कुपोषण से बच्चों की मौत में नाइजीरिया से बदतर भारत, UNICEF की रिपोर्ट

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20 year old Jhanki shows off her malnourished and wasting 9 month old baby girl Roshini in Silanagar village outside Shivpuri, Madhya Pradesh state in India. Despite 15 yeas of economic growth the incidence of child malnutrition has barely changed -- 46 percent of children under 5 in India are malnourished: twice the rate of sub Saharan Africa. A report released last week said a mixture of poor governance , the caste system dis-empowerment of women and superstition are preventing children from getting the nutrition they need, condemning another generation to brain damage, low earning potential and early death. At the moment 3000 children a day die in India as a result of malnutrition.


संयुक्त राष्ट्र की बच्चों की संस्था यूनिसेफ द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2018 में भारत में 5 साल के कम उम्र के 8,82,000 बच्चों की मौत हुई. वहीं नाइजीरिया में 8,66,000 और पाकिस्तान में 4,09,000 बच्चों की मौत हुई है. यह आंकड़ा किसी युद्ध प्रभावित देश में मरने वाले बच्चों की संख्या से कहीं अधिक है.

यूनिसेफ ने इस रिपोर्ट को 16 अक्टूबर को जारी किया है.

भारत में पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में 69 फीसद मौतों का कारण कुपोषण है.यूनिसेफ ने अपनी रिपोर्ट ‘द स्टेट ऑफ द वल्र्ड्स चिल्ड्रन 2019’ में यूनिसेफ ने कहा कि इस आयु वर्ग में हर दूसरा बच्चा किसी न किसी रूप में कुपोषण से प्रभावित है.

इसमें बच्चों का विकास बाधित होने के 35 फीसद मामले, दुर्बलता के 17 फीसद और वजन अधिक होने के दो फीसद मामले हैं. केवल 42 फीसद बच्चों (छह से 23 महीने के आयु वर्ग में) को पर्याप्त अंतराल पर भोजन दिया जाता है और 21 फीसद बच्चों को पर्याप्त रूप से विविध आहार मिलते हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि 6-8 महीने की आयु के केवल 53 फीसद शिशुओं के लिए समय पर पूरक आहार देना शुरू किया जाता है.

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में खून की कमी सबसे अधिक व्याप्त है. किशोर लड़कियों में यह प्रवृत्ति किशोर लड़कों से दोगुनी है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर में 5 से कम उम्र के हर तीन बच्चों में से एक बच्चा कुपोषण ग्रस्त है. (पेज 17).

ग्लोबल न्यूट्रिशन रिपोर्ट 2018 के अनुसार दुनिया के सबसे ज्यादा कुपोषित बच्चे भारत में रहते हैं. हाल ही में ग्लोबल हंगर इंडेक्स द्वारा जारी सूची में भारत को 117 देशों में से 102 पायदान पर रखा गया है.

यूनिसेफ के कार्यकारी निदेशक हेनरीटा फोर ने कहा, “बेहतर विकल्प नहीं होने के कारण करोड़ों बच्चे अस्वास्थ्यकर भोजन से ही गुजारा करते हैं.” रिपोर्ट में कुपोषण के तीन बोझ बताए- अल्पपोषण, छिपी हुई भूख और अधिक वजन.

पांच साल से कम के 34 करोड़ बच्चे जरूरी विटामिनों और अन्य खनिज पदार्थों की कमी से पीड़ित हैं और चार करोड़ बच्चे मोटापा या ज्यादा वजन से पीड़ित हैं. मोटापा या ज्यादा वजन पिछले कुछ सालों में बच्चों में महामारी के रूप में फैला है.

यूनिसेफ के आंकड़ों के अनुसार, साल 2018 में दुनियाभर में पांच साल से कम के 14.9 करोड़ बच्चे अविकसित और लगभग पांच करोड़ बच्चे कमजोर थे. आम धारणा के विपरीत, ज्यादातर कमजोर बच्चे आपातकाल का सामना कर रहे देशों की तुलना में एशिया में ज्यादा थे.

रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर प्रसंस्कृत खाद्य बिक्री का 77 फीसद सिर्फ 100 बड़ी फर्मों द्वारा नियंत्रित किया जाता है.

छह महीने और दो वर्ष आयु वर्ग के बीच तीन बच्चों में से लगभग दो बच्चों को भोजन नहीं दिया जाता. इससे बच्चों में मस्तिष्क का पूरा विकास नहीं होने का खतरा, कमजोर प्रतिरक्षण प्रणाली तथा संक्रमण में वृद्धि और कुछ मामलों में मृत्यु होने की आशंका हो जाती है.

यूनीसेफ ने 20 साल पहले इस तरह की रिपोर्ट जारी की थी.

SOWC-2019