‘भारत बंद’ को 11 पार्टियों का समर्थन, RSS के किसान संघ ने काटी कन्नी

मीडिया विजिल मीडिया विजिल
ख़बर Published On :


तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली घेरे किसानों के 8 दिसंबर के भारत बंद को जबरदस्त समर्थन मिल रहा है। 10 श्रमिक संघों के अलावा कांग्रेस, लेफ्ट, डीएमके, आम आदमी पार्टी, बीएसपी, समाजवादी पार्टी, आरजेडी सहित 11 से ज़्यादा पार्टियों ने इसका समर्थन कर दिया है। दिल्ली में टैक्सी-ऑटो संघों ने भी भारत बंद का समर्थन किया है। किसान संगठनों के संयुक्त बयान में कहा गया है कि दूध, फल और सब्जी की सप्लाई भी रोकी जायेगी। सिर्फ इमरजेंसी सेवाओं पर रोक रहेगी।

स्वराज इंडिया के प्रमुख योगेंद्र यादव ने कहा, मंगलवार को सुबह से शाम तक भारत बंद रहेगा। दोपहर तीन बजे तक चक्का जाम रहेगा। दूध, फल व सब्जी पर रोक रहेगी। शादी व इमरजेंसी सेवाओं पर किसी तरह की रोक नहीं होगी। विपक्षी दलों ने रविवार शाम संयुक्त बयान जारी कर कहा, संसद में बिना वोटिंग व चर्चा के जल्दबाजी में पास कराए गए कृषि कानून भारत की खाद्य सुरक्षा के लिए खतरा हैं। ये हमारे किसानों व कृषि को तबाह करने वाले हैं।

केंद्र सरकार को लोकतांत्रिक प्रक्रिया का पालन करते हुए हमारे अन्नदाता किसानों की मांगें माननी चाहिए। बयान पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, माकपा महासचिव सीताराम येचुरी, गुपकार अलायंस के नेता फारूक अब्दुल्ला, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव व अन्य के हस्ताक्षर हैं।

काँग्रेस के पार्टी के संगठन महासचिव के.सी.वेणुगोपाल की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि पार्टी विभिन्न किसान यूनियनों / संगठनों द्वारा आहूत “भारत बंद” के आह्वान को अपना सक्रिय समर्थन देते हुए पूरी भागीदारी करेगी। इससे पूर्व भी कांग्रेस पार्टी ने संसद से सड़क तक तीन किसान विरोधी काले क़ानून के खिलाफ मज़बूती से लड़ाई लड़ी है। डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन ने कहा, कानूनों को वापस लेने की किसानों की मांग एकदम जायज है। अभिनेता कमल हासन की मक्कल निधि मयम ने भी किसानों का समर्थन किया है। आप नेता गोपाल राय ने कहा, पार्टी के सभी कार्यकर्ता और वालियंटर्स किसानों के समर्थन में  बंद में हिस्सा लेंगे। शनिवार को वाम दलों, टीएमसी, राजद और दस ट्रेड यूनियनों ने भी भारत बंद का समर्थन करने की घोषणा की थी।

इस बीच कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने कहा है कि सरकार कृषि कानूनों को वापस नहीं लेगी। तीनों कृषि कानून किसानों के हक में हैं। अगर जरूरी हुआ तो सरकार किसानों की कुछ मांगों को मानते हुए इनमें संशोधन कर सकती है। देश के असली किसान कानूनों से चिंतित नहीं है और अपने खेतों में काम कर रहे हैं। कुछ दलों ने राजनीतिक फायदे के लिए आंदोलन कर रहे लोगों को लालच दिया है। लिहाजा उन्हें ऐसे लोगों के लालच में नहीं आना चाहिए।

इस बीच आरएसएस से जुड़े भारतीय किसान संघ ने भारत बंद में शामिल होने से इंकार कर दिया है। वह पहले किसानों की माँग का समर्थन कर रहा था,लेकिन लगता है कि मोदी सरकार को घिरते देख उसने पैर कदम पीछे खींच लिये।