बुद्ध पूर्णिमा पर विशेष– बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर बुद्ध के सबसे पुराने और सबसे शातिर दुश्मनों को आप आसानी से पहचान सकते हैं। यह दिन बहुत ख़ास है इस दिन आँखें…
मैं यह नहीं मानता और न कभी मानूँगा कि भगवान बुद्ध विष्णु के अवतार थे। मैं इसे पागलपन और झूठा प्रचार-प्रसार मानता हूँ-डॉ.आंबेडकर लेकिन डॉ.आंबेडकर जिसे पागलपन मानते थे, वह ‘प्रोजेक्ट हिंदुत्व’ का…
सन 2000 में सुप्रीम कोर्ट ने ताजमहल के मूलत: शिवमंदिर होने का दावा करने पी.एन.ओक की याचिका ‘बी इन हिज़ बोनेट’ की टिप्पणी के साथ खारिज कर दी थी। अर्थ हुआ कि याचिकाकर्ता…
10 मई 1857 से शुरू हुए प्रथम स्वाधीनता संग्राम की याद में विशेष 10 मई 1857 को मेरठ से भड़का विद्रोह, अंग्रेज़ों की नज़र में सिर्फ़ सिपाही विद्रोह था, लेकिन वास्तव…
शम्सुल इस्लाम 10 मई 1857, दिन रविवार को छिड़े भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम मे देश के हिंदुओं, मुसलमानों और सिखों ने मिलकर विश्व की सबसे बड़ी साम्राज्यवादी ताक़त को चुनौती…
जन्मदिन पर विशेष गुरुदेव रवींद्र नाथ टैगोर एक अंतरराष्ट्रीय व्यक्तित्व थे। बंगाल के कुछ बेहद सम्पन्न लोगों में उनका परिवार आता था। उनके बड़े भाई सत्येंद्र नाथ टैगोर, देश के प्रथम हिंदुस्तानी, 1864…
विज्ञान के इतिहास में मार्क्स ने जिन महत्त्वपूर्ण बातों का पता लगाकर अपना नाम अमर किया है, उनमें से हम यहाँ दो का ही उल्लेख कर सकते हैं; फ्रेडरिक एंगेल्स पहली तो विश्व…
फ्रांसीसी राजनीतिक चिंतक रेमों एरोन ने लिखा है कि कार्ल मार्क्स के विचारों को ‘पांच मिनट, पांच घंटे, पांच सालों या आधी सदी में विश्लेषित किया जा सकता है. कुछ लोगों के लिए…
सभ्यता की कसौटी एक ऐसा जीवन है जिसमें सबको काम, आराम और मनोरंजन हासिल हो। लेकिन इस सिद्धांत को उन्होंने कभी नहीं माना जो मज़दूरों के श्रम के शोषण पर अपना साम्राज्य खड़ा…
1 मई को आज जब हम अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस मनाते हैं, तो इसके इतिहास में जाने की ज़हमत नहीं उठाते हैं, लेकिन ये इतिहास की लंबी लड़ाई से उपजे अधिकारों का सिलसिला है।…
सभ्यता की कसौटी एक ऐसा जीवन है जिसमें सबको काम, आराम और मनोरंजन हासिल हो। लेकिन इस सिद्धांत को उन्होंने कभी नहीं माना जो मज़दूरों के श्रम के शोषण पर अपना साम्राज्य खड़ा…
(हम भारतीय संविधान के निर्माता बाबासाहेब भारत रत्न डॉ. भीमराव आंबेडकर के जन्म के 132वें साल में प्रवेश कर रहे हैं। ये एक ऐसा समय है, जब पूरी दुनिया एक भयानक संकट से…
बीजेपी के केंद्र और तमाम राज्यों में सत्तारूढ़ होने के साथ डा.आंबेडकर के विचारों को दफनाकर उनको मूर्ति में बदलने की कोशिश तेज़ हुई है। उन्हें एक हिंदू समाज सुधारक बताने का पूरा…
डॉ.आंबेडकर की लोकतान्त्रिक दृष्टि …
13 अप्रैल 1919, बैसाखी के दिन लगभग 4:00 बजे जनरल डायर लगभग डेढ़ सौ के सिपाहियों को लेकर जलियांवाला बाग में पहुंचा। वहां रौलेट एक्ट के खिलाफ एक जनसभा हो रही थी। बैसाखी…
महात्मा गांधी की पत्नी कस्तूरबा गाँधी का निधन 22 फ़रवरी 1944 को हुआ था। वे जेल में थीं। महात्मा गाँधी को राष्ट्रपिता की उपाधि देने वाले नेता जी सुभाषचंद्र बोस उन्हें पूरे भारत…
ज्योतिबा फुले (11 अप्रैल 1827-28 नवंबर 1890 ) को हमें उनके वास्तविक रूप मे देखने का प्रयास करना चाहिए। भारत मे ब्राह्मणवादी विचारधारा के मजबूत होते जाने के दौर मे दो विपरीत खेमों…