बिलरियागंज में राजद्रोह के आरोपितों की ज़मानत याचिका खारिज, बाकी जगहों पर RC जारी

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उत्तर प्रदेश सरकार सीएए विरोधी आंदोलन के दौरान हुए सार्वजनिक नुकसान का जुर्माना न भरने वाले आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई करेगी. इस सिलसिले में सरकार ने लखनऊ और मुजफ्फरनगर में जुर्माना अदा करने वालों को आरसी (वसूली नोटिस) जारी कर दी है. आरसी की अवधि पूरी होने तक अगर जुर्माना नहीं भरा गया तो सरकार उनको गिरफ्तार कर उनकी संपत्ति ज़ब्त कर लेगी.

लखनऊ में 57 आरोपितों से 1.05 करोड़, गोरखपुर में आठ आरोपितों से 90 लाख और मुजफ्फरनगर में 53 आरोपितों से 23.04 लाख रुपये की वसूली की जानी है जबकि कानपुर और फिरोजाबाद में आरोपित बनाये गये लोगों ने अपनी जुर्माना राशि जमा कर दी है. इस सिलसिले में कानपुर से 1.75 लाख रुपये की वसूली की जा चुकी है. कानपुर में 2.83 लाख का नोटिस जारी किया गया था.

इस बीच आजमगढ़ की जिला और सत्र अदालत ने राजद्रोह के 19 आरोपितों की ज़मानत याचिका को खारिज कर दिया है. इन सभी लोगों को नये नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर 5 फरवरी को गिरफ्तार किया गया था. जिला और सत्र न्यायाधीश प्रमोद कुमार शर्मा ने फैसला सुनाते हुए कहा कि मामले के सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए और अपराध की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए ज़मानत देने का कोई आधार नहीं है.

उत्तर प्रदेश पुलिस ने बिलरियागंज थाना क्षेत्र के जौहर अली पार्क में विरोध प्रदर्शन के दौरान राष्ट्रविरोधी नारे लगाने और दंगा करने का आरोप लगाते हुए 19 लोगों को गिरफ्तार किया था. इन 19 लोगों में राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल के महासचिव ताहिर मदनी (65) शामिल हैं. एफआइआर के अनुसार आरोपित 35 व्यक्तियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ नारेबाज़ी की और हिंदू समुदाय को गालियां दी थी.

इन सभी आरोपितों पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 124(A) (देशद्रोह), 147 (दंगा), 153(A) (विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 504 (शांति भंग), 307 (हत्या का प्रयास), 120(बी) (आपराधिक साजिश) और सार्वजनिक संपत्ति अधिनियम और आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम के नुकसान की रोकथाम की धाराओं के तहत मुकदमे दर्ज किये गये थे.

केस की सुनवाई के समय आरोपियों ने अपनी बात रखते हुए न्यायालय को बताया कि उनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है. वे आजमगढ़ के स्थायी निवासी हैं. राज्य पुलिस ने उनकी गिरफ्तारी के समय कोई हथियार बरामद नहीं किया था, जो कि उनकी ज़मानत का आधार था जबकि अदालत के आदेश में ऐसी किसी भी परिस्थिति पर चर्चा नहीं की गयी थी।

यूपी के मुजफ्फरनगर में सीएए के विरोध में पिछले साल 20 दिसंबर को हुए उपद्रव के मामले में एसआइटी ने 38 लोगों के खिलाफ चार्जशीट कोर्ट में दाखिल कर दी है. जज रविकांत यादव ने चार्जशीट का संज्ञान लेते हुए उक्त सभी 38 आरोपियों को 31 मार्च को कोर्ट में पेश किए जाने के आदेश पुलिस को दिए हैं. 38 आरोपितों में से 37 को पहले ही ज़मानत मिल चुकी है जबकि एक अब भी जेल में बंद है.