प्रियंका का संदेश किसे है-‘ स्त्री को कभी हल्के में न लेना!’


प्रियंका गांधी की टी शर्ट छ्पे संदेश को कांग्रेस की कॉर्पोरेट कोटरी और बीजेपी को गौर से पढ़ना चाहिये




अब क्यों उतरी हैं प्रियंका गांधी राजनीति में !

प्रशांत टंडन

कोई दस साल से कांग्रेस के कार्यकर्ता और कई नेता लगातार ये मांग कर रहे थे कि सोनिया गांधी प्रियंका को सक्रिय राजनीति में उतारें. इस तरह की मांग करने वाले पार्टी के कुछ बड़े नेता भी थे. फिर क्यों इस फैसले में इतनी देरी हुई और अब क्यों लिया गया प्रियंका को राजनीति में उतारने का फैसला. कारण कांग्रेस के कुछ बड़े नेताओं की मांग के पीछे ही छुपा है. 

इस फैसले की टाइमिंग की वजह मोदी या गठबंधन की राजनीति कम और कांग्रेस के अंदर की दक्षिणपंथी कोटरी और अंदरूनी खेमेबाजी ज्यादा है. कॉर्पोरेट की हिमायती एक ताकतवर कोटरी राहुल गांधी को पार्टी की कमान सौपने के खिलाफ रही है. इस कोटरी का मानना रहा है कि राहुल गांधी पार्टी को उस रास्ते से हटा देंगे जिस पर नरसिम्हा राव और उनके बाद मनमोहन सिंह ने चलाया. कोटरी का ये डर गलत भी नहीं है. राहुल गांधी कांग्रेस को वापस लेफ्ट ऑफ़ सेंटर की तरफ ले जा रहे हैं जहां पार्टी इंदिरा गांधी के समय पर थी. 

राजीव गांधी के समय से कांग्रेस आर्थिक और राजनीतिक दोनों दृष्टि से दक्षिण की तरफ मुड़ी जिस वजह से पार्टी का आधार खिसकता चला गया. सोनिया गांधी चाहते हुये भी इस कोटरी से नहीं लड़ पायीं और उन्हे मनरेगा, आरटीआई, शिक्षा और भोजन के अधिकार जैसे कानून पास करवाने के लिए पार्टी के बाहर NAC का गठन करना पड़ा. वास्तव में अगर उनके हाथ में रिमोट कंट्रोल होता तो उन्हे सिविल सोसाइटी के बड़े नाम आगे कर के दबाव बनाने की ज़रूरत नहीं पड़ती. सोनिया का काम लेफ्ट के समर्थन ने भी आसान किया. 

यूपीए 2 में जब लेफ्ट शामिल नहीं था सोनिया गांधी का NAC उतना प्रभावी नहीं रह गया था और कॉर्पोरेट कोटरी की ताकत बढ़ गई थी. 

इसी कोटरी की वजह से राहुल गांधी को अध्यक्ष पद का कार्यभार दिये जाने की तारीख आगे खिसकती रही. जब भी राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने संभावना होती इस कोटरी के नेता प्रियंका गांधी का नाम मीडिया में उछाल देते थे. ऐसा कोई आधा दर्जन बार हुआ. ऐसा लगता है कि सोनिया गांधी ने कांग्रेस का इतिहास ठीक से पढ़ा है और इंदिरा गांधी के खिलाफ काम करने वाले कॉर्पोरेट समर्थित सिंडीकेट के नए अवतार को पहचाने में वो कोई गलती नहीं कर रहीं थी. 

प्रियंका गांधी को राजनीति में उतारने का फैसला तब ही हुआ जब राहुल गांधी अध्यक्ष बन गये, कांग्रेस के भीतर की कॉर्पोरेट लॉबी और बीजेपी की गढ़ी गई पप्पू की इमेज से वो बाहर आ गाये और उत्तर भारत की तीन बड़े राज्य बीजेपी से छीन कर पूरी तरह से स्थापित चुके हैं. 

प्रियंका गांधी की टी शर्ट छ्पे संदेश को कांग्रेस की कॉर्पोरेट कोटरी और बीजेपी को गौर से पढ़ना चाहिये कि महिला को कभी भी कम मत आंकना – Never Underestimate a Woman.

लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।