इंडिया न्यूज़ के मीडियाकर्मियों को कोरोना पहले मारेगा या भूख?

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बीते 20 मार्च को कोरोना के खिलाफ देश को संबोधित करते वक्त पीएम मोदी ने मीडियाकर्मियों को भी कोरोना योद्धाओं का नाम दिया था. देश भर के तमाम मीडियकर्मी कोरोना के खिलाफ मौत के डर के बीच अपने काम को अंजाम दे रहे हैं लेकिन देश के एक बड़े मीडिया हाउस यानी आइटीवी नेटवर्क के कर्मचारियों का आलम यह है कि शायद उन्हें कोरोना से ज्यादा भुखमरी का डर सता रहा है.

मीडियाविजिल से नाम न छापने की शर्त पर कुछ पत्रकारों ने बात कर के पूरे हालात बताए हैं और आउटपुट टीम के वॉट्सएप ग्रुप में कर्मचारियों के बीच चल रही बातचीत के स्क्रीनशाट मुहैया कराए हैं. इससे पहले भी मीडियाविजिल इंडिया न्यूज़ के बारे में लिख चुका है कि वहां दो महीने से वेतन बकाया है, लेकिन खुद पहली बार कर्मचारियों ने नौकरी का जोखिम उठाते हुए अपने आफिशियल वाट्सएप समूह की चर्चा हमें उपलब्ध करायी है.

कोरोनाबंदी में पत्रकार: बिना वेतन खटो, चूं करते ही छंटो, सरेराह पुलिस से पिटो!

इस बातचीत को पढ़कर लगता है कि मामला बेहद गंभीर है.


 

आइटीवी नेटवर्क के तहत इंडिया न्यूज़, न्यूज़ एक्स (इंग्लिश) जैसे नेशनल चैनलों के अलावा करीब आधा दर्जन रीजनल चैनल तो आते ही हैं, साथ ही सनडे गार्डियन जैसे इंग्लिश वीकली भी आता है. हमारी जानकारी के मुताबिक इस पूरे नेटवर्क के सैकड़ों कर्मचारियों को पिछले तीन महीने से तनख्वाह नहीं दी गई है और कोरोना लॉकडाउन के हालात में इन कर्मचारियों के सामने भुखमरी की नौबत आ गई है.

इस पूरे नेटवर्क के मालिक कार्तिकेय शर्मा हैं जो हरियाणा के अरबपति राजनीतिज्ञ विनोद शर्मा के छोटे बेटे हैं. विनोद शर्मा के बड़े बेटे मनु शर्मा जेसिका लाल हत्याकांड के मामले में तिहाड़ जेल में सजा काट रहे हैं.

कार्तिकेय शर्मा, पीएम मोदी के साथ हाल ही में हुई उस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की कोरोना वाली मीटिंग में भी मौजूद थे जिसमें तमाम मीडिय़ा हाउसों के मालिकान को भी बुलाया गया था.

पीएम के साथ हुई इस मीटिंग के बाद पूरे आइटीवी नेटवर्क में कोरोना पर कवरेज का दायरा बढ़ाने की बात कही गई लेकिन कर्मचारियों की सैलरी के बारे में कोई बात तक नहीं की जा रही है. आलम यह है कि आउटपुट के कर्मचारियों को कोरोना के खतरे के बीच कैब में 6-6 की संख्या में ठूंस कर लाया जा रहा है, वीकऑफ नहीं दिए जा रहे और सैलरी की बात उठाने वालों को नौकरी से निकालने की धमकी दी जा रही है.

चैनल के मैनेजिंग एडिटर राणा यशवंत समेत तमाम बड़े पदों वाले लोग वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं और आम कर्मचारियों को कोरोना के खतरे के बीच दफ्तर आने के लिए मजबूर किया जा रहा है. कोरोना से बचने के लिए जिन बेसिक सुविधाओं की जरूरत होती है वह भी दफ्तर में नहीं है. दफ्तर आने वाले किसी भी शख्स की न तो थर्मल स्कैनिंग की जा रही है और न ही फ्लोर पर सैनिटाइजर्स मौजूद हैं.

वहीं रिपोर्टर्स को भी बिना मास्क, सैनेटाइजर और ग्लव्ज़ दिए भीड़-भाड़ वाले बाजारों मंं जाकर रीयलिटी चैक करने का दबाव डाला जा रहा है.
बिना तनख्वाह के काम कर रहे इन मीडियाकर्मियों के मानसिक तनाव को अब कोरोना से मौत के खौफ ने कई गुना बढ़ा दिया है.

इस नेटवर्क के कुछ लोगों तो यहां तक कह रहे हैं कि ऐसे वक्त में जबकि सरकार ने तमाम कंपनियों को अपने कर्मचारियों का ध्यान रखने की नसीहत दी है और इस नेटवर्क का दफ्तर/हेडक्वार्टर दिल्ली में ही है तब दिल्ली के सीएम केजरीवाल और उनके श्रम मंत्रालय को इस मसले में दखल देना चाहिए. जिस तरह केजरीवाल दिल्ली के दिहाड़ी मजदूरों को कुछ हजार रुपए की आर्थिक मदद देने की बात कह रहे हैं ठीक वैसे ही इन कर्मचारियों को भी आर्थिक राहत की दरकार है अन्यथा इनके घर के चूल्हे बुझ जाएंगे.

अपनी नौकरी का जोखिम उठाकर इंडिया न्यूज के जिन पत्रकारों ने हमें यह जानकारी दी है उन्हें उम्मीद है कि इस खबर के छपने के बाद सीएम केजरीवाल और पीएम मोदी इन ‘कोरोना वॉरियर्स ‘ के हालात पर भी ध्यान देंगे.


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