जिन्ना ने काँग्रेस को हिंदुओं की पार्टी कहा था, मोदी मुसलमानों की बता रहे हैं- दोनों की नज़र, सत्ता पर!



गिरीश मालवीय


 

कांग्रेस मुसलमानों की पार्टी है’ याद नही आता कि हिन्दू मुसलमान को लेकर इतना स्पष्ट नैरेटिव सेट करने की कोशिश स्वतंत्र भारत मे पिछली बार कब की गयी थी ?

स्वतंत्र भारत इसलिए कहा, क्योकि जब मुस्लिम लीग के जिन्ना ने पाकिस्तान की मांग की थी तो उन्होंने स्पष्ट किया था कि कांग्रेस हिन्दुओ की पार्टी है इसलिए मुस्लिम लीग को पाकिस्तान दिया जाना चाहिए

कमाल है कि 70 साल पहले एक तरफ के अतिवादियों ने उसे हिन्दुओ की पार्टी घोषित किया और दूसरे तरफ के अतिवादियों ने आज उसे मुसलमानो की पार्टी घोषित किया, सोचिए कि कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति की कितनी महत्वपूर्ण भूमिका रही है कि लोकसभा में मात्र 45 सीट जीतने वाली पार्टी सत्ता से बाहर रखने के लिए भाजपा हर हथकंडा अपनाने को तैयार है चाहे उसकी बुनियाद पूरी तरह से झूठ ही क्यो न हो।

11 जुलाई को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने देश के कुछ प्रमुख मुस्लिम बुद्धिजीवियों के साथ बैठक में मुसलमानों से जुड़े मुद्दों और देश की वर्तमान राजनीतिक व सामाजिक स्थिति पर चर्चा की ओर अगले दिन इस कार्यक्रम को लेकर उर्दू अखबार इंकलाब में ‘हां, कांग्रेस मुसलमानों की पार्टी है’ शीर्षक से रिपोर्ट लिखी गई।

भाजपा को यह शीर्षक संजीवनी की तरह लगा ओर उसने दिग-दिगन्त में यह गुंजायमान कर दिया कि कांग्रेस मुसलमान की पार्टी है इस बैठक में जितने भी मुस्लिम बुध्दिजीवी मौजूद थे उन्होंने इस बात से साफ इंकार किया कि ऐसी कोई बात की गई हैं।

पर इस देश मे कौआ कान ले जा सकता हैं तो इस इनकार पर यकीन कौन करे !

देश की रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस में जो रायता फैलाया है, उसे समेटना आसान नही है, उन्होंने कहा, “अगर काँग्रेस पार्टी 2019 के चुनाव धर्म के आधार पर लड़ना चाह रही है, तो हमें डर है कि अब से सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील इलाक़ों में अगर तनाव होता है तो ज़िम्मेदारी काँग्रेस की होगी.”

ग़जब की बात यह है कि देश के 21 राज्यों में बीजेपी (एनडीए) सत्ता में है. सारी सरकारी मशीनरी बीजेपी सरकार के नियंत्रण में हैं, लेकिन यदि कही दंगा होगा तो जिम्मेदारी कांग्रेस की होगी …….ये बात देश की रक्षा मंत्री बोल रही है कहा जाता है कि ये जेएनयू की पूर्व छात्र रही है यह बात सुनकर जेएनयू भी अपने पूर्व छात्र से शर्मिंदा ही होगा।

फराह नकवी अच्छी वक्ता हैं। जब पिछली महीने वो इंदौर आयी थी तो अभ्यास मण्डल में उन्होंने एक बेहतरीन व्याख्यान दिया था। राहुल गाँधी के साथ मुस्लिम बुध्दिजीवियों की बैठक में वो भी मौजूद थीं। उन्होंने एक महत्वपूर्ण बात कही, फराह लिखती हैं, ‘अगर राहुल गांधी या मीटिंग में मौजूद किसी भी व्यक्ति द्वारा कांग्रेस को ‘मुस्लिम पार्टी’ कहे जाने की फेक न्यूज़ को भूल भी जाएं तो यह सोचना दिलचस्प होगा कि क्या सीतारमण सच में यह मानती हैं कि किसी ऐसे देश में जहां 86 फीसदी आबादी गैर-मुस्लिमों की है, वहां ऐसी किसी पार्टी का कोई लोकतांत्रिक भविष्य हो सकता है?’

लेकिन इस बात पर किसी का ध्यान कैसे जाए ! जब भाजपा की मशीनरी दिन रात गोदी मीडिया का सहारा लेकर दिन रात दुष्प्रचार करने में लगी है।

कुछ दिनो पहले फेसबुक पर ही पढ़ने में आया था कि पी वी नरसिंहराव ने अयोध्या आंदोलन के दौर में एक बार कहा था कि ‘भाजपा से लड़ना कोई मुश्किल नहीं लेकिन मुश्किल यह है कि भाजपा खुद पीछे छिप गई और भगवान राम को आगे कर दिया!’

अब भला राम से कौन लड़े और कैसे लड़े?

राव की बात गहरी थी ओर राव के जमाने की बात भी कुछ और थी, लेकिन अब लड़ाई का दूसरा चरण है। अब भाजपा राम के पीछे नही है, अब वह ओर अधिक आक्रामक हो गयी हैं। अब वह राम के आगे खड़ी हो गयी है। राम कही पीछे छूट गए हैं। उसने अपने प्रतिद्वंद्वी को ऐसे प्रतीक के साथ खड़ा कर दिया है जिससे सियासी तौर पर लड़ने के कोई जरूरत ही नही है, क्योकि इन चार सालों में जो उन्होंने माहौल पैदा किया है वह माहौल ही भाजपा को जिता देगा, ऐसा उन्हें यक़ीन है।

इस तरह की स्ट्रेटेजी की तुलना सिर्फ हिटलर की स्ट्रेटेजी से की जा सकती है!!!!

 

लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। इंदौर में रहते हैं।