भोपाल: ज़मीन विवाद में दलित किसान को जिंदा जलाने वाला भाजपा के पिछड़ा मोर्चा का नेता है!


Talking to family members of the deceased and Villlagers of Ghatkhedi (2)


भोपाल से करीब 70 किलोमीटर दूर हिमोनी पंचायत के परसोरिया गाँव में जाटव (अहिरवारों) के टोले घाटखेड़ी में 22 जून 2018 को सत्तर वर्षीय वृद्ध दलित किसान को पेट्रोल डालकर ज़िंदा जला दिया गया था। विवाद खेती की ज़मीन को लेकर हुआ था और पास के खेत मालिक तीरन यादव ने इसी विवाद में अपने परिवारजनों के साथ मिलकर इस वहशियाना घटना को अंजाम दिया, जिसके बाद हत्या के आरोप में चार लोगों की गिरफ्तारी हुई और मामले की जांच के लिए सरकार ने एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन कर दिया। इस घटना पर राज्य के गृहमंत्री ने अपना बयान घटना के दिन ही ट्वीट किया था: 

इस घटना की खबर मिलते ही अनेक सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों और व्यक्तियों ने ये ज़रूरी समझा कि घटना की वास्तविकता और उसका पूरा जायजा लिया जाए। इस उद्देश्य के साथ 30 जून, 2018 को आठ सदस्यीय एक स्वतंत्र जाँच दल ने घाटखेड़ी और बैरसिया का दौरा किया तथा पीड़ित परिवार के सदस्यों, ग्रामीणों और प्रशासनिक अधिकारियों से मुलाक़ात और बातचीत की तथा मौका-ए-वारदात का मुआयना भी किया। जांच में एक अहम् बात यह निकल्कल सामने आई है कि हत्या का आरोपी भाजपा के पिछड़ा मोर्चा का मंडल स्तर पदाधिकारी है। प्रस्तुत है उक्त जांच दल द्वारा जारी संक्षिप्त रिपोर्ट- (संपादक) 


बैरसिया तहसील के दलित किसान किशोरी लाल और तीरन यादव के बीच यह विवाद दरअसल सन 2002  से चल रहा है जब साढ़े तीन एकड़ जमीन का पट्टा तत्कालीन प्रदेश सरकार की योजना “दलित एजेंडा” के तहत किशोरीलाल जाटव को दिया गया था। तभी से तीरन यादव और किशोरीलाल जाटव के बीच क्लेश शुरू हो गया था। घाटखेड़ी के ग्रामीणों ने बताया कि वह सरकारी ज़मीन थी जिसका कुछ और उपयोग नहीं होता था। जब तक उक्त ज़मीन का हक़ किशोरीलाल को नहीं दिया गया था तब तक तीरन यादव ही अपनी ज़मीन से लगी हुई इस सरकारी ज़मीन को भी जोता करता था। तीरन यादव कानूनी तौर पर 18 एकड़ ज़मीन का मालिक है। किशोरीलाल जाटव को करीब साढ़े तीन एकड़ ज़मीन उसी सरकारी ज़मीन में से दी गयी थी जो पहले तीरन यादव अवैध रूप से जोतता था। ज़मीन दे दी जाने से तीरन यादव नाराज़ तो था ही, गाहे-बगाहे अपने गुस्से को वो बाहर आने से रोक भी नहीं पाता था और अनेक बार उनके बीच छिटपुट झड़पें और बहसें हुईं।

सड़क किनारे के कोने की वो ज़मीन जहां तीरन यादव बुआई कर रहा था और जिस पर आपत्ति लेने की वजह से किशोरीलाल को जीवित जला दिया गया। इस ज़मीन से लगी हुई तीरन यादव की ज़मीन है।

यही नहीं, दो साल पहले जो फसल किशोरीलाल ने बोई और मेहनत करके बड़ी की, उसे पकने पर तीरन यादव और उसके बेटों-भतीजों ने मिलकर काट लिया। किशोरीलाल जाटव की पत्नी ने हमें बताया कि करीब दो वर्ष पहले प्रधानमंत्री योजना के तहत इस जमीन से लगकर पक्की सड़क बन जाने से जमीन की कीमत बढ़ गई और इसके साथ ही यादव द्वारा किशोरीलाल को प्रताड़ित करने की प्रक्रिया कठोर होने के साथ-साथ बढ़ गईं। पिछले वर्ष किशोरीलाल द्वारा बैरसिया थाने और वहाँ सुनवाई न होने पर भोपाल के हरिजन थाने में भी रिपोर्ट दर्ज करवाई जिसकी कोई सुनवाई नहीं हुई और न ही कोई प्रक्रिया आगे बढ़ी। यहाँ ध्यान देने वाली बात है कि तीरन यादव भारतीय जनता पार्टी के पिछड़ा मोर्चा में मंडल स्तर का पदाधिकारी है

जाटव की पत्नी ने बताया कि 22 जून को सुबह हम पति-पत्नी जब खेत पर पहुँचे तो देखा कि तीरन यादव ट्रेक्टर से खेत जोत कर सोयाबीन की बुवाई कर रहा था। उसके साथ उसके बेटे भी थे। अपने खेत में उसे बुवाई करते देख किशोरीलाल ने तीरन यादव और उसके बेटों को भला बुरा कहा। उसके भतीजे भी आ गए और उन्होंने किशोरीलाल पर पेट्रोल डालकर आग लगा दी। दो मिनट में ही सब ख़तम हो गया।

इस जाँच दल द्वारा जायजे के दौरान स्थिति देखने में आयी कि परिवार के मुखिया की मौत से पूरा परिवार अत्यंत दुख और भय की स्थिति में है। घर की महिलाएं बार-बार यह बात दोहराती नज़र आईं कि बड़े लोगों के बीच जमीन की बात पर झगड़े पहले भी हुआ करते थे, जिसमें दबंगों द्वारा हम गरीबों को खेती करने से रोकना,डराना, धमकाया, जातिगत गालियां देकर प्रताड़ित करने की घटनाओं तो बहुत होती थीं लेकिन हमें नही मालूम था कि लोग इतनी निर्दयता पर उतर आएंगे और एक इंसान को इस तरह सरेआम जिंदा जलाकर मार डालेंगे। ऐसे कृत्य को अंजाम देने वाले को भी ऐसी ही सज़ा मिलनी चाहिए। पूरे परिवार का बस यही कहना है, हमें बहुत से लोग मिलने आ रहे हैं जिसमें नेता, राजनेता, सामाजिक कार्यकर्ता सभी शामिल हैं, हमारी सभी से गुजारिश है कि हमें केवल इंसाफ दिलाने में मदद करें।

प्रशासन की और से पीड़ित परिवार को सुरक्षा प्रदान करने के लिए गांव मे पुलिस बल तैनात कियें जाने सम्बंधी बात कही गयी थी लेकिन टीम को मौके पर और टोले के आस-पास कोई भी पुलिसकर्मी नजर नहीं आया। इसके पश्चात टीम द्वारा इस सम्बंध में एस.डी.एम. बैरसिया से मुलाकात कर स्थिति का जायजा लिया जिसमें जानकारी प्राप्त हुई की अनु.जाति/जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत् मुआवजे की आधी राशि करीब चार लाख रुपये पीड़ित परिवार के खाते में जमा करा दी गई है तथा पीड़ित परिवार की मांग पर उनकी जमीन के समुचित सीमांकन के लिए भी प्रशासन की ओर से प्रस्ताव तैयार कर भेज दिया गया है। इसके अलावा जांच टीम द्वारा बतायी स्थितियों के आधार पर त्वरित रूप से पुलिस को सुरक्षा व्यवस्था हेतु चाक चौबंद करने के लिए आदेशित किया गया। यह भी प्रशासन को देखना चाहिए कि जो ज़मीन किशोरीलाल की है, उस पर पुलिस सुरक्षा में बुवाई और कटाई हो। किशोरीलाल के चारों बेटे मज़दूरी करते हैं और गरीबी के साये में ज़िंदगी बसर करते हैं।

मृतक के परिजनों और गांववालों से मिलते जाँचदल सदस्य

स्वतंत्र जांच दल को लगता है कि पीड़ितों को समुचित न्याय प्राप्त होने का आशय ये नहीं है कि प्रशासन ने मुआवजा दे दिया बल्कि साथ ही अपराधियों को सजा दिलवाना भी न्याय का अहम् हिस्सा है। चूंकि आरोपित पक्ष की ओर से राजनीतिक रूप से प्रशासन पर दबाव बनाकर अपराधियों को बचाने का प्रयास किया जाएगा अतएव इस प्रकार की स्थिति से बचकर प्रशासन न्यायपूर्ण तरीके के साथ पूरी ईमानदारी के साथ पीड़ितों को न्याय दिलाने में सहायता करे। जाँच दल को यह भी लगता है कि पुलिस और प्रशासन भी जाती के मसले पर बहुत पूर्वाग्रही है और इसके लिए आवश्यक है कि पूरी जाँच की कार्रवाई शुरू से अनुसूचित जाति-जनजाति के अधिकारों के लिए संघर्षरत संगठनों और मानवाधिकार संगठनों की सजग नज़र रहे ताकि दबाव, धमकी या लालच जैसे अपराधियों को बचने के उपाय बेअसर किये जा सकें।

इस स्वतंत्र जांच दल में प्रगतिशील लेखक संघ के राष्ट्रीय सचिव विनीत तिवारी (दिल्ली), वरिष्ठ पत्रकार श्री राकेश दीक्षित (भोपाल), अखिल भारतीय किसान सभा के राज्य महासचिव प्रहलाद सिंह बैरागी (सीहोर), अखिल भारतीय महिला फेडरेशन मध्य प्रदेश की राज्य सचिव सारिका श्रीवास्तव (इंदौर), आंबेडकर सामाजिक न्याय केन्द्र के अजय सहारे (भोपाल), साझा मंच के रघुराज (दिल्ली), छात्र युवा संघर्ष समिति के मुन्नालाल सिंह चौहान एवं अर्पित शर्मा (भोपाल) सम्मिलित थे।


प्रगतिशील लेखक संघ के राष्ट्रीय सचिव विनीत तिवारी द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित