राहुल गांधी ने खीर भवानी और हज़रत बल के दर्शन किये, पूर्ण राज्य बहाली की माँग के साथ कश्मीर से जोड़ा रिश्ता..

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कांग्रेस नेता राहुल गांधी मंगलवार को जम्मू-कश्मीर के गांदरबल जिले में खीर भवानी मंदिर और हजरतबल दरगाह पहुँचकर दर्शन किया। राहुल गांधी 10 अगस्त यानी आज दो दिवसीय दौरे पर कश्मीर में थे। वहां उन्होंने श्रीनगर में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, कांग्रेस जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग करती है, उन्होंने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर में “स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव” होना चाहिए। आर्टिकल 370 हटने के बाद कांग्रेस के नेता राहुल गांधी पहली बार कश्मीर के दौरे पर गए ।

भाजपा कर रही है हिंदुस्तान की संस्थाओं पर हमला..

राहुल ने एमए रोड श्रीनगर में नवनिर्मित कांग्रेस भवन का उद्घाटन करने के बाद केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला। राहुल गांधी ने कहा, भाजपा हमे संसद में बोलने नहीं देती हैं, हम वहां नही बोल सकते, हमें दबा देते हैं। मैं संसद में पेगासस, राफेल, जम्मू-कश्मीर, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी के बारे में नहीं बोल सकता। ये लोग हिंदुस्तान की सभी संस्थाओं पर हमला कर रहे हैं।

कांग्रेस देश को बाटने वाली ताकतों से लड़ेगी..

राहुल गांधी ने कहा, सरकार लोकतांत्रिक संविधान पर  हमला कर रही है।देश परोक्ष रूप से उसी हमले की चपेट में है। हम देश को बांटने की चाहत रखने वाली ताकतों के खिलाफ लड़ेंगे।  मैं प्यार और सम्मान के साथ आया हूं। राहुल ने लोगों से कहा कि आप जो प्यार से हासिल कर सकते हैं, वह नफरत से हासिल नहीं किया जा सकता। जब हम सरकार में थे तो देश के बाकी हिस्सों के साथ कश्मीर के लोगों को भी साथ लाए थे। मैं केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ लड़ता रहूंगा। उम्मीद करता हूं कश्मीर का दर्जा फिर से बहाल होगा।

मैं आप लोगों को समझता हूं,मेरे पूर्वजों ने झेलम का पानी पिया होगा..

कोंग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने संबोधन में कश्मीर के लोगों को जोड़ते हुए झेलम, वहां के रीति-रिवाज और संस्कृति का जिक्र किया। उन्होंने कहा, मैं भले ही यहां नही रहता लेकिन मैं आप लोगों को समझता हूं।  इस दौरान राहुल गांधी ने जम्मू कश्मीर और उत्तर प्रदेश की धरती से अपना रिश्ता जोड़ा और कहा कि दिल्ली से पहले मेरा परिवार इलाहाबाद में रहता था और इलाहाबाद से पहले कश्मीर में रहता था। मेरे पूर्वजों ने झेलम का पानी भी जरूर पिया होगा। मैं कश्मीर आता हूं तो लगता है घर आया हूं। कांग्रेस भवन में पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ ही भारी संख्या में लोग भी उपस्थित रहे।

भूमि जैसे कुछ और अधिकारों की सुरक्षा जरूरत..

इसके साथ ही कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि राज्य को दो भागों में बाट दिया  गया और केंद्र शासित प्रदेश में बदल दिया गया। 16500 लोगों को जेलों में डाला गया। प्रदेश में हमें भूमि जैसे कुछ और अधिकारों की सुरक्षा की आवश्यकता है।

बता दे, मोदी सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर के लिए विशेष रूप से बनाई गई धारा 370 तथा अनुच्छेद 35-ए के प्रावधानों को निरस्त कर दिया। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर के दो हिस्से कर दिए गए, लद्दाख को अलग कर केन्द्र शासित प्रदेश बना दिया।

तब से ही  जम्मू-कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा समाप्त कर उसे भी एक केन्द्र शासित प्रदेश में बदल दिया गया। यह फैसला मोदी सरकार के बड़े फैसलों में से एक था जिसका असर बाद में दिखाई दिया भी। जम्मू-कश्मीर को विशेष अधिकार देने वाले इस कानून को खत्म हुए इसी अगस्त 2021 को दो वर्ष पूर्ण हो गए हैं। राहुल गांधी इसी दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे थे।

370 हटाते ही सीएम फारूक अब्दुल्ला को भी किया गया था नजरबंद..

370 हटाने से पहले जम्मू कश्मीर को एक विशेष अधिकार प्राप्त था। वहां की भूमि पर सिर्फ कश्मीरियों का हक था। दूसरे राज्य के लोग वहां जमीन नही ले सकते थे। 370 के हटाने से यह हक भी समाप्त हो गया। जिसका वहां के नेता और लोगो ने ज्यादा समर्थन नही किया।

वहां अलग संविधान बनाने को आजादी थी, अलग चुनाव होते थे, बाकी की राज्यों रहा भारतीय संसद को वहां किसी भी कानून को बनाने के लिए अधिकार नहीं था, वहां का झंडा भी अगल था। लेकिन बीजेपी सरकार ने इन अधिकारों को 370 हटाकर रद्द कर दिया।

इससे वहां की सत्ता में मौजूद लोग खुश नहीं थे। एक तरह से भाजपा ने कश्मीर पर शासन करने का एक रास्ता बनाया गया था। क्योंकि सबसे पहले वहां के नेताओ को नजरबंद किया गया था। जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को रद्द किए जाने के 30 दिनों के भीतर, 290 लोगों पर पीएसए के तहत मामला दर्ज किया गया था ।

 हिरासत में लिए जाने वालों में युवाओं, वकीलों और कार्यकर्ताओं के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती समेत कई नेता शामिल हैं। इससे जम्मू कश्मीर से 370 हटने पर फायदा होगा या नुकसान यह तो बाद में पता चलता, लेकिन यह संदेश पहले गया की वहां के नेताओ पर ही सरकार भरोसा नहीं कर रही है। राज्य एक तो कर दिया गया लेकिन लोगो को एक न समझने का संदेश जरूर चला गया।


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