BHU के आदिवासी शिक्षक पर किया गया हमला ‘सुनियोजित’ था: जांच कमेटी

शिव दास
कैंपस Published On :


सर्व विद्या की राजधानी काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में गत 28 जनवरी को आदिवासी शिक्षक मनोज कुमार वर्मा पर सुनियोजित तरीके से हमला किया गया था। आपराधिक हमले के बाद वर्मा का चरित्र हनन करने की नीयत से करीब 43 शिकायतें मुख्य आरक्षाधिकारी कार्यालय में उनके खिलाफ दर्ज कराई गईं।

सभी शिकायतें किसी पीड़ित की पेशगी अथवा लिखित शिकायत के बिना सुनी-सुनाई बातों के आधार पर एक ही व्यक्ति द्वारा तैयार और टाइप की गई थीं जिनके अंत में शिकायतकर्ताओं का नाम बदला गया था। यह कहना है मामले की जांच करने वाली विश्वविद्यालय की आंतरिक कमेटी का।

मीडियाविजिल के पास जांच कमेटी की रिपोर्ट की प्रति मौजूद है जो सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 के तहत उपलब्ध कराई गई है। 31 जनवरी 2019 को विश्वविद्यालय के कुल-सचिव कार्यालय द्वारा कृषि विज्ञान संस्थान के पूर्व निदेशक ए. वैशम्पायन की अध्यक्षता में गठित पांच सदस्यीय आंतरिक कमेटी ने घटना के दौरान कक्षा एवं विभाग में मौजूद छात्रों और शिक्षकों की गवाही के आधार पर लिखा है, “बदमाश, विभागाध्यक्ष कक्ष में विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अरविन्द कुमार जोशी से बातचीत करते हुए पहले दिखाई दिये थे। उसके बाद उन्होंने बेरहमी से डॉ. मनोज कुमार वर्मा पर आपराधिक हमले को अंजाम दिया।“ जांच कमेटी ने लिखा है कि घटना पूर्व-नियोजित एवं प्रायोजित थी और इसे घटित होने से रोका जा सकता था।


जांच कमेटी ने पुलिस एफआइआर और गवाहों के बयान के आधार पर समाजशास्त्र विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. मनोज कुमार वर्मा पर हमला करने वाले बदमाशों में दो का जिक्र किया है जिनमें एक अनंत नारायण मिश्रा सामाजिक संकाय के एम.ए. इन इंटिग्रेटेड रूरल डेवलपमेंट मैनेजमेंट (आईआरडीएम) का छात्र है जबकि दूसरा अजित यादव विश्वविद्यालय का पूर्व छात्र है। दोनों ही डॉ. मनोज कुमार वर्मा की कक्षा अथवा विभाग के छात्र नहीं हैं। जांच कमेटी शेष हमलावर बदमाशों की पहचान नहीं कर पाई।

कमेटी ने गत 16 फरवरी को विश्वविद्यालय प्रशासन को प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में विश्वविद्यालय के नियमों के तहत इन दोनों छात्रों के खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई करने की संस्तुति की है। इसके बावजूद विश्वविद्यालय प्रशासन ने दोनों हमलावरों के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है।

जांच कमेटी ने समाजशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष एवं मामले में आरोपी प्रोफेसर अरविंद कुमार जोशी की कार्यशैली पर भी सवाल खड़ा किया है। जांच रिपोर्ट में लिखी बातों पर गौर करें तो विभागाध्यक्ष ने जांच कमेटी के सदस्यों को गुमराह करने की कोशिश की। उन्होंने जांच कमेटी को विभाग में लगाये गये सीसीटीवी कैमरों का वीडियो और पीपीसी रजिस्टर आदि मुहैया नहीं कराया। साथ ही वे इससे संबंधित सवालों को सही से जवाब नहीं दे सके।

पांच सदस्यीय कमेटी ने समाजशास्त्र विभाग के स्टाफ काउंसिल की कार्यशैली पर भी सवाल उठाया है। रिपोर्ट की मानें तो संबंधित स्टाफ काउंसिल ने रिपोर्ट लिखे जाने तक आदिवासी शिक्षक डॉ. मनोज कुमार वर्मा पर हुए हमले की निंदा तक नहीं की थी।

बता दें कि गत 28 जनवरी को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में सामाजिक संकाय के समाजशास्त्र विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. मनोज कुमार वर्मा पर बदमाशों के एक गुट ने कक्षा में हमला कर दिया था। उन्होंने उन्हें बुरी-तरह मारा पीटा था और जूता-चप्पलों की माला पहनाकर विश्वविद्यालय परिसर में घुमाया था। उसी दिन दोनों पक्षों द्वारा लंका थाने में एक-दूसरे पर आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई गई थी।

मामले का वीडियो मीडिया में आने के बाद विश्वविद्यालय के कुल-सचिव ने तीन दिनों बाद मामले की जांच के लिए प्रो. ए. वैशम्पायन की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय आंतरिक कमेटी गठित की जिनमें विज्ञान संस्थान के प्रो. संजय कुमार, विधि संकाय के प्रो. अजय कुमार, प्रबंध अध्ययन संस्थान के प्रो. आरके लोधवाल बतौर सदस्य एवं सहायक कुल-सचिव (प्रशासन-शिक्षण) आनंद विक्रम सिंह सदस्य सचिव शामिल थे। कमेटी के एक सप्ताह के अंदर अपनी रिपोर्ट विश्वविद्यालय प्रशासन को देनी थी।

बाद में कुलपति ने 6 फरवरी 2019 को कमेटी की अवधि को विस्तार दे दिया था। कमेटी ने 16 फरवरी 2019 को अपनी रिपोर्ट विश्वविद्यालय प्रशासन को सौंप दी थी।

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