परीक्षा से ठीक पहले इलाहाबाद युनिवर्सिटी के छात्रावासों में दिनदहाड़े पुलिस, PAC, RAF का तांडव

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बुधवार 17 अप्रैल को तड़के सुबह छह बजे इलाहाबाद विश्‍वविद्यालय के ताराचंद छात्रावास में तकरीबन दो सौ की संख्या में पुलिस, पीएसी और रैपिड एक्शन फ़ोर्स धावा बोला. मौजूद छात्रों को पीटा गया और कमरों में तोड़फोड़ की गई. तकरीबन तीन घंटे तक छात्रावास में पुलिस ने तांडव किया, सैकड़ों कूलर तोड़ दिए गए, दरवाजे तोड़े गए. इसके बाद दिन में 12 बजे पीसी बनर्जी छात्रावास में और भी भयानक तरीके से पुलिस प्रशासन द्वारा कार्रवाई की गई. इस कार्रवाई के समय विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ से कोई अधिकारी नहीं पहुंचा था. छात्रावास में रहने वाले सैकड़ों वैध छात्रों की गुरुवार को स्नातक और परास्नातक की परीक्षाएं हैं, ऐसी स्थिति में छात्र बेहद भयग्रस्‍त हैं.

इस घटना की पृष्‍ठभूमि कुछ यों है कि दो दिन पहले 15 अप्रैल की रात 10 बजे के आसपास डॉ. ताराचंद छात्रावास के एक छात्र ने बैंक रोड स्थित राजर्षि टंडन विवाह स्थल में शादी समारोह के दौरान एक लड़की से बदतमीजी कर दी थी, जिसके बाद बारातियों ने लड़के की पिटाई की थी. लड़के के कुछ साथी उसे छुड़ाकर ले गए और छात्रावास से वापस बड़ी संख्या में आकर आसपास खड़ी गाड़ियों में उन्‍होंने तोड़फोड़ की. पुलिस के आने पर सभी छात्र भाग खड़े हुए. थोड़ी देर बाद बड़ी संख्या में पुलिस ताराचंद छात्रावास पहुंची और ताला लगे कमरों को तोड़कर उसने कमरे के भीतर भयंकर तोड़फोड़ की. सोते हुए छात्रों को जगा-जगा कर मारा गया. कूलर, लैपटॉप और मोबाइल फोन तोड़ दिए गए. लड़कों के हजारों रूपये भी चोरी किए गए और कई छात्रों की इतनी पिटाई की गई कि उनका हाथ टूट गया.

गमीै के मौसम में तोड़ दिए छात्रों के कूलर

अगले दिन 16 अप्रैल को ताराचंद छात्रावास में दिनभर रैपिड एक्शन फ़ोर्स तैनात रही. इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ से कोई भी अधिकारी घटना के बाद छात्रावास नहीं गया, न ही छात्रसंघ या छात्र नेताओं की ओर से कोई बयान आया या विरोध हुआ. सभी छात्र नेता इधर बीच लोकसभा चुनावों में व्‍यस्‍त हैं जिसका लाभ उठाकर छात्रों पर दमन चक्र चलाया गया है.

इलाहाबाद विश्वविद्यालय में यह सबकुछ तब हो रहा है जब पिछले दिनों ‘राष्ट्रीय संस्थानिक रैंकिंग फ्रेमवर्क’ द्वारा जारी रैंकिंग में इलाहाबाद विश्वविद्यालय देश के शीर्ष 200 संस्थानों की फेहरिस्त से भी बाहर हो गया. उसके बाद से विश्वविद्यालय प्रशासन लगातार दबाव और आलोचनाओं का शिकार हो रहा था. इस घटना ने एक बार फिर से इलाहाबाद विश्वविद्यालय पर दाग लगाने का काम किया है। अबकी छात्रावासों में रहने वाले आपराधिक गतिविधियों में संलग्न कुछ छात्रों की मार्फ़त पुलिस ने सभी छात्रों को अपना निशाना बनाया है.

गौरतलब है कि 13 अप्रैल को विश्‍वविद्यालयों के कुछ वरिष्‍ठ शिक्षकों ने कुलपति हांगलू को एक पत्र लिखकर परिसर में आयोजित एक कार्यक्रम में पिछले दिनों उनके भाषण और अभद्र भाषा पर कठोर आपत्ति जाहिर की थी। इस कार्यक्रम में हांगलू ने कहा था कि विश्‍वविद्यालय की जर्जर स्थिति के लिए वरिष्‍ठ शिक्षक दोषी हैं। शिक्षकों ने अपने पत्र में कुलपति से उनकी भाषा के लिए खेद जाहिर करने की मांग की थी। नीचे यह पत्र पढ़ा जा सकता है:

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विश्‍वविद्यालय का माहौल 14 अप्रैल को ही बिगड़ गया था जब देर रात इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पीसी बनर्जी छात्रावास में दो छात्र गुटों के बीच हुई झड़प में एक छात्र की गोली लगने से मौत हो गई थी. बताया जा रहा है कि आदर्श त्रिपाठी नाम के एक छात्र ने घटना के एक हफ्ते पहले पीसीबी छात्रावास में रहने वाले तीन अवैध छात्रों के खिलाफ धमकाने के आरोप में प्राक्टर ऑफिस में लिखित शिकायत दर्ज कराई जिसके आधार पर पुलिस ने उन तीनों पर प्राथमिकी दर्ज की. गोलीबारी की घटना के पहले दोनों गुटों में किसी ठेके में कमीशन को लेकर तनातनी थी. आदर्श त्रिपाठी की ओर से जिन अवैध छात्रों पर प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी वे देर रात पीसीबी छात्रावास में आदर्श से बातचीत के लिए पहुंचते हैं. पहले से घात लगाकर बैठे आदर्श और उसके साथियों ने रोहित शुक्ल उर्फ़ बेटू को गोली मार दी, जिसकी मौके पर ही मौत हो गई. उसके दो अन्य साथी आकाश शुक्ला और आलोक चौबे घायल हो गये. आदर्श अपने साथियों के साथ फरार हो गया. घटना के चार दिन बीत जाने के बाद भी अभी तक आदर्श और उसके साथियों की गिरफ्तारी नहीं की जा सकी है, हालांकि पुलिस ने अगले दिन कार्रवाई करते हुए छात्रावास से दस पंद्रह की संख्या में संदिग्ध लोगों को उठा लिया.

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति रतन लाल हान्ग्लू के आदेश पर सभी छात्रावासों में मई, 2017 में वाशआउट की प्रक्रिया पूरी की गई थी. वाशआउट का आदेश यह कहते हुए जारी किया गया था कि छात्रावासों में वैध छात्र कम और अवैध छात्र ज्‍यादा रहते हैं जो तमाम तरह की आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त रहते हैं. लेकिन नए सिरे से कोर्स के अनुसार छात्रावासों के आवंटन के बाद भी अवैध छात्र लगातार छात्रावासों में बने हुए हैं. इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने अमुक दो घटनाओं के पहले उन्हें छात्रावासों से बाहर करने की उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया. वर्ष 2018 में न तो छात्रावासों में वाशआउट किया गया न ही रेड डाली गई.

अब 17 अप्रैल की पुलिसिया कार्रवाई ऐसे समय में की गई है जब छात्रों की परीक्षाएं चल रही हैं. बिना किसी नोटिस के उनके कमरे में घुसकर उनके सामानों की तोड़फोड़ विश्वविद्यालय के आला अधिकारियों की मौजूदगी में किया जाना क्‍या किसी आपराधिक कृत्य से कम है? इलाहाबाद विश्वविद्यालय के सभी छात्रावासों में भय और भयंकर असुरक्षा का माहौल व्याप्त है, जिस पर पुलिस प्रशासन और इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है, उल्टे दोनों की और से छात्रावासों में रहने वाले सभी छात्रों से अपराधी की तरह व्यवहार किया जा रहा है.


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