ईवीएम की शिकायत नभाटा ने विज्ञापनों के बीच छापी!

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संजय कुमार सिंह


देश में तमाम संवैधानिक संस्थाओं की साख जब लगातार खराब हो रही है तब इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन बहुत मामूली चीज है। यह अकेली भी नहीं है। इसकी साख चुनाव आयोग से जुड़ी हुई है। लेकिन करीब आते लोकसभा चुनावों और उसके सेमी फाइनल कहे गए मध्य प्रदेश चुनाव में ईवीएम पर उठे सवालों को गंभीरता से न लेना अपने अधिकारों के प्रति सतर्क नहीं होना है। इसमें कोई शक नहीं है कि ईवीएम को शक से मुक्त होना चाहिए। हमारा काम है शक करना और संबंधित लोगों को उसे दूर करना चाहिए। लेकिन हम शक भी न करें तो उन्हें दूर करने की परवाह कौन करेगा।

मध्य प्रदेश में मतदान के 48 घंटे बाद बिना नंबर की एक बस से ईवीएम जमा कराने पहुंचे अधिकारियों का मामला साधारण तो नहीं हो सकता। खासकर तब तब सोशल मीडिया पर ये वीडियो घूम रहे हैं कि अधिकारी ईवीएम लेकर भाजपा नेता के होटल में ठहर गए थे। सोशल मीडिया में शुक्रवार को पहली खबर आई और दूसरी शनिवार को। इसके बाद यह खबर आज अखबारों में होनी चाहिए। यह खबर पाठकों की सूचना के लिए तो जरूरी है ही अगर अखबार सरकार की सेवा में मरे जा रहे हैं तो भी इस मामले में हुई कार्रवाई को ऐसे पेश किया जा सकता है जिससे ईवीएम पर मतदाताओं का भरोसा बना रहे। खबर नहीं होने से यह संभव नहीं है।

इसलिए आज मध्यप्रदेश में मतदान के बाद ईवीएम से संबंधित विवाद की इस खबर को अखबारों में ढूंढ़ता हूं। नेट पर मुख्य रूप से अखबारों के दिल्ली संस्करण में पहले पेज पर पूरे ध्यान से और अंदर राष्ट्रीय या देश भर की खबरों के पेज के साथ मध्य प्रदेश की खबरों या चुनाव की खबरों के पन्ने पर भी इस खबर को ढूंढ़ने की कोशिश करता हूं। मुमकिन है मैं चूक जाऊं। इसलिए आप भी देखिए और जानिए कि आपका अखबार आपको कैसी खबरें देता है और कैसी खबरों पर चुप्पी मार जाता है या कहीं कोने में छाप कर अपना काम पूरा समझ लेता है।

अंग्रेजी अखबारों में हिन्दुस्तान टाइम्स में यह खबर चुनावी खबरों के पन्ने पर चार कॉलम में है। शीर्षक है, कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में चुनावी ‘साजिश’ के आरोप लगाए। इसमें आरोपों के साथ चुनाव आयोग का जवाब और विपक्ष के बयान तथा वीडियो की भी चर्चा है। इंडियन एक्सप्रेस में सरकार और राजनीति की खबरों वाले पन्ने पर यह खबर तीन कॉलम में है। मध्य प्रदेश स्लग और नई दिल्ली डेटलाइन वाली इस खबर का शीर्षक है, “कांग्रेस ने ‘चुनावी अनियमितताओं’ के वीडियो जारी किए, प्रदेश चुनाव आयोग ने इनकार किया”। टाइम्स ऑफ इंडिया में यह खबर राजनीति और नीति के पन्ने पर नई दिल्ली डेटलाइन से है और चुनाव आयोग से कांग्रेस की शिकायत की खबर है। इसके साथ एक खबर में यह भी बताया गया है कि सागर के ईवीएम विवाद में नायब तहसीलदार को मुअत्तल कर दिया गया है। द टेलीग्राफ में यह खबर लीड है। एक बॉक्स में आरोप और उसके जवाब भी हैं।

हिन्दी अखबारों में यह खबर सबसे अच्छी तरह राजस्थान पत्रिका में छपी है। पहले पन्ने पर दो कॉलम में प्रकाशित इस खबर का फ्लैग शीर्षक है, “मप्र छग : दिल्ली में कांग्रेस ने की शिकायत”। मुख्य शीर्षक है, “ईवीएम की सुरक्षा पर सात घंटे सफाई देता रहा चुनाव आयोग”। नई दिल्ली, भोपाल और रायपुर डेटलाइन से प्रकाशित इस खबर के साथ चुनाव आयोग गए कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल की फोटो भी है और सिंगल कॉलम की एक अलग खबर का शीर्षक है, सफाई : “स्ट्रांग रूम में नहीं, स्टोर रूम में रखी गई अतिरिक्त ईवीएम।

नवभारत टाइम्स में, “ईसी से मिली कांग्रेस, एमपी-छत्तीसगढ़ में ईवीएम टैम्परिंग की शंका जताई”। शीर्षक से एक कॉलम से कुछ बड़ी यह खबर विज्ञापनों के बीच एडजस्ट की गई है। जबकि दैनिक भास्कर में यह खबर दूसरे फ्रंट पेज पर, दो कॉलम में, “काउंटिंग से पहले ही ईवीएम पर रार, कांग्रेस ने दर्ज कराई शिकायत” शीर्षक से है। यह खबर नई दिल्ली डेटलाइन से चुनाव आयोग में पार्टी द्वारा की गई शिकायत के आधार पर है। मध्य प्रदेश से जो शिकायत आई उसका विस्तार देने वाली खबर नहीं है। भास्कर में अंदर चुनावी खबरों के पेज पर एक और खबर कांग्रेस के आरोप पर है। इसका शीर्षक है, “सीसीटीवी सुधारने के बहाने लैपटॉप लेकर स्ट्रांग रूम में घुस रहे अफसर।”

नवोदय टाइम्स में कांग्रेस की शिकायत वाली खबर दिल्ली डेट लाइन से पेज दो पर है। शीर्षक है, “ईवीएम की सुरक्षा और चौकस करे निर्वाचन आयोग कांग्रेस”। पेज एक पर ईवीएम से जुड़ी कोई खबर नहीं है। दैनिक हिन्दुस्तान में भी कांग्रेस की शिकायत की खबर चुनावी खबरों के पेज पर है और तीन कॉलम में छोटी सी छपी है।शीर्षक है, “ईवीएम की चौकसी बढ़ाई जाए : कांग्रेस”।

दैनिक जागरण में भी यह खबर चुनावी खबरों के पेज पर है और कांग्रेस के चुनाव आयोग जाने की खबर है। ईवीएम में हेरफेर की आशंका पर आयोग पहुंची कांग्रेस। इस तरह, जागरण में भी यह खबर कांग्रेस के आरोपों की बदौलत चार कॉलम में विस्तार से छपी है। अमर उजाला में यह खबर पहले पेज पर नहीं है। नेट पर इस अखबार को पढ़ना थोड़ा मुश्किल है। पर मुझे यह खबर जहां होनी चाहिए थी उन पन्नों पर तो नहीं दिखी।

और अंत में टेलीग्राफ की खबर। बिना नंबर की बस में भर कर सागर के कलेक्टर ऑफिस पहुंचे ईवीएम बुधवार को मतदान के 48 घंटे बाद पहुंचे थे। ये मशीनें खुरई से आई थीं जो राज्य के गृहमंत्री और भाजपा नेता भूपेन्द्र सिंह का चुनाव क्षेत्र है। चुनाव आयोग ने कहा है कि ये मशीनें रिजर्व श्रेणी की हैं। शनिवार को चुनाव आयोग ने एक बयान फिर जारी किया और बताया कि खुरई की रिजर्व ईवीएम को देर से जमा कराने के आरोप में एक अधिकारी, नायब तहसीलदार राजेश मेहरा को निलंबित किया गया है।

शुक्रवार को चुनाव आयोग ने शाजापुर जिले के चुनाव अधिकारियों द्वारा नियमों के उल्लंघन की बात स्वीकार की थी। ये लोग चुनाव के मौके पर मंगलवार को भाजपा नेता से जुड़े होटल में ठहरे थे। आयोग ने माना कि यह नियमों के खिलाफ है और शिकायत मिलने पर इन्हें हटा (बदल) दिया गया। मशीनें ठीक थीं और इनका अगले दिन के मतदान में उपयोग नहीं किया गया था। अखबार ने इस मामले में यह दिलचस्प जानकारी दी है कि चुनाव आयोग ने दिल्ली में यह बयान शुक्रवार को तब जारी किया जब कांग्रेस के कुछ नेताओं ने इस बारे में ट्वीट किया। अखबार ने लिखा है, मुमकिन है कि मध्यप्रदेश में पहले स्पष्टीकरण जारी किया गया हो पर चुप रहने के मुख्यालय के निर्णय ने गड़बड़ी के आरोपों से मुकाबले को मुश्किल बनाया है।

यहां गौरतलब है कि ये मशीनें इस बार उपयोग में नहीं लाई गई हैं और आगे के लिए उनसे छेड़छाड़ नहीं की गई है इसकी क्या गारंटी हो सकती है। मशीन से छेड़छाड़ की संभावना बताने वाले यह बताते है कि मशीन चाहे जैसे सेट की जा सकती है। यानी शुरू के 10-20-50 वोट तो सही पड़ेंगे गड़बड़ी जैसे सेट किया जाए उसके बाद शुरू होगी। ऐसे में इसे जांचने और इससे निश्चित होने का कोई उपाय नहीं है। सिर्फ भरोसा ही है और भरोसे के साथ यह खिलवाड़ चल रहा है जो खबर भी नहीं बन रही है। ईवीएम से संबंधित चुनाव आयोग का मैनुअल कहता है, “संदेह पैदा होने देने से बचिए”। और अखबार लगता है इसी पुनीत कार्य में लगे हैं। ईवीएम के पक्ष में एक बड़ा तर्क यह दिया जाता है कि मतपेटियां लूट ली जाती थीं। पर तब वो वोट गिने नहीं जाते थे या वहां दुबारा चुनाव होते थे। पर ईवीएम 48 घंटे बाद पहुंचे, होटल में रहें तो यह मान लेना चाहिए कि उसमें कोई गडबड़ नहीं है।

 

लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।