आशाकर्मी हड़ताल पर: समय पर वेतन, बकाया भुगतान, कोरोना भत्ता की मांग !

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ऑल इंडिया स्कीम वर्कर्स फेडरेशन के बैनर तले देश भर के आशा कर्मी अपनी कई मांगों को लेकर 7 अगस्त से दो दिन की हड़ताल पर रहे। वहीं बिहार ये हड़ताल अभी जारी है। आशा कर्मी वेतन में बढ़ोतरी, समय पर वेतन देने, बीमा और जोखिम भत्ता जैसी सुविधाएं मुहैया कराने की मांग कर रहे हैं।

बिहार के करीब एक लाख आशा कर्मी 6 अगस्त से 4 दिवसीय हड़ताल पर हैं। आशा कर्मी जनवरी 19 की हड़ताल में हुए समझौते के अनुसार रोक रखे गए 1000 रुपये के मासिक पारितोषिक का लाभ देने सहित राज्यस्तर की 7 व केंद्र स्तर की 15 मांगों को पूरा करने की मांग कर रहे हैं।

बिहार में संयुक्त संघर्ष मंच के बैनर तले हो रही हड़ताल में राज्य के सभी तीनों आशा संघ- बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ, आशा संघर्ष समिति व बिहार राज्य आशा संघ शामिल हैं।

6 अगस्त से शुरू हुई हड़ताल के दौरान पटना सहित राज्य के लगभग सभी अनुमंडल, जिला अस्पताल व पीएचसी सहित पूरे राज्य में आशाकर्मियों ने जगह जगह नीतीश और मोदी सरकार की वादाखिलाफी के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और सरकार से जनवरी ’19 की हड़ताल में हुए समझौतों के बिन्दुओं, सरकारी संकल्प के तहत देय मासिक पारितोषिक राशि और सभी मदों का बकाया सहित अद्यतन भुगतान, अन्य स्वास्थ्य कर्मियों की तरह आशाओं को भी कोविड का विशेष प्रोत्साहन-राशि भुगतान  तथा आशाओं के विविध भुगतानों में नीचले स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार-कमीशनखोरी पर लगाम लगाने की मांग किया साथ ही कोविड-19 कार्य में लगे आशाओं सहित सभी सभी स्कीम वर्करों को सुरक्षा किट आपूर्त्ति करने व इस कार्य मे लगे आशा सहित अन्य स्कीम वर्करों को पूर्ण सुरक्षा की व्यवस्था की मांग किया।

आशा संयुक्त संघर्ष मंच की नेता व फेडरेशन की राष्ट्रीय संयोजिका सह बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ अध्यक्ष शशि यादव, आशा संघर्ष समिति नेता विश्वनाथ सिंह, आशा संघ नेता कौशलेंद्र कुमार वर्मा, महासंघ गोप गुट अध्यक्ष रामबली प्रसाद ने साझा बयान में कहा कि पूरे राज्य में आशा कर्मियो ने हड़ताल को शत प्रतिशत सफल बनाया है। नेताओं ने कहा कि हड़ताल की सफलता राज्य की नीतीश व केंद्र की मोदी सरकार की वादाखिलाफी की देन है। दोनों सरकारों की वादाखिलाफी को लेकर आशाओं में जबरदस्त आक्रोश व्याप्त है, जिसका विस्फोट हड़ताल में देखने को मिला है।

नेताओं ने नीतीश कुमार से जनवरी 19 में हुए सझौता के उक्त निर्णयों को अविलंब लागू करने के साथ साथ 7 सूत्री मांगों में से आशाओं सहित सभी स्कीम वर्करों को 10 हजार रू० कोरोना-लॉकडाउन भत्ता भुगतान,  उड़ीसा की तरह ऐसे मृत कर्मियों के आश्रित को विशेष मासिक भुगतान करने, कोविड कार्य में लगे आशाओं सहित सभी स्कीम वर्करों को 50 लाख का जीवन बीमा और 10 लाख का स्वास्थ्य बीमा लागू करने व कोरोना ड्यूटी के क्रम में मृत लगभग दर्जन भर आशाओं- स्कीम वर्करों के आश्रितों को देय 50 लाख का बीमा  और 4 लाख का अनुग्रह अनुदान लाभ तुरन्त भुगतान करने की मांग किया है।

बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ की अध्यक्ष शशि यादव ने कहा कि प्रति महीना देय 1000 रुपये की लंबित राशि का भुगतान भी नहीं हो रहा है और आशाओं के मासिक मानदेय के सवाल पर दिल्ली व पटना की सरकार मौन है। लंबित पारितोषिक व अन्य भुगतान नहीं होने के कारण आशाकर्मियों के परिवार भुखमरी और तंगहाली की स्थिति में पहुंच गए हैं।

उन्होंने बताया कि आशा संयुक्त संघर्ष मंच के बैनर तले बिहार में शुरू हुई हड़ताल का राज्य भर में व्यापक असर हुआ है। पटना के नौबतपुर, बिक्रम, बिहटा, पुनपुन, फतुहां आदि जगहों तथा राज्य के मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, खगड़िया, मुंगेर, सिवान, दरभंगा, सहरसा, सुपौल, मुंगेर, रोहतास, नालन्दा, जहानाबाद, कैमूर, भोजपुर, बक्सर, गोपालगंज, बांका, अररिया पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, सीतामढ़ी, अरवल, कटिहार, पूर्णिया, आदि जिलों में तीनों आशा सँगठनों के नेतृत्व में आशाओं ने जगह जगह पीएचसी व अपने अपने कार्यस्थलों के बाहर नीतीश और मोदी सरकार के खिलाफ नारेबाजी किया। इस दौरान टीकाकरण को बाधित किया गया और मांगे पूरा करने तथा जनवरी 19 के समझौता के सभी 13 सूत्री बिंदुओं को अविलम्ब लागू करने की आवाज को बुलंद किया।

पूरे राज्य के विभिन्न जिलों में संघ की महासचिव विद्यावती पांडे, सचिव शब्या पांडे, कविता कुमारी, कुसुम कुमारी, अनिता सिंह, तरन्नुम फैजी, पूनम कुमारी, रीना कुमारी, उषा सिंह, श्याम कर्ण, सबिता कुमारी, निर्मला कुमारी, सुनीता सिन्हा, गीता कुमारी, चंद्रकला कुमारी और  प्रमिला कुमारी के नेतृत्व में हड़ताल को सफल बनाया गया। हड़ताल के दौरान आशाओं ने कोविद से जुड़े किसी भी कार्य मे कोई व्यवधान पैदा नहीं किया।


विज्ञप्ति पर आधारित


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