बिहार में खुलेंगी ज़्यादातर दुकानें- संक्रमण को न्यौता?

जगन्नाथ
ख़बर Published On :


लॉकडाउन के लगभग डेढ़ महीने बाद बिहार सरकार ने बुधवार को एक नया आदेश जारी कर के, कई तरह की दुकानें खोलने की छूट दे दी है| लेकिन ये कदम ख़तरनाक़ भी हो सकता है, क्योंकि शुरुआती लापरवाही के बाद – अब बिहार में लगातार कोविड 19 संक्रमण के नए मामले सामने आ रहे हैं। मज़े की बात ये है कि लापरवाही या संभावित ख़तरे का ठीकरा, इस आदेश पर नहीं बल्कि ज़िलाधिकारी पर फोड़ने की तैयारी है। बिहार सरकार के गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव आमिर सुबहानी द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि दुकानों के खुलने की वजह से भीड़भाड़ न हो, यह सुनिश्चित करना जिलाधिकारी की जिम्मेदारी होगी| इसके लिए उन्हें अपने-अपने क्षेत्र में दुकानों को खोलने के आदेश निर्गत करने का भी अधिकार है।
इस आदेशपत्र में सभी जिलाधिकारियों को आदेश दिया गया है कि वे अपने-अपने क्षेत्र के अंतर्गत, बताई गई सामग्रियों की दुकानें खोलने का आदेश जारी कर सकते हैं। जिसमें इलेक्ट्रॉनिक्स समानें जैसे- इलेक्ट्रिकल गुड्स, पंखा, कूलर, एयर कन्डीशनर्स, मोबाइल, कंप्यूटर, लैपटॉप, बैटरी आदि के विक्रय और मरम्मत, ऑटोमोबाइल्स, टायर एवं ट्यूब्स, मोटर वाहन/मोटर साइकिल/स्कूटर की मरम्मत आदि की दुकानें शामिल हैं। इसके अलावा, निर्माण सामग्री के भण्डारण एवं बिक्री से सम्बंधित प्रतिष्ठान जैसे- सीमेंट, स्टील, बालू, स्टोन, मिटटी, प्लास्टिक पाइप, हार्डवेयर, सैनिटरी फिटिंग, लोहा, पेंट, शटरिंग सामग्री आदि हैं। साथ ही, शर्त है कि सभी ऑटोमोबाइल्स, स्पेयर पार्ट्स की दुकानें प्रत्येक एक दिवस के अन्तराल पर खोली जा सकती है। जबकि गैरेज और वर्कशॉप प्रतिदिवस खोला जा सकता है।
साथ ही दुकानें खोलने के लिए कुछ शर्तें भी रखी गई हैं और कहा गया है कि सभी प्रकार की दुकानों को खोलने के सम्बन्ध में भीड़ को कम करने के लिए जिला पदाधिकारी दिन के अलग-अलग समय अथवा अलग-अलग दिनों में दुकानें खोलने का निर्णय ले सकते हैं। साथ ही, दुकानों को कब और किस दिन खोलना है इसका आदेश जिलाधिकारी अलग से जारी करेंगे। सभी दुकानें सुबह सात से शाम सात बजे तक खुलेंगी| यह आदेश कंटेनमेंट जोन में लागू नहीं होगा। यह आदेश अप्रैल के आखिरी सप्ताह में भारत सरकार द्वारा जारी उस आदेश के अंतर्गत जारी किया गया है, जिसमें किताब-कॉपी और इलेक्ट्रॉनिक्स की कुछ दुकानें खोलने की छुट दी गयी थी।
गौरतलब हो कि बिहार में 22 मार्च को जनता कर्फ्यू के दौरान मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार ने लॉकडाउन की घोषणा कर दी थी और अगले दिन यानी 23 मार्च से ही बिहार में लॉकडाउन लागू है। जबकि पूरे देश में 25 मार्च से लॉकडाउन लागू हुआ था। मीडिया से बात करते हुए जल संसाधन मंत्री संजय झा ने कहा कि अभी अगले छह माह तक लोगों को कोरोना के पहले वाले समय को भूल जाना चाहिए। आगे उन्‍होंने कहा कि सरकार आरटीपीएस कांउटर को नयी व्यवस्था के साथ आरंभ कर सकती है। ऑनलाइन माध्यम से सेवाओं के लिए आवेदन को ज्यादा प्रोत्साहित किया जाएगा। स्कूलों में पढ़ाई की व्यवस्था को अधिक से अधिक वर्चुअल क्लास की ओर ले जाने पर विचार चल रहा है। लेकिन आख़िर 6 महीने तक ये ही हालात रहने का दावा करने वाली सरकार – इस तरह से इतनी तरह की दुकानें खोलने की इजाज़त आख़िर क्यों दे रही है?
ये साफतौर पर माना जा रहा था कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी बिहार में सभी सेवाएं तुरंत शुरू नहीं होगी। राज्य सरकार इस प्रस्ताव पर काम भी कर रही थी कि लॉकडाउन अगर खत्म होता है तो यहां चरणबद्ध तरीके से ही सेवाएं शुरू की जाएगी। लेकिन इस आदेश के बाद लगभग सभी क्षेत्र की दुकानें खोलने में बिहार सबसे अग्रणी राज्यों में से हैं। मज़े की बात है कि संक्रमण का कैरियर बन जाने की आशंका में, कोटा में फंसे बिहार के छात्रों से लेकर प्रवासी श्रमिकों तक को बिहार सरकार वापस लाने को तैयार नहीं थे।
सच ये है कि शुरुआती दिनों में कोरोना के सबसे कम केस होने का दावा करने वाले, बिहार में बीते कुछ दिनों से कोरोना का कहर बढ़ता ही जा रहा है। पिछले दो-तीन सप्ताह में कोरोना पॉजिटिव के दरें दुगुनी हो रही हैं| बिहार में कोरोना संक्रमण के सात नये मामले के प्रकाश में आने के साथ प्रदेश में संक्रमित मामले अब बढ़कर 542 हो गए हैं। कल के यह सात संक्रमण मधुबनी, शिवहर, भागलपुर, कैमूर, पूर्णिया और पटना जिले से मिले हैं| इसकी जानकारी स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने ट्वीट करके दी हैं। एक अन्य ट्वीट कर उन्होंने एक ग्राफ भी साझा किया हैं| जिसके अनुसार, अप्रैल के तीसरे सप्ताह में 71, आखिरी सप्ताह में 282 तथा मई के प्रथम सप्ताह में 117 नए संक्रमित मामले दर्ज़ किया गया हैं।
विशेषज्ञों के मुताबिक, बिहार में शुरुआती दौर में कोरोना के कम केस होने का कारण – संक्रमण का न होना नहीं बल्कि टेस्ट्स का न होना था। ऐसे में सरकार के लगभग सभी तरह की दुकानें खोलने के आदेश के बाद, ये तय है कि संक्रमण का ख़तरा बढ़ जाएगा। ऐसे में ज़िलाधिकारी, प्रशासन और पुलिस गली-मुहल्लों में फ़िज़िकल डिस्टेंसिंग को कैसे लागू कर सकेंगे – ये लॉकडाउन में छूट मिलते ही हमको दिखने लगेगा।

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