बनारस: NHRC पहुंचा लॉकडाउन में भुखमरी की ख़बर लिखने वाले पत्रकार को नोटिस का मामला

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जनसंदेश टाइम्स में अख़बार के वरिष्ठ संवाददाता विजय विनीत और मनीष मित्र की बाइलाइन ख़बर पर जिलाधिकारी की मुकदमा करवाने संबंधी चेतावनी और प्रशासनिक नोटिस के खिलाफ राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में याचिका दी गयी है। इस अख़बार ने प्रधानमंत्री के चुनावी क्षेत्र बनारस के कोइरीपुर गांव में अंकरी की घास खाते मुसहर बच्चों पर कहानी लिखी थी, जिसके बाद खबर का खंडन छापने की चेतावनी जिलाधिकारी द्वारा भेजी गयी थी जिसकी मीयाद आज खत्म हो रही है।

बनारस: ‘घास’ खाते बच्चों की ख़बर पर बोले DM- कल तक छापो खंडन वरना मुकदमा!

इस ख़बर को गुरुवार रात मीडियाविजिल ने प्रमुखता से उठाया था, जिसके बाद मानवाधिकार जन निगरानी समिति ने संज्ञान लेते हुए आयोग में याचिका भेजी है जिसमें मीडियाविजिल पर छपी ख़बर का संदर्भ दिया है। पूरी याचिका नीचे दी जा रही है।

सेवा में
अध्यक्ष महोदय,
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग,
नई दिल्ली

विषय: कोरोना और लॉक डाउन की स्थिति से उत्पन्न भुखमरी के खिलाफ लड़ने वाले पत्रकार को धमकाने के सन्दर्भ में

महोदय,

विदित हो कि दिनांक 26 मार्च, 2020 को जनसन्देश टाइम्स ने अपने फ्रंट पेज में प्रकाशित कोरोना इफेक्ट : बनारस के कोइरीपुर में घास खा रहे मुसहर ख़बर प्रकाशित किया| ख़बर की जमीनी हकीक़त के लिए जन सन्देश टाइम्स के वरिष्ट संपादक श्री विजय विनीत और मनीष मिश्र ने लाइव रिपोर्टिंग की बुधवार को दोपहर में टकटकी लगाकर भोजन का इंतजार करते मुसहर बस्ती के बच्चे रानी, सीमा, सुरेंद्र, पूजा, विशाल, आरती, निरहु, अर्जुन, चांदनी, सोनी, निशा, गोलू के पेट की अंतड़ियां सूख गई थीं। लाचारी में बच्चे गेहूं के खेतों में कूद गए। भूख मिटाने के लिए घास (अकरी) उखाड़कर लाए। अंकरी के दानों को छीलकर भूख शांत करने की कोशिश की। कोईरीपुर मुसहर बस्ती में एक दिव्यांग व्यक्ति हमें कराहता हुआ मिला। इसके पास खाने के लिए एक दाना भी नहीं थाl कोइरीपुर में हालात कितना गंभीर है, इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि पिछले तीन दिनों से इस गांव के लोग सिर्फ खून के आंसू रहे हैं।

https://jansandeshtimes.page/article/banaaras-ke-koireepur-mein-ghaas-kha-rahe-musahar/FLkR6Z.html

महोदय, प्रकाशित खबर को संज्ञान में लेकर 26 मार्च, 2020 को जिला मजिस्ट्रेट वाराणसी श्री कौशल राज शर्मा ने जन सन्देश टाइम्स के वरिष्ठ संपादक श्री विजय विनीत और श्री सुभाष राय, प्रधान संपादक को नोटिस (संख्या789/ – एस० टी० – कैंप – 2020) जारी किया| जिसमे उन्होंने लिखा कि यदि आपके द्वारा कल दिनांक 27.03. 2020 के जनसन्देश टाइम्स के प्रकाशन में उक्त समाचार का खंडन जारी नहीं किया तो विधिक कार्यवाही में अमल में लायी जाएगी| इस नोटिस को उन्होंने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, वाराणसी और थाना अध्यक्ष चेतगंज को भी प्रतिलिपि  सूचनार्थ के  लिए भेजा|  यही नहीं जिलाधिकारी महोदय ने सोशल मीडिया (फेसबुक) पर अपने बेटे के साथ अकरी खाते हुए फोटो डाली| (संलग्नक संख्या 1)

जबकि आज जनसंदेश टाइम्स में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के कृषि विज्ञान संस्थान के प्रोफेसर रमेश कुमार सिंह ने कहा है कि अंकरी घास है। कृषि वैज्ञानिक इसे खर-पतवार की श्रेणी में रखते हैं। सरकार ने इसे खाने के लिए रिकमेंड नहीं किया है। यह इंसान के खाने योग्य नहीं है। मवेशियों को अधिक खिलाने पर डायरिया की समस्या हो जाती है। उन्होंने बताया कि अंकरी में कैनामिनीन पाया जाता है, जो अमीनो एसिड बनाने वाले प्रोटीन को प्रभावित कर देता है। इसे खाने से लीवर और फेफड़ों में सूजन की समस्या आ जाती है।

https://mediavigil.com/media/varanasi-dm-notice-to-editor-for-publishing-news-musahar-children-eating-grass/

महोदय, इस तरह के प्रशासनिक रवैये से कोई भी पत्रकार या अख़बार जमीनी हकीक़त को नहीं प्रकाशित करेगा| जबकि उक्त संवेदशील पत्रकार एक ज़िम्मेदार नागरिक होने के नाते ख़बर प्रकाशित करके प्रशासन की मदद की जिसके बाद मुसहर बस्ती में लोगो को राशन व ज़रूरी सामान उपलब्ध कराया गया| वही दूसरी तरफ प्रशासन उक्त पत्रकार के खिलाफ़ विधिक कार्यवाही करके जेल भेजना चाहती है| पुलिस कोईरीपुर मुसहर बस्ती में जाकर लोगो को धमका रही है| प्रशासन के रवैया के प्रतीत होता है कि वह जमीनी हकीक़त को नहीं बाहर ले आना चाहती है|

अतः आपसे निवेदन है कि उक्त मामले में अविलम्ब कार्यवाही का आदेश करे जिससे संवेदशील पत्रकार का संवैधानिक अधिकार सुरक्षित हो सके साथ ही वंचित समुदाय को इज़त के साथ जीवन जीने का अधिकार भी|

भवदीय
लेनिन रघुवंशी
संयोजक
मानवाधिकार जननिगरानी समिति
2007: ग्वांगजू अवार्ड, साउथ कोरिया
2010: वाईमर सिटी ह्यूमन राइट्स अवार्ड, जर्मनी
2018:  स्पेशल मेंशन फ्रेंच ह्यूमन राइट्स अवार्ड

 


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