अनर्थव्यवस्था: जीडीपी -7.3% पर लुढ़की, 40 सालों में सबसे तगड़ा झटका!



कोरोना से निपटने में मोदी सरकार की असफलता ने आम आदमी के साथ अर्थव्यवस्था की भी जान निकाल दी है। ताज़ा आँकड़ों के मुताबिक वर्ष 2020-21 में जीडीपी में 7.3 फ़ीसदी की गिरावट दर्ज की गयी है। वहीं राजकोषीय घाटा भी जीडीपी का 9.3 फ़ीसदी है। यह बताता है कि हालात कितने मुश्किल हैं और आम आदमी की तक़लीफ़ जल्द दूर नहीं होने वाली। अर्थव्यवस्था में पिछले चालीस सालों में पहली बार इतना तगड़ा झटका लगा है।

इस साल फरवरी में सरकार ने पूरे वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान जीडीपी में 8 फीसदी की गिरावट का अनुमान लगाया था। इस लिहाज़ से अनुमान .70 बेहतर आये हैं। लेकिन परिस्थिति बताती है कि कोरोना काल में बेरोज़गार हुए लाखों लोगों के लिए अच्छे दिन बहुत दूर हैं।

आंकड़ों के मुताबिक भारतीय अर्थव्यवस्था के आकार में 2020-21 के दौरान 7.3  फीसदी का संकुचन हुआ, जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था चार फीसदी की दर से बढ़ी थी। एनएसओ ने इस साल जनवरी में जारी अपने पहले अग्रिम अनुमानों के आधार पर कहा था कि 2020-21 के दौरान जीडीपी में 7.7 फीसदी गिरावट रहेगी ।

वैसे, इसे सिर्फ़ कोरोना का नतीजा नहीं कहा जा सकता। सरकार की नीतियाँ भी कम ज़िम्मेदार नहीं है। चीन ने जनवरी-मार्च 2021 में 18.3 फीसदी की आर्थिक वृद्धि दर्ज की है जबकि भारत में यह आँकड़ा महज़ 1.6 फ़ीसदी रहा।
उधर, सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार के. वी. सुब्रमण्यम ने कहा कि GST पिछले साल के मुकाबले इस साल काफी बढ़ा है। पिछले साल के सितंबर महीने के बाद से GSTमें लगातार बढ़ोतरी हो रही है। अप्रैल महीने में GST में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई है।

दिलचस्प बात ये है कि अर्थव्यव्यवस्था के बुरे हाल के लिए विपक्ष ही नहीं, बीजेपी के अंदर भी लोग पीएम मोदी को ज़िम्मेदार ठहरा रहे हैं। बीजेपी के राज्यसभा सदस्य खुलेआम कहते हैं कि मोदी को अर्थव्यवस्था की समझ नही है। उन्होंने अर्थव्यवस्था के बुरे हाल की भविष्यवाणी की थी। आज आँकड़े आने पर जब उन्होंने ट्विटर पर अपनी भविष्यवाणी फिर याद दिलायी-


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