पाकिस्तानी सेना ने पत्रकारों को बालाकोट में ‘नुकसान’ दिखाया, आपको खबर मिली?

संजय कुमार सिंह संजय कुमार सिंह
मीडिया Published On :

A cropped version of a satellite image shows a close-up of a madrasa near Balakot, Khyber Pakhtunkhwa province, Pakistan. | Planet Labs Inc./Handout via Reuters


2019 के चुनाव का पहला मतदान आज है और कल ऐसी कई घटनाएं हुईं जो पहले पन्ने पर होनी चाहिए। अखबारों की अपनी मजबूरी और पूर्वग्रह हैं जिसकी वजह से और वैसे भी, आज जो खबर छपी है उसकी चर्चा नहीं करके एक ऐसी खबर की चर्चा करता हूं जो नवभारत टाइम्स में पहले पन्ने पर छोटी सी छपी है। खबर तो कल की ही है और इसके साथ भी टाइमिंग का मामला हो सकता है पर दूसरे अखबारों में पहले पन्ने पर नहीं दिखी तो चर्चा बनती है। दैनिक जागरण में पहले पन्ने पर प्रधानमंत्री के भाषण की एक खबर है उसकी भी चर्चा करूंगा। इसलिए कि कल जागरण ने सेना के नाम पर पहली बार के वोटर से वोट मांगने की खबर पहले पन्ने पर नहीं छापी थी।

पहले नवभारत टाइम्स की खबर। शीर्षक है, पाकिस्तानी सेना मीडिया को बालाकोट ले गई। नई दिल्ली डेटलाइन से यह आईएएनएस यानी इंडिया अब्रोड न्यूज सर्विस की खबर है। इसमें कहा गया है, पाकिस्तानी सेना बुधवार को कुछ विदेशी पत्रकारों को बालाकोट में वहां ले गई, जहां भारत ने 26 फरवरी को एयरस्ट्राइक की थी। दल में शामिल बीबीसी संवाददाता ने बताया कि सेना ने हमें वे जगहें दिखाईं जहां भारतीय वायुसेना के बम गिरने का दावा किया गया है। वहां हमें कुछ गड्ढे और उखड़े पेड़ दिखे। इस खबर से साफ है कि दल में आईएएनएस का संवाददाता भी नहीं था पर उसने खबर दी है क्योंकि उसे लगा होगा कि यह खबर है।

मुझे लगता है कि भारतीय पत्रकारों या मीडिया का रुख सही होता तो पाकिस्तानी सेना भारतीय अखबारों के प्रतिनिधियों को भी ले गई होती। हालांकि, नहीं ले जाना भी खबर है। और पता नहीं यह खबर हुई या नहीं। हिन्दी में यह खबर नहीं मिली तो अंग्रेजी में गूगल करने पर यह खबर पाकिस्तानी अखबार डॉन के साइट पर मिली। इसके मुताबिक इस समूह में ज्यादातर भारत में तैनात अंतरराष्ट्रीय पत्रकार और भिन्न देशों के राजदूत तथा रक्षा प्रतिनिधि शामिल थे। पाकिस्तानी सेना की मीडिया शाखा इंटर सर्विसेज पबलिक रिलेशंस (आईएसपीआर) ने बुधवार को देर शाम यह घोषणा की।

देर शाम का मतलब हुआ रात आठ बजे तक। इस लिहाज से खबर थोड़ी लेट भले मानी जाए पर ज्यादा लेट नहीं है। वैसे भी, पेशेवर लोग जानते हैं कि कैसी खबर किस समय दी जानी चाहिए या किस समय किस खबर को जारी करने का क्या हश्र होगा। फिर भी यह खबर आज नहीं होना चौंकाता है। इंटरनेट पर यह खबर देर से पोस्ट हुई लगती है। नहीं छपने का कारण जो भी हो मैं आपको खबर बताता हूं। बीबीसी उर्दू के मुताबिक समूह को एक हेलीकॉप्टर में इस्लामाबाद से बालाकोट के जाबा ले जाया गया। हरे-भरे पेड़ों से घिरे एक पहाड़ के शीर्ष पर स्थित इस मदरसे तक पहुंचने के लिए डेढ़ घंटे चलना पड़ा। पाकिस्तान की सेना के मुताबिक समूह ने चढ़ाई करते वक्त पहाड़ के ढलान पर एक गड्ढा भी देखा जहां भारतीय विमानों ने विस्फोटक गिराए थे।

बीबीसी ने बताया कि जब समूह मदरसे के भीतर पहुंचा तो वहां 12-13 साल के करीब 150 बच्चे मौजूद थे और उन्हें कुरान पढ़ाई जा रही थी। समूह का यह दौरा करीब 20 मिनट तक चला और उन्हें तस्वीरें लेने की इजाजत दी गई तथा उनमें से कुछ ने शिक्षकों से बात भी की। सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ गफूर ने संवाददाताओं से औपचारिक एवं अनौपचारिक बातचीत भी की। यह संकेत देते हुए कि भारत के हमले वाला दावा सही नहीं है, उन्होंने कहा, यह पुराना मदरसा है और हमेशा से ऐसा ही था। यह उस स्थान पर विदेशी मीडिया एवं राजनयिकों का पहला औपचारिक दौरा था जहां भारत ने हमला कर सैकड़ों आतंकवादियों को मारने का दावा किया था।

आजतक ने इस खबर का शीर्षक लगाया है, 43 दिन बाद अंतरराष्ट्रीय मीडिया को लेकर बालाकोट के मदरसे में पहुंचा पाकिस्तान। खबर के मुताबिक, पाकिस्तानी सेना ने अंतरराष्ट्रीय मीडियाकर्मियों के एक समूह और विदेशी राजनयिकों को मदरसे और उसके आस-पास के इलाके का दौरा कराया। भारत ने यहीं पर जैश-ए-मोहम्मद के सबसे बड़े आतंकी ट्रेनिंग कैंप पर हमला किया था। खबर में कहा गया है कि एयरस्ट्राइक के बाद काफी दिनों तक यहां पर पत्रकारों के आने पर रोक थी। साथ ही स्थानीय लोगों की आस-पास आवाजाही भी मना थी। (हमले के बाद मैं ऐसी खबर ढूंढ़ रहा था। तब अकेले दैनिक जागरण में ऐसी खबर दिखी थी और पुष्टि करने की मेरी कोशिशें नाकाम रहीं। दूसरी ओर, रायटर पहले दिन से मौके से खबर दे रहा था और मैंने उस बारे में लिखा भी है। इसलिए मुझे जागरण की खबर और इस दावे पर यकीन नहीं है और मैंने इसकी चर्चा तब नहीं की थी।)

आज तक ने यह भी लिखा है, मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस दौरान पत्रकारों ने जब स्थानीय लोगों से बात करने की कोशिश की तो उनसे कहा गया, ‘जल्दी करें..ज्यादा लंबी बात ना करें।’ सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ गफूर ने बताया कि यह पुराना मदरसा है और हमेशा से ऐसा ही था। 43 दिन बाद पत्रकारों को लाने के सवाल पर गफूर ने कहा कि अस्थिर हालात ने लोगों को यहां तक लाना मुश्किल कर दिया था। अब हमें लगा कि मीडिया के टूर के आयोजन के लिए यह सही वक्त है। यह खबर आगे कहती है, बता दें, 14 फरवरी को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर आतंकी हमला हुआ था। इस हमले में 40 सीआरपीएफ के जवान शहीद हुए थे।

इस आतंकी हमले की जिम्मेदारी जैश-ए-मोहम्मद आतंकी संगठन ने ली थी। 26 फरवरी को भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी कैंप पर एयरस्ट्राइक की थी। भारत का दावा है कि इस एयरस्ट्राइक में बड़ी संख्या में आतंकी मारे गए थे। (पर भारत ने अभी तक कोई ठोस सबूत नहीं दिया है) हालांकि, उस समय से पाकिस्तान दावा कर रहा था कि हमले में कुछ पेड़ों को नुकसान पहुंचने के अलावा एक व्यक्ति घायल हुआ था। कोई नहीं मारा गया था। पाकिस्तान ने कहा था कि वह पत्रकारों की टीम को मौके पर ले जाएगा। अब 43 दिन बाद पाकिस्तानी सेना अंतरराष्ट्रीय मीडियाकर्मियों की टीम लेकर बालाकोट के मदरसे में पहुंचा।

अब दैनिक जागरण की आज की खबर। दैनिक जागरण ने आज अहमदाबाद डेटलाइन से एक ऐसी खबर छापी है जिसका शीर्षक दूसरे अखबारों में पहले पन्ने पर नहीं है। शीर्षक है, पांच साल और दें, कांग्रेस नेता जेल में होंगे : मोदी। आप जानते हैं कि भाजपा ने 2014 के चुनाव प्रचार में भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाया था और इसमें उन्हें अन्ना हजारे के आंदोलन का भी लाभ मिला था। इस दौरान जो बातें कहीं गईं उसका मुख्य तत्व यही था कि कांग्रेस के राज में भारी भ्रष्टाचार है। कांग्रेस और कांग्रेस समर्थित लोगों ने करोड़ों-अरबों रुपए कमाए हैं और उन्हें स्विस बैंक में रखा है। वहां भारतीयों का इतना पैसा रखा है कि उसे वापस लाया जाए तो हरेक भारतीय को 15 लाख रुपए मिलेंगे। और ऐसी तमाम बातें।

सरकार बन गई तो भ्रष्टाचार औऱ स्विस बैंक से पैसे लाना भूल गई। संयोग से दिल्ली विधानसभा चुनाव में उसे भारी झटका लगा और 70 में सिर्फ तीन सीटें जीत पाई। दिल्ली के मुख्यमंत्री बने आम आदमी पार्टी के अरविन्द केजरीवाल जो अन्ना आंदोलन से जुड़े थे और अन्ना हजारे के मना करने के बावजूद राजनीति में आए। भ्रष्टाचार उनका भी मुद्दा था और उन्होंने पू्र्व मुख्य मंत्री शीला दीक्षित समेत कांग्रेस के तमाम नेताओं को भ्रष्ट कहा और सरकार बनने पर जेल भेजने की घोषणा की। सरकार बनने के बाद वे अपने वादे को मोदी की तरह नहीं भूल गए। बल्कि इस मामले में कार्रवाई करने वाला दिल्ली सरकार का विभाग उनसे ले लिया गया। और कार्रवाई वहां भी नहीं हुई।

पांच साल विदेश यात्राओं में खूब मजे में बीता। जब चुनाव करीब आया तो चुनाव जीतने के उपाय शुरू किए गए। अभी मैं उस विस्तार में नहीं जा रहा पर यह कहना है कि मीडिया ने इस दौरान कोई काम (लगभग) नहीं किया। कोई सवाल नहीं उठाया औऱ ऐसा कुछ लगभग नहीं किया जिससे सरकार को कोई परेशानी होती। 15 लाख को जुमला कह दिया गया। लोकपाल की नियुक्ति नहीं हुई (अभी हुई है)। चुनाव प्रचार में सबसे बड़े भ्रष्टाचारी करार दिए गए रॉबर्ट बाड्रा के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। हरियाणा और राजस्थान में जहां उनका घोटाला बताया गया था, वहां भाजपा की सरकार बनने पर भी। पूरी तरह शांति रही। कोई चर्चा लगभग नहीं हुई।

अब नए शुरू हुए टेलीविजन चैनल टीवी9 भारतवर्ष ने अमित शाह से इस बारे में पूछा तो उन्होंने मना कर दिया कि रॉबर्ट वाड्रा को गिरफ्तार करने की बात कही थी। और अब प्रधानमंत्री कह रहे हैं, पांच साल और दें, कांग्रेस नेता जेल में होंगे। जागरण जैसा अखबार इसे पहले पन्ने पर छाप रहा है।


Related