‘जो भारत में हो रहा है, उस पर हमारी निगाह’ – अमेरिका की सीधी चेतावनी?

मयंक सक्सेना मयंक सक्सेना
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अमेरिकी विदेश मंत्री, एंटनी ब्लिंकेन ने अपने भारतीय समकक्ष विदेश मंत्री एस जयशंकर और भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ बातचीत में प्रत्यक्ष तरीके से, भारत में हो रहे मानवाधिकार उल्लंघन का मामला उठा दिया है। अंतर्राष्ट्रीय दुनिया और मीडिया में इसे एक तरह से भारत सरकार के लिए प्रत्यक्ष चेतावनी के तौर पर देखा जा रहा है। यही नहीं, इसके जवाब में भारतीय विदेश मंत्री ने इसी प्रेस वार्ता में एक शब्द न कह कर, चुप्पी साधना ही ठीक समझा।

दरअसल रूस के यूक्रेन पर हमले के कारण पैदा हुए कूटनीतिक हालात में अमेरिका से रिश्तों को संभालने के लिए विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री, अमेरिका दौरे पर हैं।  रूस के ख़िलाफ़ कोई स्टैंड न लेने को लेकर, अमेरिका ने भारत से लगातार नाराज़गी जताई है। माना जा रहा है कि ऐसे में पैदा हुई कड़वाहट को दूर करने का ज़िम्मा, विदेश मंत्री एस जयशंकर को सौंपा गया है। साथ ही कुछ रक्षा सौदों के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को भी अमेरिका भेजा गया है। ऐसे में प्रेस कांफ्रेंस में सार्वजनिक तौर पर ब्लिंकेन का ये बयान, भारत सरकार को असहज करने वाला है।

ब्लिंकेन ने कहा, “हम लगातार अपने भारतीय साझेदारों से, साझा लोकतांत्रिक मूल्यों पर बात करते रहे हैं। हम हाल में भारत में हुई कुछ चिंताजनक घटनाओं पर निगाह बनाए हुए हैं, जिनमें कुछ सरकारी, पुलिस और जेल अधिकारियों द्वारा मानवाधिकार उल्लंघन की घटनाओं में बढ़ोत्तरी सामने आई है।”

ब्लिंकेन ने ये बातें, एक साझा प्रेस कांफ्रेंस में कही, जहां उनके साथ हुई बातचीत के बाद यूएस डिफेंस सेक्रेटरी लॉएड ऑस्टिन, भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी मौजूद थे। ब्लिंकेन ने इस से आगे कुछ और नहीं कहा लेकिन उन्होंने जो कहा, उसका अर्थ साफ था। यही नहीं, उसी प्रेस कांफ्रेंस में मौजूद 2 भारतीय मंत्रियों में से किसी ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।

माना जा रहा है ब्लिंकेन का ये बयान, अमेरिका में भी कांग्रेस और सीनेट में भारत में बढ़ती सांप्रदायिकता और उस पर सरकार की निष्क्रियता और चुप्पी के बढ़ते विरोध के कारण आया है। तीन दिन पहले ही, दुनिया भर में; अमेरिकी रिप्रेसेंटेटिव (सांसद) इलहान ओमर का वो बयान वायरल था, जिसमें विदेश मामलों की संसदीय समिति में उन्होंने भारत से कूटनीतिक संबंधों को लेकर, उप विदेश मंत्री वेंडी शरमन से तीखा सवाल किया था। इलहान ने पूछा था, “भारतीय पीएम मोदी को मुस्लिम आबादी के साथ आखिर और क्या करना होगा कि हम उनको शांति में साझेदार मानना बंद करें?” ओमर, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की पार्टी से ही हैं और माना जा रहा है कि इन सवालों को लेकर, डेमोक्रेटिक पार्टी में भी लगातार सवाल उठ रहे हैं।

लेकिन इस प्रेस कांफ्रेंस में भारतीय विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री की मौजूदगी और चुप्पी के कितने मतलब हैं? क्या मोदी सरकार, इसके बाद भी इन मामलों को लेकर गंभीर होगी? दिखावे के लिए ही सही, कुछ करेगी या फिर अमेरिका का ये रुख और पूरी अंतर्राष्ट्रीय राजनीति ही सिर्फ एक दिखावा है।

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