लॉकडाउन में भूख के विरुद्ध भात के लिए: 12 अप्रैल को 10 मिनट तक थाली बजाने का आह्वान

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भारत की कम्युनस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) ने केंद्र व राज्य सरकारों से बिना किसी भेदभाव के सभी लोगों के लिए तत्काल राशन व अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने की मांग की है. लाॅकडाउन के दौर में गरीबों व सभी जरूरतमंदों के लिए भोजन की व्यवस्था करने के सवाल पर आगामी 12 अप्रैल को देशव्यापी मांग दिवस आयोजित करने का फैसला किया है. इस दिन ‘लाॅकडाउन में भात के लिए’ की केंद्रीय मांग के साथ यह कार्यक्रम शारीरिक दूरी व कोरोना के रोकथाम के सभी सुझावों का पालन करते हुए लागू किया जाएगा.

भाकपा (माले) ने सभी गरीबों, दिहाड़ी मजदूरों व भूख से जूझ रही जनता से आह्वान किया है कि वो 12 अप्रैल को 2 से 2.30 बजे तक अपने-अपने घरों में 10 मिनट के लिए थाली अथवा अन्य चीजें बजाकर सरकार को संदेश दें कि वह सभी जरूरतमंदों के लिए राशन की तत्काल व्यवस्था करे. पार्टी ने समाज के प्रबुद्धजनों से भी इस कार्यक्रम में सहयोग की अपील की है.

वहीं एक अन्य बयान में बिहार की वामपंथी पार्टियों ने लॉकडाउन के चलते मजदूरों, गरीबों और किसानों के जीवन पर आए इस गहरे संकट व भुखमरी की स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की है। भाकपा-माले के राज्य सचिव कुणाल, सीपीआई के राज्य सचिव सत्यनारायण सिंह और सीपीआई(एम) के राज्य सचिव अवधेश कुमार ने संयुक्त बयान में कहा है कि सरकार के प्रयास बेहद कमजोर हैं. बिना कार्ड वाले गरीबों तक तो अभी राशन का एक अंश नहीं पहुंचा है, जिसके कारण उनके सामने भुखमरी की स्थिति पैदा हो गई है. कामगार प्रवासियों के आधार कार्ड अपडेट न होने के कारण 1000 रुपए की राशि नहीं मिल पा रही है. उन्होंने कहा कि सरकार रूटीन वर्क की बजाय युद्ध स्तर पर काम करे और सबके भोजन की गारंटी करे. नेताओं ने कहा किसरकार ने कुछ जगहों पर सामुदायिक किचेन की शुरुआत की है, लेकिन शहरों में हर वार्ड और प्रत्येक गांव में इस प्रकार की व्यवस्था सुनिश्चित की जानी चाहिए.

दरअसल बिहार में कोरोना के वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है.  बिहार में संक्रमित मरीजों की  संख्या 62 तक पहुंच गई है. स्वास्थ्य विभाग के अनुसार बिहार के 11 जिलों में कोरोना के मरीज मिले हैं. इस महामारी से राज्य में अब तक एक व्यक्ति की मौत भी हुई है. वहीं लॉकडाउन के चलते बिहार में बड़ी संख्या में मजदूर घऱों में खाली बैठे हैं जिसके चलते उनके सामने रोजी-रोटी की समस्या खड़ी हो गई है. दिल्ली-मुंबई जैसे महानगरों से भी मजदूर वापस बिहार में लौट आए हैं. ऐसे में राज्य में रोजगार का संकट बढ़ गया है.

वाम नेताओं ने कहा कि उन्होंने राज्य सरकार से इस महाविपदा की घड़ी में मिलजुलकर काम करने की अपील की है, लेकिन सरकार इसे अनसुना कर रही है. वह न केवल अपनी मनमर्जी कर रही है बल्कि कोरोना और लॉकडाउन के नाम पर लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का दमन करने में लगी है. यह बहुत ही निंदनीय है. प्रशासन लगातार दमनात्मक व्यवहार अपनाये हुए है, और गरीबों को राहत देने की बजाय उनपर डंडे चला रहा है. नेताओं ने कहा कि वो इस दमन पर तत्काल रोक लगाने, राहत अभियान में अन्य राजनीतिक पार्टियों-सामाजिक संघटनों को शामिल करने और तत्काल एक सर्वदलीय बातचीत आयोजित करने की मांग करते हैं. सरकार अन्य राजनीतिक दलों-सामाजिक संगठनों के लिए पास जारी कर, ताकि वे भी अपने स्तर से भूख और बीमारी से जूझ रही जनता के लिए कुछ कर सकें.

वाम नेताओं ने कोरोना के नाम पर साम्प्रदयिक साजिश रचने, मुस्लिमों के खिलाफ दुष्प्रचार करने और गरीबों पर सामंती जुल्म ढाने की घटनाओं और प्रवृति की कड़ी निंदा की है. उन्होंने कहा कि इस महामारी के दौरान जहां उम्मीद थी कि सब मिलकर इसके खिलाफ लड़ेंगे, भाजपा व संघ के लोग तबलीगी जमात का बहाना बनाकर अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरत फैला रहे हैं.

बिहार के भोजपुर, पश्चिम चंपारण और कई अन्य जिलों से ऐसी खबर मिली हैं कि आरएसएस के लोग यह दुष्प्रचार कर रहे हैं कि मुस्लिम लोग ही कोरोना फैला रहे हैं. कोरोना के जरिये साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण करने की कोशिश बेहद निंदनीय है. लेफ्ट नेताओं ने कहा कि वो सरकार से मांग करते हैं कि ऐसी प्रवृतियों पर लगाम लगाये और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करे.

वाम नेताओं ने कहा कि एक तरफ मुस्लिमों पर हमला है तो दूसरी ओर सामंती ताकतों ने गरीबों पर और खासकर मुसहर टोलियों पर हमला बोल दिया है. इसमें कई लोगों की हत्या भी हो चुकी है. भोजपुर के सारा मुसहर टोली से लेकर पटना के तिनेरी व अन्य मुसहर टोलियों, जहानाबाद, गोपालगंज आदि जिलों में प्रशासन के सरंक्षण में दबंग लोग कोहराम मचाये हुए हैं, गरीबों पर हमले कर रहे हैं, धमकी दे रहे हैं कि कोरोना बीमारी की आड़ में जिंदा जलाकर मार देंगे. बिहार सरकार इन मामलों में तत्काल हस्तेक्षप करे और गरीबों की सुरक्षा की गारंटी करे. प्रशासन शराब के नाम पर गरीबों को लगातार परेशान करने में लगा हुआ है.

वामपंथी नेताओं ने कहा कि न केवल आम गरीबों को बल्कि आज देश में जगह-जगह डॉक्टरों को भी निशाना बनाया जा रहा है. PPE की मांग कर रहे डॉक्टरों को तो सरकार ही निशाना बना रही है. यह बेहद अन्यायपूर्ण है. सुविधाओं के अभाव में बड़ी संख्या में डॉक्टर संक्रमित हो रहे हैं. सरकार उनकी मांगों की लगातार उपेक्षा करके उनके मनोबल को गिराने का ही काम रही है. बिहार में भी डॉक्टरों के पास कम ही साधन हैं. सरकार सभी डॉक्टरों के लिए आवश्यक उपकरण उपलब्ध कराने की गारंटी करे, ताकि वे भयमुक्त होकर रोगी का इलाज कर सकें. बिहार में कोरोना के केस कम हैं, लेकिन यहां जांच भी बहुत कम है. इसलिये हमारी मांग है कि जांच की संख्या और केंद्र में अविलम्ब बढ़ोतरी की जाए.

वाम नेताओं ने कहा कि लॉकडाउन के कारण अस्पतालों में ओपीडी सेवाएं बन्द हो गई है. जिसके कारण कैंसर, हृदय और अन्य गम्भीर बीमारियों से जूझ रहे लोगों की हालत दिन-प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है. एक रिपोर्ट के अनुसार विगत 2 सप्ताह में ब्रेन स्ट्रोक की घटनाओं में तेजी से वृद्धि हुई है. ये बहुत चिंताजनक है. उन्होंने कहा कि ओपीडी सेवाओं और अन्य इमरजेंसी सेवाओं को भी तत्काल बहाल किया जाना चाहिए.

कटनी की प्रक्रिया में तेजी लाना होगा और इस काम को मशीन की बजाय मनरेगा व अन्य मजदूरों से करानी होगी. मौसमी फलों, सब्जी विक्रेताओं के सामने भी गम्भीर समस्याएं हैं. नेताओं ने सरकार से मांग की है कि वो किसानों के उत्पाद की खरीद की गारंटी करे. वाम नेताओं ने यह भी कहा कि सरकार हड़ताली शिक्षकों पर दमनात्मक कार्रवाई बन्द करे, उन्हें वेतन प्रदान करे और गतिरोध का हल निकाले.


विज्ञप्ति: कुमार परवेज़, राज्य कार्यालय सचिव CPIML द्वारा जारी