
मंगलवार को बिहार के छात्रों और प्रवासी मजदूरों को बिहार वापस लाने के लिए पटना विश्वविद्यालय के गेट पर प्रदर्शन कर रहे छात्रों को, देर शाम जेल भेज दिया गया है। इन छात्रों में पटना विश्विद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष, मनीष यादव भी शामिल हैं। इनको पुलिस द्वारा दोपहर में हिरासत में लिया गया था, बाद में इनको मजिस्ट्रेट के सामने पेश कर के, जेल भेज दिया गया है। छात्रों का कहना था कि “हम सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन कर रहे थे लेकिन नितीश कुमार सरकार ने हमारी आवाज़ दबाने के लिए हमारी गिरफ़्तारी करवा दी है।”
पटना पुलिस, मंगलवार पटना यूनिवर्सिटी के छात्र संघ अध्यक्ष मनीष कुमार के अलावा लव कुमार यादव, आदित्य मिश्रा, विनय यादव को गिरफ़्तार कर के कोतवाली थाना ले गयी। बाद में शाम को इन्हें बेऊर जेल भेज दिया गया है। पूर्व अध्यक्ष पटना साइंस कॉलेज मंदीप कुमार गुप्ता ने मीडिया विजिल से फ़ोन पर हुई बातचीत में बताया, “मुझे मिली जानकारी के अनुसार इन चारों लोगों को गिरफ्तार करके कोतवाली थाने ले जाया गया। उसके बाद गर्दनीबाग़ अस्पताल में इनकी कोरोना संक्रमण की जाँच करायी गयी। जहाँ से इन्हें मजिस्ट्रेट के सामने पेश करके जेल भेज दिया गया। ये सरासर गलत है। उन्होंने सिर्फ़ कोटा में फंसे बच्चों और प्रवासी मजदूरों के हक़ की बात की थी।”
कोटा में भी पुलिस ने दर्ज़ किया मामला
इसी तरह के एक और मामले में कोटा में फंसे बिहार के छात्रों ने नितीश कुमार सरकार पर दबाव बनाने के लिए सड़क पर बैठकर धरना दिया था। जिसकी वजह से वहां पर भी पुलिस द्वारा मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने लॉकडाउन के नियमों को तोड़ने के चलते मामला दर्ज़ किया है। देश में कोरोना वायरस के चलते हुए लॉकडाउन की वजह से कोटा में बिहार और अन्य राज्य के छात्र फंसे हुए थे। जहाँ से अन्य राज्यों में से कई राज्यों ने अपने यहाँ के छात्रों को गृह राज्य बुला लिया है लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने ऐसा करने से मना कर दिया है।
प्रधानमंत्री के सामने नितीश कुमार ने रखा अपना पक्ष

प्रधानमंत्री के साथ हुई वीडियो कांफ्रेंसिंग में भी नितीश कुमार ने कहा था कि “बिहार सरकार लॉकडाउन को लेकर केंद्र सरकार द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों का पालन कर रही है और जब तक इन नियमों में कोई संशोधन नहीं किया जायेगा तब-तक ये संभव नहीं है कि हम किसी छात्र को वापस ला सकें। केंद्र सरकार द्वारा आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करना ज़रूरी है। बाहर फंसे बच्चों को वापस लाने के लिए पूरे देश में एक नीति होनी चाहिए।”
बाहर फंसे छात्रों को वापस लाने के लिए पटना हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई
इस मामले में पटना हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका भी दाखिल है, जिसकी सुनवाई आने वाली 5 मई को होगी। याचिका में कोटा समेत अन्य राज्यों में फंसे बिहार के छात्रों को वापस लाने की बात कही गयी है। इसकी सुनवाई वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से जस्टिस हेमन्त कुमार श्रीवास्तव और आरके मिश्रा की खंडपीठ द्वारा की जाएगी। बिहार सरकार ने इस याचिका के संबंध में अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते बाहर के राज्यों में पढ़ रहे छात्रों को वापस लाना संभव नहीं है।
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इस ख़बर को और समझने के लिए पढ़िए – कोटा के छात्रों को घर वापस लाओ’ – कोटा से पटना तक विरोध प्रदर्शन
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