वोट करने से पहले किन बातों का रखें ध्‍यान? पढि़ए 200 विद्वान लेखकों के आसान नुस्‍खे!


An Indian election officer applies an indelible ink mark on the finger of a woman during the first phase of elections in Dibrugarh, in the northeastern state of Assam, India, Monday, April 7, 2014. India started the world's largest election Monday, with voters in the remote northeast making their way past lush rice paddies and over rickety bamboo bridges to reach the polls. The country's 814 million electorate will vote in stages over the next five weeks. (AP Photo/Altaf Qadri)


नफ़रत के खिलाफ़ वोट करें

लोगों को बांटने के खिलाफ़ वोट करें

असमानता के खिलाफ़ वोट करें

हिंसा और डर के खिलाफ वोट करें

सेंसरशिप के खिलाफ़ वोट करें

विविधतापूर्ण और समान भारत के लिए वोट करें


 देश के नागरिकों से लेखकों की अपील

आने वाले चुनावों में हमारा देश एक दोराहे पर खड़ा है. हमारा संविधान यह सुनिश्चित करता है कि देश के सभी नागरिकों को सामान अधिकार, अपनी मर्ज़ी से खाने-पीने, पूजा-अर्चना करने की आज़ादी मिले, अभिव्यक्ति की आज़ादी और असहमति जताने का अधिकार मिले. लेकिन पिछले कुछ सालों से हम देख रहे हैं कि कई नागरिक भीड़ की हिंसा में मारे गए, घायल हुए या उन्हें भेदभाव का सामना करना पड़ा और यह सब सिर्फ़ इसलिए कि वे किसी विशेष समुदाय, जाति, लिंग या क्षेत्र से ताल्लुक़ रखते हैं. नफ़रत की राजनीति का इस्तेमाल कर देश को बांटा जा रहा है; डर फैलाया जा रहा है; और ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को पूर्ण नागरिक के तौर पर जीने के अधिकार से वंचित किया जा रहा है. लेखकों, कलाकारों, फिल्म-निर्माताओं, संगीतकारों और अन्य संस्कृतिकर्मियों को धमकाया, डराया और सेंसर किया जा रहा है. जो भी सत्ता पर सवाल उठा रहा है, वह उत्पीड़न या झूठे व बेहूदा आरोपों पर गिरफ़्तारी के ख़तरे को झेल रहा है.

हम चाहते हैं कि यह स्थिति बदले. हम नहीं चाहते कि तर्कवादियों, लेखकों और कलाकारों को सताया जाए या मार दिया जाए. हम चाहते हैं कि महिलाओं, दलितों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ मौखिक या शारीरिक हिंसा करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाए. हम चाहते हैं कि सबको आगे बढ़ने के सामान अवसर दिए जाएँ और रोज़गार, शिक्षा, शोध तथा स्वास्थ्य के क्षेत्रों की बेहतरी के लिए संसाधन व क़दम उठाये जाएँ. और इन सबसे ज़्यादा, हम अपनी विविधता को बचाना और लोकतंत्र को फलते-फूलते देखना चाहते हैं.

हम यह सब कैसे कर सकते हैं? हम कैसे वे बदलाव ला सकते हैं जिनकी हमें सख्त ज़रूरत है? ऐसे बहुत से क़दम हैं जो हम उठा सकते हैं और हमें उठाने चाहिए. लेकिन एक महत्वपूर्ण क़दम है जो हमें सबसे पहले उठाना है.

यह पहला क़दम है कि हम नफ़रत की राजनीति के ख़िलाफ़ वोट करें और ऐसा करने का मौक़ा हमें बहुत जल्द ही मिल रहा है. हम लोगों को बांटने के ख़िलाफ़ वोट करें; असमानता के ख़िलाफ़ वोट करें; हिंसा, डर और सेंसरशिप के ख़िलाफ़ वोट करें. सिर्फ़ यही एक रास्ता है जिससे हम एक ऐसा भारत बना सकते हैं जो संविधान में किये वायदों के लिए प्रतिबद्ध हो. इसलिए हम सभी नागरिकों से अपील करते हैं कि वे एक विविधतापूर्ण और समान भारत के लिए वोट करें.


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