असम पुलिस ने की मिज़ो महिला टीवी पत्रकार की बर्बर पिटाई !

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भारत में सच्चाई सामने लाने को प्रतिबद्ध पत्रकारिता में जोख़िम लगातार बढ़ता जा रहा है। सीमांत इलाकों में तो हालत काफ़ी बदतर हो चली है। अफ़सोस की बात है कि पत्रकारों के दमन में राज्य भी शामिल है। मिजोरम में ऐसा ही एक वाक़या हुआ है जिसमें एक महिला टी.वी.पत्रकार को असम पुलिस के जवानों ने बुरी तरह पीटा

मिज़ोरम के सबसे ताक़तवर छात्र संगठन ज़िर्लई पॉल ने 27 फरवरी को असम की सरहद से लगे आरक्षित वन क्षेत्र में लकड़ी के विश्राम गृह का निर्माण किया था। यह मज़बूत ढाँचा धान के खेतों में काम करने वाले किसानों के आराम करने की जगह के रूप में बनाया गया था। लेकिन शाम को ही असम पुलिस और वन विभाग की एक संयुक्त टीम ने इस निर्माण को असम सीमा मे अतिक्रमण बता कर गिरा दिया। मिजो ज़िर्लई पॉल के केंद्रीय नेतृत्व ने इसे व्यक्तिगत अपमान के रूप में देखा और विश्रामगृह को दोबारा उसी जगह बनाने का संकल्प लिया गया। इसके निर्माण के लिए 8 मार्च की तारीख तय की गई. इसे लेकर पिछले कुछ दिनों से तनाव चल रहा था। कई पत्रकार घटना को कवर करने पहुँच गए थे।

भारी पुलिस बंदोबस्त की वजह से 8 मार्च को तो कुछ नहीं हो पाया लेकिन 10 मार्च को स्थिति ख़राब हो गई। न्यूज 18 असम-नार्थ ईस्ट की पत्रकार एमी सी लॉबी इस घटना को कवर करने गई थीं। उनका आरोप है कि असम पुलिस ने उन पर हमला किया जबकि वे लगातार कहती रही की वे पत्रकार हैं लेकिन पुलिस ने उनकी एक न सुनी। उनका कहना है कि यह बहुत ही डराने वाला अनुभव था।  उनके मन में दहशत सी बैठ गई है. एमी.सी लॉबी के मुताबिक उनके देखते ही देखते पुलिस ने फ़ायरिंग की जिसमें तीन लोगों को चोटें आईं।

इस सिलसिले में एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें लॉबी अपनी पीठ और गर्दन पर लगी चोटों को दिखाते हुए असम पुलिस अधिकारियों की बर्बरता को बता रही हैं।  उन्होंने कहा, “मैं कहती रही कि मैं एक पत्रकार हूं और मैं इस घटना को कवर करने के लिए आई हूं, लेकिन पुलिस अधिकारियों पर इसका कोई असर नहीं हुआ और उन्होंने मुझे पीटना जारी रखा।

इस घटना से काफ़ी तनाव है।मिज़ो एक्टिविस्ट और पत्रकारों ने असम पुलिस पर बर्बरता का आरोप लगाया है। करीब 20 लोग घायल हुए हैं।