सोनभद्र: नरसंहार के विरोध में निकला प्रतिवाद मार्च

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उत्तर प्रदेश Published On :


सत्ता के संरक्षण में आदिवासियों का हुआ नरसंहार पूर्वनियोजित था…
हत्यारों व संलिप्त अधिकारियों को सख्त सजा व बिना शर्त जल-जंगल-जमीन पर आदिवासियों के अधिकार की गारंटी करे सरकार..

वाराणसीः सोनभद्र नरसंहार के खिलाफ राज्यव्यापी आह्वान के तहत भाकपा माले द्वारा सोमवार को शास्त्री घाट कचहरी से जिला मुख्यालय तक मार्च निकाला, जिसमें दर्जन भर दूसरे संगठनों और नागरिक समाज ने हिस्सा लिया।
सभा को संबोधित करते हुए ट्रेड यूनियन नेता एसपी राय ने कहा कि ये जो नरसंहार हुआ है इसमें राजसत्ता की पूरी मिलीभगत है। जबसे मोदी-योगी सरकार आई है, आदिवासियों और दलितों पर हमले काफी तेज हुए हैं। इस तरह के हमले देशभर में आदिवासियों के ऊपर जल-जंगल-जमीन की लूट के लिए हो रहे हैं।

ऐपवा नेता कुसुम वर्मा ने योगी-मोदी की बेटी बचाओ नीति पर हमला बोलते हुए कहा कि एकतरफ ये सरकार महिलाओं को बचाने की बात करती है वहीं दूसरी तरफ इस नरसंहार में 3 महिलाओं को भी मार दिया गया। उन्होंने कहा कि फासीवाद के खिलाफ एक व्यापक संयुक्त मोर्चा आज के समय की मांग और जरूरत दोनों है।

भगत सिंह छात्र मोर्चा के सचिव अनुपम ने कहा कि आदिवासियों पर ये हमले नए नहीं हैं बल्कि आजादी के पहले से ही उन पर बर्बरतापूर्ण हमले होते रहे हैं। आज मध्य भारत में आदिवासियों को उनके जल-जंगल और जमीन से उखाड़ने के लिए पाँच लाख से ऊपर अर्ध-सैनिक बलों को लगाया गया है लेकिन बस्तर से लेकर गढ़चिरौली तक के आदिवासी इस राजकीय दमन के खिलाफ मज़बूती से खड़े हैं। आज हम सभी को जरूरत है कि हम सभी नागरिक बस्तर से लेकर सोनभद्र तक संघर्ष कर रहे आदिवासियों के साथ खड़े हों, तभी हम इस धरती को बचा पाएंगे और इस फासीवादी निजाम को उखाड़ फेंकने में सफल होंगे।

लोकमंच के संजीव सिंह ने इस मौके पर सभी संगठनों के सामने प्रस्ताव रखा कि हम सभी संगठनों के प्रतिनिधियों को एक फैक्ट-फाइंडिंग टीम बनाकर सोनभद्र में हुए इस नरसंहार की जमीनी पड़ताल करनी चाहिए।

इस मौके पर भाकपा-माले के कॉमरेड मनीष शर्मा द्वारा हत्यारों व संलिप्त अधिकारियों को सख्त सजा देने, सोनभद्र के डीएम व एसपी को निलंबित कर मुकदमा करने, पीड़ित परिवारों को तत्काल 50-50 लाख मुवावजा देने और जल-जंगल-जमीन पर आदिवासियों के अधिकार की गारंटी करते हुए उनकी बेदखली पर तत्काल रोक लगाने की मांग की गई। मार्च व सभा में मुख्य रूप से ऐपवा,बीसीएम,लोक मंच इंसाफ मंच, भाकपा माले, रिदम, मनरेगा मज़दूर यूनियन, ऑल इंडिया सेकुलर फोरम, भाकियू, साझा संस्कृति मंच, एबीएसएस,यूनाइटेड अंगेस्ट हेट आदि संगठनों के कार्यकर्ता शामिल रहे।

इतिहासकार और सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. मोहम्मद आरिफ ने कहा कि सोनभद्र मे जो हुआ है वह महज दो गुटो का संघर्ष नही है बल्कि आदिवासियों की जमीन हड़पने के लिए पूर्वनियोजित नरसंहार है और शर्मनाक बात ये है कि यह सब कुछ सत्ता के संरक्षण में हुआ है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का सोनभद्र दौरा भी महज खानापूर्ति करने जैसा साबित हुआ है. मुख्यमंत्री को जबाब देना चाहिए कि अभी तक वर्तमान डीएम-एसपी पर कोई एक्शन क्यों नही लिया गया, संलिप्त पूरा प्रशासनिक अमला अभी सुरक्षित क्यो है।

मिर्जापुर के उस पूर्व डीएम पर कोई कार्रवाई क्यों नही की गयी, पूरे आदिवासी इलाके में आदिवासियों के जमीनो की जो संगठित लूट हो रही है उस पर संबंधित मंत्री व मुख्यमंत्री के बतौर आपने चुप्पी क्यों साध रखी है।
उन्होंने कहा कि मोदी-योगी जी का जो सबका साथ सबका विश्वास का नारा है व पूरे आदिवासी समाज के साथ विश्वासघात व उनके विनाश की हकीकत में तब्दील हो गया। कारपोरेट व भूमाफिया परस्ती के चलते सरकार ने आदिवासियों के खिलाफ युद्ध जैसा छेड़ दिया है। सोनभद्र नरसंहार इस बड़ी परियोजना का ही नतीजा है।


प्रेस विज्ञप्ति: कामता प्रसाद द्वारा जारी 


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