BRD गोरखपुर कांड : UP मुख्य सचिव ने कहा-डॉ. कफील को नहीं मिली है क्लीनचिट

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यूपी के योगी सरकार में मुख्य सचिव (मेडिकल एजुकेशन) रजनीश दुबे ने कहा है कि बीआरडी मेडिकल कॉलेज, गोरखपुर के 2017 के ऑक्सीजन कांड में बच्चों के मौत के मामले में निलंबित डॉ.कफील खान को राज्य सरकार की ओर से कोई क्लीन चिट नहीं दी गई है.

सात मामलों में अब भी उनके खिलाफ जांच चल रही है. सरकारी बयान के मुताबिक, बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर में अगस्त 2017 में ऑक्सीजन की कमी से हुई 70 बच्चों की मौत के मामले में आरोपी डॉ. कफील को चार मामलों में से सिर्फ एक में ही क्लीन चिट मिली है. आरोप है कि घटना के वक्त 100 बेड के एईएस वार्ड के नोडल प्रभारी डॉ. कफील ही थे, जबकि जांच में यह आरोप निराधार पाया गया है.

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प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा रजनीश दुबे ने कहा कि बीआरडी मेडिकल कॉलेज में हुई बच्चों की मौत में प्रथम दृष्ट्या दोषी पाए गए 3 डॉक्टरों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के निर्देश देकर निलंबित किया गया था. उन्होंने कहा कि आरोपी डॉक्टर कफ़ील ने जांच रिपोर्ट को गलत रूप में प्रचारित किया है. उन्होंने कहा कि आरोपी डॉक्टर ने खुद को दोष मुक्त बताकर ग़लत खबर चलवाई. डॉक्टर कफील ने मीडिया के सामने ग़लत तथ्य रखे. डॉ कफ़ील के खिलाफ शासन स्तर पर जांच जारी है.

प्रमुख सचिव ने कहा कि डॉ कफ़ील के खिलाफ चार में से दो आरोप पूर्णतया सही पाए गए हैं. शेष दो आरोपों की जांच जारी हैं. उन्होंने कहा कि डॉ कफ़ील के खिलाफ निजी अस्पताल में कार्य करने की शिकायत सही पाई गई है. डॉ कफ़ील के खिलाफ शेष दो आरोपों में शासन द्वारा उन्हें क्लीन चिट नहीं दी गई है.

डॉ. कफ़ील के खिलाफ बहराइच के बाल रोग विभाग में जबरन इलाज करने का आरोप है.जिसमे उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर इस मामले की भी जांच कराई जा रही है. डॉ कफ़ील के खिलाफ दो मामलों में लगे सात आरोपों में विभागीय कार्रवाई की जा रही है. ये संवेदनशील मामला है, इसलिए कानूनी प्रक्रिया के तहत इस मामले में कार्रवाई की जाएगी.

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योगी सरकार का आरोप है कि डॉ. कफील खान यह बताने में पूरी तरह असमर्थ रहे कि 23 अप्रैल 2013 के नियुक्ति आदेश में यह स्पष्ट किया गया था कि वह प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं करेंगे फिर कैसे मेडस्प्रिंग हॉस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर गोरखपुर में साल 2014 में उनका नाम बतौर डॉक्टर के रूप में अंकित था.

डॉ.कफील पर निजी नर्सिंग होम का संचालन करने और प्राइवेट प्रैक्टिस में संलिप्त होने के आरोप थे जो जांच में सही पाए गए. वहीं निलंबन के बावजूद डॉ कफील 22 सितंबर 2018 को जबरन मरीजों का इलाज करने के लिए जिला अस्पताल बहराइच में घुस गए थे. साथ ही उनके द्वारा सरकार विरोधी राजनीतिक बयानबाजी भी की गई.