चुनाव चर्चा: अमित शाह शिवसेना को ‘पटकने’ की जुगत में तो कैसे होगा गठबंधन !


अमित शाह ने कहा, ‘युति होगी तो साथी को जिताएंगे नहीं तो पटक देंगे।




चंद्र प्रकाश झा 

महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी का शिव सेना के साथ गठबंधन टूट की कगार पर पहुँच गया लगता है। लेकिन  इसे आगामी आम चुनाव में बचाने की संभावना से इंकार भी नहीं किया जा सकता है। शिव सेना फिलहाल महाराष्ट्र और केंद्र में भी भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन  की सरकारों में शामिल है। वह कुछ अर्से से नई लोक सभा का चुनाव अपने दम पर लड़ने के लिए तैयार होने की बात भी कहती रही है। भाजपा ने भी अब यही बात खुल कर कह दी है। देश में लोक सभा की सर्वाधिक 80 सीटें उत्तर प्रदेश में और उसके बाद सबसे अधिक 48 महाराष्ट्र में ही हैं। ऐसे में भाजपा को राज्य में बगैर किसी मजबूत सहयोगी के अपनी चुनावी रणनीति तय करने में भारी दिक्कत हो सकती है।

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पार्टी कार्यकर्ताओं की लातूर में रविवार को बुलाई बैठक में उनसे बिना गठबंधन के सभी 48 सीटों पर चुनाव लड़ने के वास्ते तैयार रहने कहा। अमित शाह ने कहा ,’ युति होगी तो साथी को जिताएंगे नहीं तो पटक देंगे।’  उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि भाजपा बगैर गठबंधन के भी 40 सीटें जीत लेगी। मुख्यमंत्री फडणवीस ने भी कमोबेश यही बात कही।

इस पर प्रतिक्रयास्वरुप शिव सेना के एक बयान में कहा गया है, ” मुकाबला होने दो। महाराष्ट्र उनको उनकी हैसियत दिखा देगा। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के घमंडी बोल ने पार्टी का स्टैंड जता दिया है।  साफ है कि वह हिंदुत्व में विश्वास रखने वालों के साथ गठबंधन नहीं करना चाहती है। उनकी जबान तब से फिसलती जा रही है जब से शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने अयोध्या जाकर हर हिन्दू की भावना को व्यक्त कर कहा कि – पहले मंदिर फिर सरकार। ‘

शिव सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने हाल में एक सभा में मोदी जी पर तीखे प्रहार करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की तर्ज पर जब यहां तक कह दिया कि ‘ पहरेदार चोर है’  तो दोनों दलों के बीच के सम्बन्ध और भी कटु हो गए। इस पर  मुख्यमंत्री  फडणवीस ने  कटाक्ष कर कहा कि प्रधानमंत्री की आलोचना करना आसमान पर थूकने के सामान है। उन्होंने कहा ‘ सभी को मालूम है कि अगर कोई सूरज की तरफ थूके तो वह कहाँ गिरता है।

उधर , शिवसेना के मराठी मुखपत्र , सामना में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर लगातार प्रहार किये जाते रहे हैं। उसके एक हालिया लेख के अनुसार  अगस्तावेस्टलैंड मामले में सोनिया गांधी का नाम लेने के लिए क्रिश्चियनमिशेल पर  दबाव डाला जा रहा है। इसमें कहा गया है कि ‘ सोनिया गांधी या कांग्रेस के प्रति हमारे मन में किसी प्रकार की कोई ममता होने का सवाल ही नहीं उठता,  लेकिन राजनीतिक षड्यंत्र के लिए सरकारी मशीनरियों का मनमाना इस्तेमाल बंद होना चाहिए। अगस्तावेस्टलैंड मामलो के चलते  कोई ये ना समझे कि लोग राफेल विमान घोटाले को भूल जाएंगे। गौरतलब है कि प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली की एक अदालत में दावा किया था कि 3600 करोड़ के अगस्तावेस्टलैंड हेलिकॉप्टर सौदे के ‘ब्रिटिश दलाल’ क्रिश्चियन मिशेल ने पूछताछ के दौरान ‘मिसेज गांधी’ का नाम लिया।

बताया जाता है कि उद्धव ठाकरे की अयोध्या यात्रा के दौरान उनकी मांग के अनुरूप अगर मोदी सरकार वहाँ राम मंदिर निर्माण के लिए अध्यादेश ले आती तो उन्हें भाजपा से गठबंधन करने के लिए नरम पड़ जाना पड़ जाता। लेकिन मोदीजी ने एक जनवरी को एक भेंटवार्ता में ऐसा कोई अध्यादेश लाने की संभावना से साफ इंकार कर दिया। शिव सेना ने नारा दिया था – पहले मंदिर फिर सरकार। अब गठबंधन होगा या नहीं इस बारे में शिव सेना की तरफ से सिर्फ उद्धव ठाकरे ही निर्णय ले सकते हें। हालांकि अभी भी यह अंतिम तौर पर नहीं कहा जा सकता है कि शिवसेना  ने भाजपा से पल्ला बिल्कुल झाड़ लिया है।

जानकार राजनीतिक टीकाकारों के अनुसार हालांकि गठबंधन के लिए दोनों पार्टियों के बीच कोई बातचीत नहीं हुई है लेकिन उसके कुछ नेता गठबंधन करने के पक्ष में हैं। भाजपा ने शिव सेना के साथ गठबंधन के लिए विकल्प खुला रखने का स्पष्ट संकेत भी दिया है। भाजपा शायद चाहती है कि सीटों का बँटवारा 2014 के फार्मूला के अनुसार ही हो जिसके तहत भाजपा को 26 और शिव सेना को 22 सीटें आवंटित की गयी थी। अमित शाह अपनी पार्टी के नेताओं से बातचीत करने इसी माह नागपुर भी जाने वाले हैं। शिव सेना से अलग हुए गुट महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे की उद्धव ठाकरे से हालिया पारिवारिक भेंट के बाद दोनों दलों के बीच एकता लाने के प्रयासों की खबरें भी हैं। राज ठाकरे भी मोदी जी के कटु आलोचक रहे है।

एबीपीन्यूज़- सी वोटर के हालियासर्वे के मुताबिक महाराष्ट्र में भाजपा के एनडीए गठबंधन को बड़ा झटका लग सकता है। सर्वे के मुताबिक राज्य में ‘ मोदी लहर’  ख़त्म होती नजर आ रही है। तुरंत  लोकसभा चुनाव होने पर भाजपा के गठबंधन को 18 सीटें ही मिल सकेंगी। कांग्रेस के यूपीए गठबंधन की 30 सीटों पर जीत हो सकती है। सर्वे के मुताबिक 2019 के चुनाव में भाजपा गठबंधन को 23 सीटों का नुकसान हो सकता है। इंडिया टीवी- आईएनएक्स के सर्वे के मुताबिक भाजपा-शिवसेना गठबंधन होने पर भी कांग्रेस और एनसीपी को क्रमशः 19 प्रतिशत और 18 प्रतिशत वोट शेयर के आधार पर 9 -9 सीट मिल सकती है लेकिन तब भाजपा को 28 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 22 और शिव सेना को 18 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 8 सीटें मिलने की संभावना है।

वर्ष 2014 के पिछले लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में शिव सेना-भाजपा की ‘ भगवा ‘ युति कायम थी।  इस युति ने कुछेक छोटे  दलों को साथ रख 48 में से 40 सीटें जीती थी। इनमें से 18 शिव सेना ने जीती थी , जो उसकी  अब तक की सर्वश्रेष्ठ चुनावी सफलता है। इससे पहले उसने सबसे अधिक 15 सीटें 1996 के आम चुनाव में जीती थी। 2014 के लोक सभा चुनाव के बाद उसी बरस जब विधान सभा चुनाव हुए तो यह भगवा युति टूट गई। शिवसेना ने उस चुनाव में विधान सभा की 288 सीटों में से बराबर का बँटवारा करने की मांग करने के साथ ही शर्त रखी थी कि उसके अध्यक्ष उद्धव  ठाकरे को मुख्यमंत्री पद का दावेदार पेश करने पर भाजपा राजी हो जाए। भाजपा ने शिव सेना की मांग और शर्त अस्वीकार कर दी। ऐसे में दोनों दल अलग -अलग चुनाव लड़े। भाजपा 122 सीटें जीत कर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी।  शिवसेना ने 63 सीटें जीती थी। उसने नई सरकार बनाने के लिए भाजपा को अपना समर्थन दे दिया। राज्य में देवेंद्र फडणवीस के मुख्यमंत्रित्व में भाजपा की बनी पहली सरकार में शिवसेना भी शामिल हो गई। तमाम अंतर्विरोध के बावजूद शिवसेना केंद्र की मोदी सरकार और महाराष्ट्र की फड़णवीस सरकार में शामिल है। राज्य विधान सभा का अगला चुनाव सितम्बर 2019 में निर्धारित है।

पिछले  लोक सभा चुनाव में इस युति में किसान नेता राजूशेट्टी का ‘ स्वाभिमानी पक्ष ‘ भी शामिल था, जिसकी तरफ से एक सीट खुद शेट्टी ने हातकणंगले से जीती थी। बाद में स्वाभिमानी पक्ष ने मोदी सरकार पर किसान -विरोधी नीतियों पर चलने का आरोप लगा कर भाजपा का साथ छोड़ दिया। रिपब्लिकन पार्टी ऑफ़ इंडिया का केंद्रीय राज्य मंत्री रामदासअठावले के नेतृत्व वाला गुट भाजपा के साथ बना हुआ है। लेकिन इस पार्टी का कोई लोक सभा सदस्य नहीं है। रामदास अठावले खुद राज्य सभा सदस्य हैं।

उधर, पूर्व रक्षामंत्री एवं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष शरदपवार ने पुष्टि की है कि कांग्रेस, एनसीपी और शेतकरी कामगार पक्ष अगला लोकसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ेंगे। उन्होंने हाल में मुंबई में पत्रकारों से कहा कि इन तीनों दलों के बीच राज्य  में लोकसभा की 48 में से 40 के बारे में बातचीत हो चुकी है। यदि कोई अड़चन आती है तो उनका नेतृत्व  समाधान ढूंढ लेगा। पूर्व मुख्यमंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चौहान तथा पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल के अनुसार भी गठबंधन में शामिल दलों के बीच सीटों के बंटवारे के बारे में बातचीत अंतिम  चरण में है जिसे उनका पार्टी नेतृत्व शीघ्र हरी झंडी देगा। पिछले लोकसभा चुनाव में भी इनके बीच गठबंधन था, जिसके तहत कांग्रेस और ने 6 और एनसीपी ने 2 सीट जीती थी। देखना है कि भाजपा, कांग्रेस के गठबंधन का मुकाबला किस रूप में करती है।

(मीडियाविजिल के लिए यह विशेष श्रृंखला वरिष्ठ पत्रकार चंद्र प्रकाश झा लिख रहे हैं, जिन्हें मीडिया हल्कों में सिर्फ ‘सी.पी’ कहते हैं। सीपी को 12 राज्यों से चुनावी खबरें, रिपोर्ट, विश्लेषण, फोटो आदि देने का 40 बरस का लम्बा अनुभव है।)