पत्रकारों के अस्तित्‍व की रक्षा के लिए 10 अक्‍टूबर को दिल्‍ली में जबरदस्‍त रोष प्रदर्शन

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सांकेतिक चित्र


वर्तमान सरकार द्वारा पत्रकारों एवं गैर पत्रकारों के लिए गठित वर्किंग जर्नलिस्‍ट एक्‍ट के खात्‍मे के खिलाफ देशभर के पत्रकार 10 अक्‍टूबर 2019 को दिल्‍ली में जबरदस्‍त रोष प्रदर्शन करेंगे। इस प्रदर्शन की घोषणा यहां शनिवार 21 सितंबर को आयोजित The Confederation of Newspapers & News Agency Employees’ Organizations द्वारा आहूत एक बैठक में की गई।

इस बैठक में देशभर की पत्रकार यूनियनों के प्रतिनिधि मौजूद थे। बैठक में Working Journalists Act, 1955 और अन्‍य लेबर कानूनों के खात्‍मे, पत्रकारों और गैर पत्रकारों के लिए नए वेतन बोर्ड का गठन, वर्किंग जर्नलिस्‍ट एक्‍ट 1955 के तहत इलेक्‍ट्रानिक मीडिया और वेब पोर्टल आदि के कर्मियों को शामिल करना और देशभर की अदालतों में लंबित पड़े मजीठिया वेजबोर्ड के केसों पर विशेष रूप से चर्चा की गई।

बैठक में केंद्र सरकार से अपील की गई कि वह वर्किंग जर्नलिस्ट्स एक्ट को निरस्त करने के अपने फैसले पर पुर्नर्विचार करें नहीं तो देशभर के सभी मीडिया कर्मियों को अपना आंदोलन तेज करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि केंद्र सरकार को वर्किंग जर्नलिस्ट्स एक्ट में व्यापक संशोधन करना चाहिए ताकि इलेक्ट्रॉनिक और इंटरनेट मीडिया कर्मी भी इसके दायरे में आ सके। वर्तमान में, इलेक्ट्रॉनिक और इंटरनेट मीडिया में कार्यरत कर्मियों की स्थिति बहुत दयनीय है और उन्‍हें उन न्यूनतम बुनियादी सुविधाओं से भी वंचित रखा जाता है, जोकि प्रिंट मीडिया के कर्मियों को मिलती हैं। इलेक्ट्रॉनिक और इंटरनेट कर्मियों का वेतन भी वेजबोर्ड की जगह मालिक तय करते हैं। वेज बोर्ड के अंदर नहीं आने की वजह से उन्हें अवकाश, कार्य के घंटे, भविष्य निधि, ईएसआई और बोनस आदि की सुविधाओं से वंचित रखा जाता है।

बैठक में इस बात पर आश्चर्य जताया गया कि पत्रकारों और गैर पत्रकारों के लिए विशेष तौर पर बनाए गए वर्किंग जर्नलिस्ट्स एक्ट को ऐसे 13 अन्‍य एक्‍टों के साथ मर्ज किया जा रहा है जिनकी आपस में तुलना नहीं की जा सकती। वे एक्‍ट पूरी तरह से प्‍लांट, फैक्‍टरी, बीड़ी कारखानों, खदान आदि में कार्यरत कामगारों के लिए हैं, जबकि वर्किंग जर्नलिस्ट्स एक्ट लोकतंत्र के चौथे स्‍तंभ के कर्मियों के काम के अधिकारों की रक्षा के लिए गठित किया गया था।

बैठक आशा व्यक्त की गई कि केंद्र सरकार कार्यशील पत्रकारों के लिए बने कानून को खत्‍म करने की जगह इसके दायरे को बड़ा करेगा। बैठक में नए वेतन बोर्ड के गठन की भी मांग की गई। इसके साथ ही केंद्र और राज्‍य सरकारों से सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों को लागू करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने की मांग की गई। पत्रकार और गैर पत्रकारों के परिसंघ ने मांग की कि मीडिया कर्मचारियों की संविदा नियुक्ति पर प्रतिबंध लगना चाहिए और इसका उल्लंघन करने वाली कंपनी पर मुकदमा चलना चाहिए।

बैठक को एम.एस. यादव (फेडरेशन ऑफ पीटीआई एम्प्लॉइज यूनियन), परमानंद पांडे और हेमंत तिवारी (आईएफडब्ल्यूजे), ए सुरेश प्रसाद (आईजेयू), अशोक मलिक (एनयूजे(आई), गीतार्थ पाठक (आईजेयू), G. Bhooathy (अखिल भारतीय समाचार पत्र कर्मचारी महासंघ), अनिल गुप्ता (द ट्रिब्यून), डेका (असम ट्रिब्यून) ने संबोधित किया। बैठक में IFWJ के पूर्व महासचिव और अनुभवी पत्रकार के निधन पर शोक व्यक्त किया गया। पूर्व महासचिव ने पिछले सप्‍ताह नई दिल्‍ली में अंतिम सांस ली थी। बैठक में शामिल होने वालों में भारतीय पत्रकार संघ (Indian Federation of Working Journalists-IFWJ), नेशनल जर्नलिस्ट यूनियन (इंडिया) (NUJ (I), अखिल भारतीय समाचार पत्र कर्मचारी महासंघ ( AIENF), नेशनल फेडरेशन ऑफ न्यूजपेपर्स एम्प्लॉइज (NFNE), इंडियन जर्नलिस्ट्स यूनियन (IJU), द हिंदू एम्पलाइज यूनियन, इंडियन एक्सप्रेस एम्पलाइज यूनियन, ट्रिब्यून एम्पलाइज यूनियन, असम ट्रिब्यून, टाइम्स ऑफ इंडिया एम्प्लॉइज यूनियन और बंगलौर समाचार पत्र कर्मचारी संघ के लगभग 150 प्रतिनिधियों ने भाग लिया।


परमानंद पांडे, महासचिव, भारतीय पत्रकार संघ द्वारा जारी 


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