अडानी पर रिपोर्ट बना रहे ऑस्ट्रेलियाई पत्रकारों को गुजरात पुलिस ने ‘तड़ीपार’ किया !

मीडिया विजिल मीडिया विजिल
अभी-अभी Published On :


भारत में पत्रकारों के ‘अच्छे दिनों’ का स्वाद कुछ ऑस्ट्रेलियाई पत्रकारों को भी मिला है। वे ऑस्ट्रेलिया में सबसे बड़ी कोयला खदान परियोजना पर काम कर रहे अडानी ग्रुप के पर्यावरण तथा अन्य ट्रैक रिकॉर्ड की जाँच करने गुजरात गए थे, लेकिन वहाँ उन्हें पुलिस की तगड़ी पूछताछ और धमकियों का सामना करना पड़ा। बहरहाल ‘4 कार्नर्स ’ चैनल की यह टीम अपना काम पूरा करके वापस चली गई है।

यह सारी जानकारी चैनल के प्रोमो के ज़रिए सामने आई है जिसमें आज शाम “डिगिंग इनटू अडानी” स्टोरी के प्रसारण का ऐलान किया गया है।

4 कॉर्नर रिपोर्टर स्टीफ़न लॉँग के मुताबिक वे गुजरात मे मुंद्रा पहुँचकर अपना काम कर रहे थे, लेकिन अगले ही दिन पुलिस उनके होटल पहुँच गई। वे भारत में किए गए तमाम इंटरव्यू और फुटेज को बचाने के लिए फ़िक्रमंद हो उठे।

स्टीफ़न ने बताया, “ हमसे क़रीब पाँच घंटे तक पूछताछ की गई। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी इस दौरान बार-बार मोबाइल पर बात करने के लिए कमरे से बाहर जाता था और लौटने पर उसका रुख़ और सख़्त हो जाता था। वे लोग अच्छी तरह जानते थे कि हम वहाँ क्यों आए हैं, लेकिन कोई भी ए (अडानी) शब्द मुँह से नहीं निकाल रहा था। पुलिस ने हमसे कहा कि अगर हम लोग वापस नहीं गए तो तीन ख़ुफ़िया एजेंसियों के लोग अगले दिन पूछाताछ करने आएँगे और हम लोगो जहाँ भी जाएँगे, क्राइम स्कावड के जासूस और स्थानीय पुलिस साथ होगी। ”

अपने इस कड़वे अनुभव के साथ 4 कॉर्नर्स की टीम ऑस्ट्रेलिया लौट गई, लेकिन इस दौरान वह अपनी रिपोर्ट पूरी करने में क़ामयाब रही।

ग़ौरतलब है कि गौतम अडानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काफ़ी क़रीब माने जाते हैं। आरोप है कि ऑस्ट्रेलिया में कोयला खदान का ठेका अडानी को दिलवाने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ख़ास रुचि ली थी। वे ऑस्ट्रेलियाई दौरे में गौतम अडानी को साथ ले गए थे और वहीं स्टेट बैंक के चेयरमैन को बुलाकर उन्होंने इस सिलसिले में अडानी को लोन देने का निर्देश दिया था। हाँलाकि बीजेपी ने इसे सामान्य बैंकिंग कामकाज बताते हुए विपक्ष पर ग़लतबयानी का आरोप लगाया था।

उधर, ऑस्ट्रेलिया में भी पर्यावरण प्रेमी अडानी को कोयला खदान दिए जाने का काफ़ी विरोध कर रहे हैं।  उनका साफ़ कहना है कि अडानी ने जब भारत में पर्यावरण मानकों का ख़्याल नहीं रखा है तो फिर ऑस्ट्रेलिया में कैसे रखेंगे। चैनल की रिपोर्ट में पूर्व पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश से भी बातचीत है। रमेश ने अडानी को ठेका देने के ऑस्ट्रेलियायी सरकार के फ़ैसले पर हैरानी जताई है।

हाँलाकि अडानी ने दावा किया है कि वह जिन देशों में काम करती है, वहाँ के क़ानून का पूरी तरह से पालन करती है।

बहरहाल, ऑस्ट्रेलिया के पत्रकारों को पता चल गया होगा कि भारत में अडानी क्या चीज़ हैं और उनके बारे में ख़बर करना कितना मुश्किल है। समझा जा सकता है कि पुलिस एक निजी कंपनी पर ख़बर बनाने की ख़बर से इतनी परेशान क्यों हो गई।

ग़ौरतलब है कि इसी साल जून में आस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड में 21.7 अरब डॉलर की विवादास्पद कोयला खदान परियोजना को अंतिम मंजूरी मिली थी। पर्यावरण संबंधी चिंताओं को लेकर इस परियोजना के सामने कई रकावटें थीं।