ग्राउंड रिपोर्ट : लाइट, कैमरा, ऐक्‍शन… सोनभद्र की मुसहर बस्‍ती में मुख्‍यमंत्री की स्क्रिप्‍ट!


मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत अर्द्धनिर्मित आवास के साथ महेन्दर


लोकसभा निर्वाचन-2019 की चुनावी प्रक्रिया का आग़ाज़ हो चुका है। सत्ताधारी राजनीतिक पार्टियों के नेता और उम्मीदवार सरकार की नीतियों और कार्यों का गुणगान कर रहे हैं तो विपक्षी पार्टियां और उनके नेता सरकार की नीतियों और कार्यों की कमियां गिना रहे हैं। साथ ही वे लोकलुभावन वादा कर मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं। इसी चुनावी गहमागहमी के बीच मीडियाविजिल की टीम ने सरकार की नीतियों और उसके कार्यों की जमीनी पड़ताल की। पढ़िये उत्तर प्रदेश के सबसे पिछड़े, नक्सल प्रभावित और आदिवासी बहुल जनपद सोनभद्र के ग्राम पंचायत बहुअरा और तिनताली की ज़मीनी रपट जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने छह महीने पूर्व दौरा कर विकास कार्यों का जायजा लिया था। जानिये कि छह महीने बाद मुख्यमंत्री के दौरे वाली तिनताली मुसहर बस्ती की तस्वीर कितनी बदली और क्या कहते हैं उसके बाशिंदे? प्रस्‍तुत है दो किस्‍तों की ग्राउंड रिपोर्ट का पहला हिस्‍सा.


सोनभद्र से शिव दास 

स्क्रिप्ट, लोकेशन, कैमरा और ऐक्शन… उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के स्थलीय निरीक्षण की हकीकत कुछ ऐसी ही है। मुख्यमंत्री ने गत वर्ष 12 सितंबर को सोनभद्र के तिनताली मुसहर बस्ती का स्थलीय निरीक्षण किया था उनका यह निरीक्षण विज्ञापनों की शूटिंग से ज्यादा कुछ और नहीं निकला। मुख्यमंत्री के दौरे के छह महीने बाद संवाददाता ने गत 25 मार्च को तिनताली मुसहर बस्ती की पड़ताल की जिसमें कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आये।

सोनभद्र स्थित तिनताली की मुसहर बस्‍ती

“हम बोल ही नहीं पाए, न वो बोल पाए। अधिकारी सब आए, हम सबको आवास क अत्थू दिये, स्मृति पत्र। वही देकर चले गए। उधर दो-तीन ठे मकान का निरीक्षण किये। उसके बाद कोई हाल-चाल नहीं। आउर जनता, हमारे घर क, गांव क, कुल सब घरे में बंद थे।”

यह कहना है तिनताली मुसहर बस्ती के महेन्दर का जो मुख्यमंत्री आवास योजना के लाभार्थी हैं और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गत वर्ष 12 सितंबर को उन्हें प्रशस्ति-पत्र देकर आवास निर्माण के लिए उनके भूमि का पूजन किया था।

विधायक अनिल मौर्य और महेंदर के साथ मुख्‍यमंत्री आदित्‍यनाथ

जब संवाददाता ने महेन्दर से पूछा कि किन लोगों ने बस्ती के लोगों को घरों में बंद किया था तो उन्होंने इसके लिए प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया। महेन्दर से जब मुख्यमंत्री के मिलने की जानकारी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने मुख्यमंत्री के स्थलीय निरीक्षण और भूमि पूजन कार्यक्रम की प्रशासनिक स्क्रिप्ट को यूं बयां किया, “अरे अधिकारी सब रहनअ, सब कहनअ कि यहां आएंगे मुख्यमंत्री, दु-चार दिन पहिले से यहां कुल साफ-सुथरा, कुल जसन मनाने लगे यहां आके, हमारा नींव खुदवाये उसी समय आके।”

फिलहाल महेंदर के मकान की छत पड़ चुकी है लेकिन उसमें फर्श का बनना बाकी है। दरवाजे और खिड़कियां अभी नहीं लगे हैं और ना ही फिनिशिंग का काम हुआ है। महेन्दर ने जल्द ही इसे पूरा करा लेने की बात कही।

महेन्दर के मकान के ठीक पीछे प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के लाभार्थी धनराज का आवास दिखाई दिया जो उन्हें वित्तीय वर्ष 2016-17 में आवंटित हुआ था। मौके पर धनराज की पत्नी सुदामी मिलीं। वह भाजपा की केंद्र वाली मोदी सरकार की दिव्यांग हैं। उनके आवास के पास तीन पहिया वाली साइकिल खड़ी थी जो समाजवादी पार्टी की सरकार के दौरान विकलांगों को आवंटित की गई थी। निरीक्षण के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सुदामी से मिले थे।

प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थी धनराज का निर्मित आवास

मुलाकात के बाबत सुदामी बताती हैं कि मुख्यमंत्री ने उन्हें प्रधानमंत्री उज्‍ज्‍वला योजना के तहत एलपीजी गैस का कनेक्शन वितरित किया। दिव्यांग पेंशन की लाभार्थी सुदामी ने भी कहा कि मुख्यमंत्री ने उनकी समस्या के बारे में कोई सवाल नहीं पूछा और ना ही वह कुछ कह पाईं। सुदामी ने बताया कि मुख्यमंत्री गैस कनेक्शन देकर और फोटो खिंचवा कर चले गए।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना की लाभार्थी सुदामी को गैस कनेक्शन का प्रशस्ति-पत्र देते हुए

यहां गौर करने वाली बात है कि प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना की शुरुआत 1 मई 2016 को हुई थी। उसके कुछ ही महीनों बाद गांवों में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों की सूची तिनताली-बहुअरा समेत विभिन्न गांवों में पहुंच गई थी। पात्र ग्रामीणों ने भी योजना के आवेदन प्रारूप को भरकर संबंधित दस्तावेजों के साथ गैस एजेंसी में जमा कर दिया था लेकिन उन्हें संबंधित गैस एजेंसी द्वारा कनेक्शन मुहैया नहीं कराया गया।

इस संबंध में जब संवाददाता ने एक गैस एजेंसी के प्रबंधक से नाम नहीं छापने की शर्त पर बात की तो उसने बताया कि सत्ताधारी पार्टी के नेताओं समेत उच्च अधिकारियों का निर्देश था कि कैंप लगाकर सत्ताधारी भाजपा के क्षेत्रीय सांसद और विधायक से गैस कनेक्शन का वितरण कराया जाए। इसके लिए वे लोग भाजपा के क्षेत्रीय सांसद और विधायक को अनुरोध करते थे। जब वे समय देते थे तो एजेंसी वाले कैंप लगाकर प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत एलपीजी गैस का कनेक्शन उनके हाथों वितरित कराते थे। साथ ही उसने बताया कि जो लोग प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत निर्धारित धनराशि का भुगतान कर गैस एजेंसी पर आकर कनेक्शन लेते हैं, उन्हें तुरंत दे दिया जाता है। ग्रामीणों से बात करने पर यह भी पता चला कि एलपीजी गैस एजेंसी वाले गांवों में अपने दलाल छोड़ रखे हैं जो गैस कनेक्शन का आवेदन-पत्र भरते हैं और कागजात जमा कराते हैं। इसके बदले में वे 500 से 1200 रुपये तक की वसूली करते हैं। गैस एजेंसी वाले उन्हीं आवेदनों पर ही गैस कनेक्शन उपलब्ध कराते हैं।

फिलहाल धनराज के मकान के पास ही संवाददाता की मुलाकात करीब तीस वर्षीय चंद्रभान से हुई जो कच्चे मकान में रहते हैं। चंद्रभान ने बताया कि उन्हें अभी तक आवास नहीं मिला है। उनके दावों पर गौर करें तो आवास के लिए उनका नाम सूची में था लेकिन अधिकारियों ने उन्हें आवास मुहैया नहीं कराया।

चंद्रभान कहते हैं, “मकान वगैरह कुछ नहीं हमको मिला। नाम तो गया था। सब अधिकारी नाम काट-फाट के चिक्कन कर दिये। कहे कि बाइसै आवासै है तुम्हारे पास…गांव में।” मुख्यमंत्री से मिलने और बात करने के बाबत चंद्रभान बताते हैं, “अरे पुलिसवाले इतना लगल रहनअ कि जाए नाहिं देत रहलैं…उहां से इहां हिल नाहीं पावत हैं कि…रुक जाओ-रुक जाओ, उसी दरे रुकल रहो, जाओ मत आगे…बातै नहीं हुआ तो हम लोग का करें।”

चंद्रभान की मानें तो तिनताली मुसहर बस्ती में अभी दस परिवार ऐसे हैं जिन्हें आवास की जरूरत है लेकिन वह कब मिलेगा, पता नहीं। चंद्रभान ने बताया कि हम लोग जिस भूमि पर रह रहे हैं, वह ग्राम सभा की आबादी है जो हमें पट्टा नहीं हुई है।

संवाददाता ने जब मुख्यमंत्री आवास योजना के लाभार्थी महेन्दर के आवास की भूमि की जानकारी क्षेत्रीय लेखपाल ज्योति गुप्ता से ली तो उन्होंने बताया कि राजस्व रिकॉर्ड में वह भूमि ग्राम सभा की मुसहर आबादी के नाम से दर्ज है। जब उनसे महेन्दर के नाम भूमि पट्टा होने की बात पूछी गई तो उन्होंने भी भूमि पट्टा नहीं होने की बात कही। क्षेत्रीय लेखपाल ने यह भी स्पष्ट किया कि महेन्दर ग्राम सभा की मुसहर आबादी वाली भूमि पर काबिज है। इस भूमि पर केवल मुसहर समुदाय के लोग ही निवास कर सकते हैं। अन्य किसी समुदाय के लोग इस भूमि पर काबिज नहीं हो सकते हैं। हालांकि राजस्व मामले के जानकारों का कहना है कि श्रेणी विशेष के लिए ग्राम-सभा की सुरक्षित भूमि पर बिना पट्टा आबंटन के किसी भी व्यक्ति का काबिज होना गैर-कानूनी है।

जौनपुर की शाहगंज तहसील के तहसीलदार अभिषेक सिंह (जो सोनभद्र की रॉबर्ट्सगंज तहसील में नायब तहसीलदार रह चुके हैं) कहते हैं, “उत्तर प्रदेश जोत चकबंदी अधिनियम-1953 के उपबंधों के अंतर्गत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति या अन्य श्रेणियों की आबादी के लिए सुरक्षित भूमि पर संबंधित श्रेणी का व्यक्ति ही निवास कर सकता है। हालांकि इसके लिए उसे वैधानिक रूप से पट्टा आवंटन किया गया हो क्योंकि ऐसी भूमियों पर प्रवेश का रास्ता पट्टा आबंटन ही है। इस प्रकरण (मुसहर आबादी की भूमि) में मुसहर समुदाय के जिन व्यक्तियों के आवास बन रहे हैं, उन्हें संबंधित भूमि का पट्टा दिया जाना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं है। यह तकनीकी चूक है। भूमि का पट्टा आवंटन के बिना प्रशासन को आवास निर्माण के लिए अनुमति नहीं दी जानी चाहिए थी।“

भूमि पट्टा नहीं देने का असर क्या होगा? इस सवाल पर उन्होंने कहा, “यदि मुसहर समुदाय के लिए सुरक्षित ग्राम-सभा की भूमि पर सारा आवास मुसहरों का बनेगा और वे निवास करेंगे तो कानून का उदार निर्वचन करते हुए संबंधित मुसहरों के पक्ष में ही निर्णय होगा जैसे क्रिकेट में बेनिफिट ऑफ डाउट का मिलता है। यदि इस भूमि पर किसी गैर बिरादरी का व्यक्ति काबिज होता है तो उसे बेदखली का सामना करना पड़ेगा।“

क्षेत्रीय लेखपाल के दावों और कानूनी पृष्ठभूमि में मुसहर बस्ती की बसावट की पड़ताल में संवाददाता को कई चौंकाने वाले तथ्य मिले जो मुसहर बस्ती में अक्सर विवाद का कारण बनते रहते हैं। इन विवादों में प्रशासन की उदासीनता के साथ-साथ यहां की गंवई राजनीति बहुत हद तक जिम्मेदार है। वाराणसी-शक्तिनगर राजमार्ग (एसएच-4ए) के पूर्वी किनारे बहुअरा ग्राम सचिवालय से महज 25 मीटर दूरी पर स्थित तिनताली मुसहर बस्ती दो भागों विभाजित है जिसे पुरानी मुसहर बस्ती और नई मुसहर बस्ती कहा जा सकता है।

पुरानी मुसहर बस्ती, तिनताली

महेन्दर का आवास नई मुसहर बस्ती में है जिसे क्षेत्रीय लेखपाल द्वारा मुसहर आबादी वाली भूमि बताई जा रही है। पड़ताल में सामने आया कि नई मुसहर बस्ती ग्राम-सभा की करीब 15 बिस्वा भूमि पर बसी है जिसमें करीब दो बिस्वा (0.0250 हेक्टेयर) कुम्हारों के लिए मिट्टी निकालने वाली भूमि भी शामिल है। जिला प्रशासन आज तक कुम्हारों को उक्त भूमि मिट्टी निकालने के लिए मुहैया नहीं करा पाया है। ग्राम-सभा के राजस्व रिकॉर्ड में करीब 13 बिस्वा ( 0.1610 हेक्टेयर) मुसहर आबादी दर्ज है।

नई मुसहर बस्ती और उसकी खतौनियां

 

नई मुसहर बस्ती वाली बसावटों की पड़ताल में सामने आया कि मुसहर समुदाय के लिए सुरक्षित ग्रामसभा की करीब दो बिस्वा भूमि पर अन्य पिछड़ा वर्ग के सुरेश मौर्या का मकान है। यह मुसहर बस्ती का सबसे बड़ा और समृद्ध बसावट है जिसमें जनरल स्टोर की दुकान भी है। आबादी के संदर्भ में राजस्व प्रावधानों और क्षेत्रीय लेखपाल के दावों पर गौर करें तो सुरेश मौर्या का मकान पुरी तरह से गैर-कानूनी है जो अतिक्रमण की श्रेणी में आएगा। मुसहर बस्ती निवासी धनराज ने बताया कि वे लोग इसे लेकर कई बार जिला प्रशासन से लिखित शिकायत कर चुके हैं। तहसील दिवस में भी गुहार लगा चुके हैं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने बताया कि पुरानी बस्ती के कुछ लोगों ने मुसहर आबादी वाली भूमि पर भी कब्जा कर लिया था जिसे उन्होंने अन्य जाति के लोगों को वह बेच दी। इसे लेकर कई बार विवाद भी हो चुका है।  गौर करने वाली बात यह है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गत वर्ष 12 सितंबर को मुसहर बस्ती के निरीक्षण के दौरान इस मकान के सामने ही थे लेकिन ग्रामसभा की भूमि पर हुए इस अतिक्रमण के खिलाफ कोई उन्होंने भी कोई कार्रवाई नहीं की (देखें फोटो-10)। हालांकि उनकी सरकार भू-माफियाओं और अतिक्रमण के खिलाफ विशेष अभियान चलाने का दावा करती है। सुरेश मौर्या के अलावा मुसहर आबादी की जमीन पर अन्य पिछड़ा वर्ग के सुदर्शन का भी मकान बना है जो पूरी तरह से अवैध एवं अतिक्रमण है।

मुसहर बस्ती में निर्मित सुरेश मौर्या का मकान जिसके सामने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पूरे दल-बल के साथ मौजूद हैं। साथ में रॉबर्ट्सगंज के विधायक भूपेश चौबे भी हैं


क्रमश: तिनताली मुसहर बस्ती और भाजपा का सियासी एजेंडा


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