आधी रात चले ‘ऑपरेशन सीबीआई’ का मक़सद क्या अमित शाह को फिर जेल जाने से बचाना है?



पंकज चतुर्वेदी


आखिर कौन सरकारी संरक्षण में सीबीआई दफ्तर पर कब्जा करना चाहता था? इसके लिए सीबीआई की साख, खुद के द्वारा नियुक्त डायरेक्टर — किसी को भी कुर्बान करने में कोई परहेज नहीं किया गया। क्या इसकी वजह बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को फिर जेल जाने से बचाना है? तुलसीराम प्रजापति फर्जी मुठभेड़ मामले में जाँच अधिकारी आईपीएस संदीप ताम्गाड़े (ऊपर तस्वीर चेकदार सदरी, नुकीली मूछ) ने अदालत में अमित शाह के ख़िलाफ़ गवाही देकर इस आशंका को पुष्ट कर दिया है। आशंका यह भी जताई जा रही है कि पूरे मामले का सिरा गुजरात के गृहराज्यमंत्री हरेन पांड्या की हत्या से जुड़ा है जो गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के विरोधी माने जाते थे।

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सोहराबुद्दीन फर्जी मुठभेड़ मामले में उस समय नया मोड़ गया जब जांच से जुड़े अधिकारी ने तथ्यों को सही बताया। इतना ही नहीं, अधिकारी ने अपने बयान पर कायम रहते हुए अदालत में दर्ज भी करवाए। जांच अधिकारी आईपीएस संदीप तामगड़े ने कोर्ट में बताया कि सोहराबुद्दीन और तुलसी फर्जी मुठभेड़ अपराधियों और नेताओं की मिलीभगत का परिणाम है।

जांच अधिकारी तामगड़े ने कोर्ट में अपने बयान दर्ज करवाते हुए बताया कि भाजपा नेता अमित शाह, आईपीएस डीजी वंजारा, राजकुमार पांडियन, दिनेश एमएन हत्याकांड के मुख्य साजिशकर्ता थे। जांच के दौरान मिले पूख्ता सबूतों के आधार पर ही सभी के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया था। बचाव पक्ष के वकील के सवाल पर तामगड़े ने बताया कि उन्होंने राजस्थान के तत्कालीन गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया, मार्बल व्यापारी विमल पाटनी और हैदराबाद के आईपीएस सुब्रमण्यम और एसआई श्रीनिवास राव से पूछताछ कर इनके खिलाफ भी चार्जशीट पेश की थी। मुख्य जांच अधिकारी ने सवाल का जवाब देते हुए बताया कि तब के आरोपी अमित शाह, गुलाबचंद कटारिया और विमल पटनी का बयान उन्होंने खुद लिया था और उस पर हस्ताक्षर भी किए थे, किंतु बचाव पक्ष के वकील ने जब बयान की कॉपी देखनी चाही, तो कोर्ट के रिकॉर्ड में नहीं होना का खुलासा हुआ। जज एसजे शर्मा के पूछने पर सीबीआई ने बताया कि बयान सीबीआई दफ्तर में रखे हैं। वहीं हैदराबाद के आरोपी एसआई राव से संबंधित 19 में से 18 कागजात कोर्ट के रिकाॅर्ड में नहीं होने खुलासा हुआ।|

तामगड़े से पहले तत्कालीन सीबीआई एसपी अमिताभ ठाकुर ने भी अपनी गवाही में अमित शाह और दूसरे बड़े पुलिस अधिकारियों को मामले में राजनीतिक और आर्थिक फायदा होने की बात कही थी। चीफ आईओं ने कोर्ट में कहा कि कटारिया के खिलाफ भी साक्ष्य थे।

सीबीआई के तत्कालीन एसपी संदीप तामगड़े ने सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस का पहले चीफआईओ अमिताभ ठाकुर और विनय कुमार के बाद अग्रिम अनुसंधान और तुलसी केस का पूरा अनंसुधान किया था। बचाव पक्ष के वकील वहाव खान के पूछने पर संदीप तामगड़े ने बताया कि उन्होंने राजस्थान के गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया, मार्बल व्यवसायी विमल पाटनी, हैदराबाद के आईपीएस सुब्रमण्यम और एसआई श्रीनिवास राव से पूछताछ कर इनके खिलाफ भी चार्जशीट पेश की थी। बचाव पक्ष के वकील के पूछने पर चीफ आईओ संदीप ने बताया कि चार्जशीट में उपयोग शब्द क्रिमिनल-पॉलिटीशियन नेक्सस में पॉलिटीशियन अमित शाह, गुलाब चंद कटारिया और क्रिमिनल सोहराबुद्दीनए तुलसी और आजम जैसे अन्य अपराधी थे। अहमदाबाद में पॉपुलर बिल्डर पर फायरिंग पॉलिटीशियन्स ने क्रिमिनल्स के जरिए करवाई थी।

बचाव पक्ष के वकील बिन्द्रे ने चीफ आईओ से प्रश्न करते हुए कहा कि आपने चार्जशीट में लिखा है कि तुलसी को मौके पर दो अज्ञात लोग एक मारुति कार में लाए थे और इसके बाद पुलिस ने उसकी गोली मार कर हत्या कर दी थी और इसे एनकाउंटर बताया था। लेकिन वे अज्ञात दो लोग और मारुति कार किसकी थी। इस पर चीफ आईओ ने बताया कि सीबीआई ने यह पड़ताल कभी नहीं की कि वे दो अज्ञात लोग कौन थे, जो तुलसी को एनकाउंटर स्पॉट पर लाए थे और वह मारुती कार किसकी थी, जिसमें तुलसी को एनकाउंटर स्पॉट पर लाया गया था। कोर्ट रिकॉर्ड से गायब हुए शाह-कटारिया सहित अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज चीफ आईओ के बयान के दौरान कुछ ऐसे गवाहों के बयानों का जिक्र भी आया जिनके स्टेटमेंट कोर्ट रिकॉर्ड से गायब मिले। बचाव पक्ष के वकील के पूछने पर चीफ आईओ ने कोर्ट बताया कि मैंने मामले के आरोपी अमित शाह, गुलाब चंद कटारिया और विमल पाटनी से खुद पूछताछ कर इनके बयान लिखे थे और इन बयानों पर मैंने खुद हस्ताक्षर भी किए थे। लेकिन जब बचाव पक्ष के वकील ने यह बयानों की कॉपी चाही तो पता चला कि यह कोर्ट रिकॉर्ड में नहीं हैं। जज एसजे शर्मा ने सीबीआई के सरकारी वकील बीपी राजू और सीबीआई इंस्पेक्टर विश्वास मीणा से पूछा कि ये स्टेटमेंट कहां है, तो विश्वास मीणा ने जवाब दिया कि स्टेटमेंट ऑफिस में हैं। इस पर बचाव पक्ष के वकील वहाव खान ने कोर्ट को एप्लीकेशन दी कि ये दस्तावेज उपलब्ध करवाए जाएं। गौरतलब है कि अमित शाह, गुलाब चंद कटारिया और विमल पाटनी तीनों ही इस केस से डिस्चार्ज हो चुके हैं, ऐसे में इनके बयान केस में महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं।

चीफ आईओ ने कोर्ट को बताया कि अनुसंधान में तुलसी के भांजे कुंदन प्रजापति और उसके दोस्त से संबंधित ड्रग्स मामले के अनुसंधान अधिकारी और प्रार्थी दोनों के बयान लिए थे, उन्होंने कहा कि ये चार्जशीट का हिस्सा हो सकते हैं, लेकिन जब चार्जशीट देखी गई तो ये स्टेटमेंट भी कोर्ट रिकॉर्ड में नहीं मिले।

चीफ आईओ ने बताया कि आरोपी हैदराबाद के एसआई श्रीनिवास राव से संबंधित उन्होंने 19 दस्तावेज जब्त किए थे। लेकिन आज कोर्ट रिकॉर्ड चेक किया तो एक ही दस्तावेज मिला। 18 दस्तावेज गायब हैं। कोर्ट रिकॉर्ड में संबंधित दस्तावेजों की फर्द जब्ती मौजूद है। जिनमें इन सभी दस्तावेजों का हवाला दिया हुआ है, लेकिन ये सभी दस्तावेज कोर्ट रिकॉर्ड से गायब हैं। बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि इन दस्तावेजों में साबित होता है कि श्रीनिवास राव 22 से 29 नवंबर 2005 के बीच वे आंध्र प्रदेश में अपनी ड्यूटी पर मौजूद थे।

गहलोत को मिला था तुलसी एनकाउंटर का पत्र

चीफ आईओ संदीप ने तुलसी केस की चार्जशीट में उस पत्र का जिक्र किया हुआ है, जो सोहराबुद्दीन के एनकाउंटर से पहले तुलसी के परिवार ने राजस्थान के तत्कालीन वरिष्ठ कांग्रेस नेता अशोक गहलोत को भेजा था। बचाव पक्ष ने चीफ आईओ से पूछा कि यह पत्र कहां है। गौरतलब है कि चार्जशीट में लिखा है कि सोहराबुद्दीन एनकाउंटर से पहले तुलसी के परिवार को डर था कि पुलिस उसका एनकाउंटर कर देगी, इसके चलते परिवार वालों ने तुलसी की सुरक्षा के लिए एक पत्र अशोक गहलोत को भेजा था। यह पत्र गहलोत ने तत्कालीन आईजीपी वीके गोदिका को भेज दिया था। उन्होंने यह पत्र तो प्राप्त किया था, लेकिन वे सेवानिवृत हो रहे थे, तो उन्होंने यह अगले आईजीपी राजीव दासोत को जांच के लिए कहते हुए सुपुर्द किया था।

संदीप ताम्गाड़े की सलामती कि अरदास के साथ उन्हें सलाम।

 

यह वरिष्ठ पत्रकार पंकज चतुर्वेदी की फ़ेसबुक पोस्ट है।  साभार प्रकाशित।