औरंगज़ेब से भी ख़राब योगी ! काशी का घर टूटा तो प्राण दे दूँगा – पत्रकार पद्मपति शर्मा

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पद्मपति शर्मा हिंदी के शुरुआती खेल पत्रकारों में हैं। बनारस के विश्वेश्वर पहाड़ी पर रहने वाले शर्मा जी का घर घाटों के सुंदरीकरण की भेंट चढ़ सकता है। उन्होंने फ़ेसबुक पर लिखा है कि 50 साल तक बिना किसी कामना के जिस ‘दल’ की उन्होंने सेवा की, उसके राज में उन्होंने यह सब देखना पड़ रहा है। उन्होंने योगी सरकार के इस ज़ुल्म के ख़िलाफ़ ख़ुदकुशी की चेतावनी दी है। पढ़िए उनकी फ़ेसबुक पोस्ट

जो बाबर-औरंगजेब नही कर सके वो योगी सरकार करेगी !

पद्मपति शर्मा

 

महादेव की तरह ही अजन्मी काशी की सांस्कृतिक विरासत को मिटाने की साजिश एक बार फिर उफान पर है. देश की पहली राष्ट्रवादी सरकार का दावा करने वाली भाजपानीत एनडीए के राज मे यह सब हो रहा है, क्षोभ इसको लेकर है.

बताया जा रहा है कि विश्वनाथ मंदिर से सीधे मां गंगा का दर्शन कराने की सरकारी अधिकारियों की आठ साल पुरानी कुत्सित योजना को यू पी की योगी सरकार ने हरी झंडी दिखा दी है. विश्वास नही होता कि सनातन धर्म की रक्षक होने का दावा करने वाली प्रदेश सरकार ने यह जानते हुए कि मंदिर के आसपास की बस्ती खुद मे हजारों साल पुरानी सभ्यता समेटे हुए है, इस योजना पर आगे बढ़ना तय किया. यानी गंगा दर्शन के बहाने 450 मीटर के दायरे मे स्थित मंदिर, धरोहर और हजारों साल पुराने स्मारक – मकान जमीदोज कर दिए जाऐगे. जो काम बाबर और औरंगजेब जैसे आक्राता मुगल शासक नही कर पाए वो काम हिदुत्व रक्षक होने का दावा करने वाली प्रदेश सरकार प्रधान मंत्री के इस संसदीय क्षेत्र मे करने जा रही है. मुझे सपने मे भी विश्वास नहीं था कि ऐसा होगा. मगर सोमवार 29 जनवरी को विकास प्राधिकरण के लोग सरस्वती द्वार के इस प्रहरी के घर आ धमके सर्वे के नाम पर.

उम्मीद की आखिरी किरण माननीय नरेन्द्र मोदी जी है जो अनगिनत बार कह चुके है कि काशी का विकास और उसका सुंदरीकरण उसकी विरासत को अक्षुण्ण रखते हुए ही किया जाएगा.

इसे धमकी न समझा जाय, यह चेतावनी है नगर के उस विधर्मी अधिकारी को कि यदि ऐसा हुआ तो पहला फावड़ा चलने के साथ ही विश्वेश्वर पहाड़ी ( लाहौरी टोला ) की चोटी पर पूर्वजों द्वारा लगभग 175 साल पहले निर्मित मकान मे रहने वाला आपका यह नाचीज प्राणोत्सर्ग करने से कतई नहीं हिचकेगा. याचना नही अब रण होगा और जिस दल की आधी सदी से भी ज्यादा समय से बिना किसी कामना के नि:स्वार्थ सेवा करने वाला यह शख्स उसी दल के इस कुकर्म के विरोध मे आत्मदाह पर विवश होगा, पीड़ा बस यही है.