ने 67वीं परीक्षा का PT आयोजित किया और इससे पहले कि परीक्षार्थी अपनी परीक्षा पूरी कर पाते, परीक्षा रद्द कर दी गई। एक किशनगंज का निवासी, जो परीक्षा लिखने आरा गया था (बता दूँ, आरा किशनगंज से ट्रेन से क़रीब 12 घंटे की दूरी पर है), उसे परीक्षा केंद्र से बाहर निकलने और आरा स्टेशन तक पहुँचाने से पहले ही पता चल गया कि परीक्षा रद्द कर दी गई है – कारण – पेपर लीक।

2 दशक में बदला क्या?

मुझे अपना बचपन याद आ रहा है आज – शायद साल 2006 की बात है। मेरे अल्मा मैटर सेंट ज़ेवियर स्कूल के बाहर एमबीए की परीक्षा में CAT के परीक्षार्थियों का प्रदर्शन। ये वही दिन है, जब मैं खुद जमशेदपुर गया हुआ था – NUJS की परीक्षा लिखने के लिए। मैं परीक्षा लिख कर बाहर आया, और एक सांध्य दैनिक के पन्नों पर मैंने अपने स्कूल की तस्वीर देखी – परीक्षार्थी प्रदर्शन कर रहे थे – CAT की परीक्षा के पेपर लीक होने के कारण।

16 साल बीत गए हैं, रणजीत डॉन फ़िलहाल नालंदा के अपने पुश्तैनी घर में रहता है (वही व्यक्ति जिसपर CAT की परीक्षा और साथ ही अन्य कई परीक्षाओं के प्रश्न-पत्र लीक कराने और बदले में मुश्त मोटी रक़म वसूलने का आरोप रहा है), और मेरे सूत्र की व्यक्तिगत मुलाक़ात के आधार पर, उसने ऐसा सारा काम छोड़ दिया है। मगर, 8 मई को भी, BPSC द्वारा आयोजित 67वीं परीक्षा का प्रश्नपत्र परीक्षा से आधे घंटे पहले telegram के कुछ ग्रूप्स में घूम रहा था, और नाटकीय घटनाक्रम में – जिसके बारे में बात करना भी बेमानी है – परीक्षा के ख़त्म होने से पहले ही BPSC ने परीक्षा रद्द कर दी, और एक जाँच कमिटी बिठाकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली।

परीक्षा रद्द, आगे क्या?

बिहार के डीजीपी एसके सिंघल ने पेपर लीक और फिर रद्द हो जाने के बाद, रविवार को मीडिया को जानकारी देते हुए कहा, “बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की 67 वीं संयुक्त (प्रारंभिक) प्रतियोगी परीक्षा रद्द कर दी गई है। बीपीएससी जांच समिति ने पाया कि परीक्षा का सेट सी लीक हो गया था. मामले की गहन जांच के लिए आर्थिक अपराध इकाई को सौंप दिया गया।” इसके बाद 10 मई इस मामले में एक आरोपी को हिरासत में लिया गया है। आर्थिक अपराध इकाई (EOW) ने भोजपुर के बरहरा BDO को हिरासत में लिया है। 3 सदस्यों की जांच समिति बनाई तो गई है पर कब तक वो अपनी रिपोर्ट सौंपेगी और तब तक कोई परीक्षा होगी या नहीं होगी, इस बारे में अब शायद ही कोई जानता है।

ये BDO जयवर्धन गुप्ता, वीर सिंह कॉलेज में एग्जाम सेंटर मजिस्ट्रेट थे। बताया जा रहा है कि यहीं  प्रश्न पत्र को लेकर सबसे ज्यादा गड़बड़ी पाई गई। EOW की टीम ने मंगलवार सुबह, गुप्ता को उनके आवास से गिरफ्तार किया और टीम उन्हें जांच के लिए पटना लेकर आ गई।

मामला कितना संगीन?

मामला कितना संगीन है, इसके लिए बस इतना जानना काफी है कि ये पेपर टेलीग्राम पर कहीं एक रात पहले से तो कहीं परीक्षा की सुबह से घूम रहा था। ज़ाहिर है कि जिनके लिए लीक करवाया गया होगा, उनके पास शायद और पहले से रहा हो। पटना, वैशाली, आरा, औरंगाबाद, सीतामढ़ी के परीक्षा केंद्रों पर परीक्षा देने के बाद उम्मीदवारों ने, टेलीग्राम पर वायरल हो रहे, प्रश्नपत्र से सवाल मिलाए। ये सवाल बिल्कुल वही थे, बीपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा का सेट-C लीक हुआ था। इसका सीधा अर्थ है कि न केवल पेपर लीक कराने वाला परीक्षा माफ़िया अभी भी सक्रिय है, बल्कि उसकी जड़ें अंदर से कहीं भी कमज़ोर नहीं हुई हैं।

परीक्षार्थी की व्यथा…लेखक, ख़ुद एक पीड़ित है

यहाँ मैं उन परीक्षार्थियों की दुर्दशा की बात करना चाहूँगा, जिन्होंने क़रीब दो साल तक इंतज़ार के बाद आज परीक्षा लिखी थी, अपने घर से मीलों दूर के सफ़र, जो शायद उनके माता-पिता की जेब पर हारी पड़ा हो, या, उनकी खुद की जेब पर, या शायद किसी मित्र से उधार ही लेना पड़ा हो।

ख़ैर, बिहार में परीक्षा का रद्द होना कोई नई बात नहीं – नीतीश कुमार ने भले ही बड़े-बड़े वादे किए हों, लेकिन लालू यादव के जमाने की इस दुर्दशा पर वो भी कोई ज़मीनी काम नहीं कर पाएँ हैं, और उनकी सबसे बड़ी नाकामियों में बिहार में रोज़गार न दे पाना तो है ही, साथ ही, उन परीक्षाओं को नियमित कर पाना भी उनके बस में नहीं रहा, जिनके नियोजन के वादों पर वो पहली बार 2005 में मुख्यमंत्री बन कर आए थे।

चलिए, अंत में मैं अपनी बात भी कह ही दूँ – साल 2020 में BPSC ने सहायक अभियोजन पदाधिकारी के पदों के लिए बहाली निकाली थी, और फ़रवरी 2021 में इसकी प्रारम्भिक परीक्षा भी आयोजित की थी। इसका परीक्षाफल मई 2021 में आ गया था, और अगस्त 2021 में मुख्य परीक्षा आयोजित की गई थी। मैं खुद, इस प्रारम्भिक परीक्षा का एक सफल विद्यार्थी हूँ, और अगस्त में पटना में आयोजित परीक्षा के लिए मैं उपस्थित था। परंतु, परीक्षा के क़रीब 18 घंटे पहले ही यह परीक्षा रद्द कर दी गई – जिसके बारे में आज तक कोई सूचना आयोग के वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं है। और आज भी मैं इस मुख्य परीक्षा के इंतज़ार में हूँ।

 

इस स्टोरी के लेखक दिवाकर पाल मीडिया विजिल टीम का हिस्सा हैं और ख़ुद भी बीपीएससी परीक्षा के प्रतिभागी रहे हैं।